इस गांव में बैंक खुलवाने , शराब बंद कराने, मोहड़ डैम का पानी लाने जिद में बैठे किसान, पढ़िए पूरा मामला?
बालोद।
डौंडीलोहारा ब्लाक के ग्राम रेंगाडबरी में गुरुवार को ग्रामीण किसान अपनी तीन प्रमुख मांगों को लेकर सुबह से शाम तक धरने पर बैठे रहे। उनका धरना 1 दिन का नहीं था बल्कि अनिश्चितकाल के लिए है। जब तक कि उनकी मांगे पूरी नहीं हो पाती। ग्रामीण किसानों की प्रमुख मांग गांव में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की शाखा खुलवाना है। तो साथ ही शराबबंदी को अमल में लाने और मोहड जलाशय का पानी गांव के किसानों को दिलाने की प्रमुख मांगे हैं। पहले से ही किसानों ने अल्टीमेटम दिया था लेकिन कोई सुनवाई नहीं है। जिसके बाद लोगों के सब्र का बांध टूट गया है और पूरा गांव एकजुट होकर शासन प्रशासन, भाजपा कांग्रेस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए धरना प्रदर्शन में बैठा हुआ है। किसानों का कहना है कि हमारी मांग किसी सरकार ने अब तक नहीं सुनी है। 10 साल से हम यह मांग दोहराते आ रहे हैं पर सब सरकार बहरी है। इसलिए यहां के ग्रामीण भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही खिलाफ लामबंद हो चुके हैं। गुरुवार को सुबह से पंडाल लगाकर पूजा पाठ के साथ ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन, भाषण बाजी, नारेबाजी शुरू की। बकायदा मौके पर भारत माता और शहीदों की फोटो लगाकर उनकी पूजा-अर्चना कर यह आंदोलन शुरू किया गया। तो इस आंदोलन की खबर पहले से होने के कारण शासन प्रशासन के लोग भी सुबह 11 बजे से गांव पहुंच चुके थे। पर लोगों को समझाने का प्रयास भी नहीं कर रहे थे। अंततः सुबह 11:00 से शाम 5:00 बजे तक पहले दिन का धरना तो समाप्त हुआ पर अधिकारियों से किसी तरह की चर्चा इस दौरान नहीं हो पाई। अधिकारी आए थे पर सुलह नहीं हो पाई। ग्रामीण शुक्रवार को भी धरने पर बैठेंगे।
गांव में बंद रहा कामकाज और दुकानें भी
ग्रामीणों की एकजुटता इस आंदोलन में देखने को मिली। यह एक वनांचल का प्रमुख गांव माना जाता है जो कि आसपास के कई गांव का केंद्र बिंदु भी है। यह व्यवसायिक क्षेत्र से भी महत्वपूर्ण है। ऐसे में यहां के लोग एकजुट होकर गांव बंद कर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। गुरुवार को खेती किसानी का कार्य बंद रहा तो साथ ही व्यवसायिक दुकानें भी बंद रखी गई। सभी ने एकजुटता के साथ आंदोलन का समर्थन किया और धरने पर बैठे रहे।
10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है बैंक के लिए
वनांचल में बसे होने के बावजूद रेंगाडबरी के लोगों को बैंकिंग की सुविधा नसीब नहीं होती। गांव से 10 किलोमीटर दूर भवरमरा के बैंक में उन्हें जाना पड़ता है। इस से खासतौर से किसानों को काफी दिक्कत झेलनी पड़ती है। जो बैंक खुलवाने की मांग कर रहे है। जो बैंक खोलने की मांग है वह दरअसल में किसानों से संबंधित ही है। धान बेचने के बाद भुगतान के लिए किसानों को 10 किमी दूर चक्कर काटना पड़ता है। 10 से 12 साल से गांव में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की शाखा खोलने की मांग की जा रही है। पर अब तक किसी द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसके लिए कई जनप्रतिनिधि तक दरवाजा खटखटा चुके हैं। भाजपा के काल में हो या कांग्रेस के काल में मंत्री तक जा चुके हैं।
मोहड़ जलाशय का पानी मिलना चाहिए किसानों को
किसानों का यह भी कहना है कि मोहड़ डैम हमारे क्षेत्र में पड़ता है लेकिन इसका पानी हम ही को नहीं मिलता है। यह कितना बड़ा दुर्भाग्य है। मोहड़ का पानी क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए दिया जाना चाहिए ।जबकि सिंचाई विभाग यहां के पानी को निजी क्षेत्र में पहुंचाता है। जबकि इसमें पहला हक किसानों का होना चाहिए।
बढ़ रही नशाखोरी, शराबबंदी हो, कांग्रेस ने किया वादा है, निभाना पड़ेगा
ग्रामीणों ने एकजुट होकर शराबबंदी के खिलाफ भी आवाज उठाई। खासतौर से महिलाओं ने कहा कि शराब की बिक्री से गांव का माहौल बिगड़ रहा है। छोटे-छोटे बच्चे शराब की लत में है। तो वहीं कई परिवार तबाह हो रहा है। सरकार ने स्वयं सत्ता में आने की पूर्व घोषणा पत्र में कहा था कि हम शराबबंदी करेंगे। उस वादे को सरकार को याद दिलाते हुए धरना प्रदर्शन में इस मांग को भी प्रमुखता से जोड़ा गया है। और वे धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। महिलाएं शराबबंदी के लिए नारेबाजी करती नजर आई और भूपेश सरकार से इस पर जल्द से जल्द पहल करने की मांग की।
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