लोगों से कहता था पत्नी मायके गई है,,,और जंगल में हत्या कर आया था पति, बालोद जिले के इस चर्चित केस में पति को हुई आजीवन कारावास

बालोद। मनोज सिंह ठाकुर प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश बालोद के न्यायालय द्वारा आरोपी मनोहर मंडावी पिता स्व हीरालाल मंडावी उम्र 31 वर्ष, निवासी-टुडेकुडेल, थाना- मंगचुवा, जिला-बालोद (छ0ग०) को धारा 302 भा.दं.सं. के अपराध में आजीवन कारावास व 500/- रूपये के अर्थदण्ड तथा धारा 201 भा.दं.सं. के अपराध में 07 वर्ष का कठोर कारावास व 500/- रूपये के अर्थदण्ड दण्डित किया गया। अर्थदण्ड अदा नहीं करने पर 30-30 दिन का अतिरिक्त कठोर कारावास भुगतना होगा। प्रकरण अतिरिक्त लोक अभियोजक चित्रांगद देशमुख के अनुसार प्रार्थी दिरबल भूआर्य का मृतिका कीर्ति भूआर्य पुत्री थी। कीर्ति भूआर्य और अभियुक्त मनोहर मंडावी मंडावी ने प्रेम विवाह किये थे और शादी करने के बाद वे दोनों पति-पत्नी खाने-कमाने बाहर चले गये थे और समय-समय पर पर घर आते थे और फिर से कमाने-खाने बाहर चले जाते थे। ग्राम टुडेकुंडेल का ग्राम पटेल राजूराम कोठारी अपने ग्राम के कुछ अन्य लोगों के साथ अभियुक्त मनोहर मंडावी को लेकर दिलबर भूआर्य के घर ग्राम चमर्राटोला आये और वे लोग उससे कीर्ति भूआर्य के बारे में पूछे, तब दिलबर भूआर्य ने बताया कि उसकी बेटी कीर्ति अपने पति मनोहर मंडावी के साथ गई है, तब वे लोग दिरबल भूआर्य को यह बताये कि मनोहर मंडावी यह बता रहा है कि उसने अपने पत्नी कीर्ति को उसके पास अर्थात् दिरबल भूआर्य के पास छोड़ा है। तब ग्राम चमर्राटोला में वहां पर उपस्थित सब लोग मनोहर मंडावी से बारिकी से पूछताछ करने लगे, तब उसने यह बताया कि माह अप्रैल के आसपास, उसने अपनी पत्नी से विवाद होने के कारण उसको ग्राम टुडेकुडेल के जंगल में ले जाकर उसके गला को दबाकर मार दिया है और वहीं पर दो पत्थरों के बीच खाली जगह में उसके शव को रखकर लकड़ी व घास-फूस से जला दिया है। मनोहर मंडावी के द्वारा जानकारी दिये जाने पर दिलबर भूआर्य गांव के अन्य लोगों के साथ मनोहर मंडावी को थाना मंगचुवा लेकर आये और थाना में जानकारी दिये। थाना मंगचुवा द्वारा अपराध क. 41 / 2019 पर धारा 302, 201 भा.दं.सं. का प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर प्रकरण विवेचना पूर्ण कर न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया। जहां विचारण न्यायालय द्वारा प्रकरण में आये साक्ष्य के आधार पर उक्त दण्ड से दण्डित किया गया। धारा 357-कदं.प्र.सं. के प्रावधान अनुसार मृतिका कीर्ति भूआर्य के संरक्षक या विधिक उत्तराधिकारी (अभियुक्त मनोहर मंडावी जो कि मृतिका का पति है, को छोड़कर) को छ.ग. शासन द्वारा निर्मित पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना के अनुसार प्रतिकर राशि दिलायी जाने का आदेश पारित किया गया।

लाश की जगह मिला था सिर्फ कंकाल

बता दे की घटना इतनी पुरानी हो चुकी थी कि जब मामले का खुलासा हुआ तो पत्नी की लाश भी नहीं मिली। सिर्फ कंकाल प्राप्त हुए थे। जो कि 2 पत्थरों के बीच दबे पड़े थे। आरोपी पति लोगों को यही कहानी बताता था कि पत्नी मायके गई है। इधर मायके में पत्नी थी ही नहीं। जब कई महीनों तक बेटी घर नहीं आई ना उसका कुछ पता चलता था तो फिर मायके पक्ष वालों को संदेह हुआ और ग्रामीणों ने फिर कड़ाई से पति से पूछताछ की। जिसके बाद उसने बताया कि वह अप्रैल में ही उसकी हत्या कर जंगल में उसे फेक चुका है।

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