चुनाओ म मोहाना नई हे

मोहागेव तहु मन हा समारू,
सोले अउ देशी दारू म।
त बोहावत नाली अउ कचड़ा,
के ढ़ेरा बर कहां बोल पाहू तुमन।।

मोहागेव दाई,दीदी तहु मन,
दु सौ रुपया अउ एकठन।
लुगरा म त तुहर गली लाइन,
बर कहा बोल पाहू तुमन।।

मोहागेव नवजवान संगी मन,
एक किलो कुकरी अउ बकरा म।
त तोर गाँव के विकास अउ उन्नती,
बर कहा बोल पाहू फिर तुमन।।

अउ मोहागेव पुरा गाँव वाला मन,
तब तो होगे पुरा गाँव के बंटाधार।
फेर गाँव के विकास कईसे करहु,
पांच बछड़ पछताहू फिर तुमन।।

मोहाना नई हे,लालच मे नई आना हे,
नवजवान पढ़े-लिखे,साक्षर मनखे ला।
आप गाँव के पंच,सरपंच बनाना हे,
अउ गाँव के विकास म हाथ बढ़ाना हे।।

कर ले संगी तेहा तईयारी,
कोई न बच पाऐ ऐबखात मतधारी।
मिल जुल के हाथ बड़ाना हे,
सब ल वोटिंग-वोट दालना हे संगवारी ।।

नानकुन लेखक        
    रिषी कंवर

गाँव-पोटिया (फुलकर्रा)
जिला-गरियाबंद छत्तीसगढ़

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