भाजी म भगवान..
भाजी म सिरी भगवान बसे,अउ मास म बसे मसान जी।मोर गोठ ल गुनव थोरकिन,जम्मों लइका सियान जी। पर के बुध म परबुधिया आथे,अपन बुध चलथे बुधमान जी।मोर गोठ कतका सहीं…
भाजी म सिरी भगवान बसे,अउ मास म बसे मसान जी।मोर गोठ ल गुनव थोरकिन,जम्मों लइका सियान जी। पर के बुध म परबुधिया आथे,अपन बुध चलथे बुधमान जी।मोर गोठ कतका सहीं…
मोहागेव तहु मन हा समारू,सोले अउ देशी दारू म।त बोहावत नाली अउ कचड़ा,के ढ़ेरा बर कहां बोल पाहू तुमन।। मोहागेव दाई,दीदी तहु मन,दु सौ रुपया अउ एकठन।लुगरा म त तुहर…
मनुष्य विधाता की सर्वश्रेष्ठ रचना है।वह विधाता की सर्वोत्तम अभिव्यक्ति भी है। हमारी संस्कृति में मनुष्य शरीर की काफी महिमा गायी गयी है। स्वस्थ जीवन का महत्व भी बताया गया…
भारत का जनजातीय समाज अपनी पारम्परिक विशेषता के लिए पहचाना जाता है । इस समाज में मौखिक शिक्षा की परम्परा रही है। अपनी सभ्यता संस्कृति और सहजता की विशिष्टता लिए…
कोई भी लोकपर्व हमारे जनजीवन को सुसंगठित और सुरभित करने की कार्य करती है ।ऐसा ही भारतीय ,प्राचीन देशज सभ्यता और संस्कृति का सुमेल करने वाली महान धार्मिक पर्व है…
लेख: बिजेंद्र सिन्हा दुर्ग राम राज्य की चर्चा इन दिनों जोरों पर है परन्तु राम राज्य से पहले प्रेम राज्य होना चाहिए। विद्वानों का मत है कि राम राज्य की…
लेख बिजेंद्र सिन्हा दुर्ग समर्थ स्वास्थ्य के आधार पर ही परिवार व समस्त राष्ट्र समर्थ बनता है। हमारी संस्कृति में आरोग्य या उत्तम स्वास्थ्य को धर्म अर्थ काम और मोक्ष…
छानी के ओरवाती ल लिप बहार के।पिड़वा के आसन म,लोटा मुखारी डार के।।अब का सुग्घर तोरई फूल चघावत हस।बरा सोंहारी रांध के,पितर मनावत हस।। बासी संग म कभू आमा चानी…
📚अगर तुम शिक्षित हो तो📚 अगर तुम शिक्षित हो तो ,,भूलकर भाषा की मर्यादाक्यों बड़ों को आंख दिखाते हो।।सीना चौड़ा कर गुस्से में,बिन सोचे,अपनों को ही जाने क्या-क्या कह जाते…
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