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मां से एक प्यार ऐसा भी – 11 साल की उम्र की थी जब चल बसी इनकी मां, नवरात्रि में अब गांव के लिए भेंट करती है मां दुर्गा की प्रतिमा, पढ़िये श्रद्धा- भक्ति की मिसाल बनी स्वास्थ्य कार्यकर्ता ललिता यादव की कहानी

ललिता द्वारा भेंट की गई प्रतिमा

बालोद गुरुर ब्लाक के ग्राम अरमरीकला की रहने वाली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्वास्थ्य कर्मचारी सुश्री ललिता यादव मां दुर्गा के प्रति श्रद्धा भक्ति की एक अनूठी मिसाल हैं। वे विगत 3 वर्षों से अरमरीकला के ग्रामीणों के लिए नवरात्रि में मां दुर्गा की प्रतिमा बनवा कर भेंट करती है। उनके द्वारा बनवाई गई प्रतिमा की स्थापना गांव में होती है। 9 दिनों तक आराधना के बाद विसर्जन होता है। मां के प्रति इस तरह लगाव स्वास्थ्य कार्यकर्ता ललिता यादव में बचपन से ही था। क्योंकि उनके बचपन के अधिकतम वर्ष भी मां के ही बिना बीते हैं। ललिता बताती है कि जब उनकी उम्र महज 11 साल की थी तो उनकी मां का निधन हो गया। इससे उन्हें काफी दुख हुआ और एक मां के ममता की कमी के बीच उनका बचपन गुजरा। पर देवी मां के प्रति भक्ति कम नही हुई। अंतर्मन से मां दुर्गा को मां स्वीकारने लगी। विगत 6 से 7 साल पहले उनके पिता भी गुजर गए। वह अपने भाई के साथ रहती हैं। मूल निवास राजनांदगांव है पर अरमरीकला गुरुर ब्लॉक में स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ है अब यही रहना होता है। ग्रामीणों ने बताया कि निस्वार्थ भाव से ललिता यादव गांव के लिए विगत 3 साल से दुर्गा प्रतिमा भेंट कर रही है। उनकी भेंट की हुई प्रतिमा की स्थापना गांव में की जाती है।विगत 10 वर्षों से यहां मूर्ति स्थापना का दौर चल रहा है। जिसमें 3 वर्षों से मां दुर्गा की प्रतिमा दान करने में ललिता यादव का योगदान है। उनके द्वारा दान की गई प्रतिमा को गांव के बाजार चौक में स्थापित किया गया है और पूरे भक्ति भाव के साथ ग्रामीण मां की आराधना कर रहे हैं। ग्रामीण भुवन लाल,संजय,खिलेंद्र,राजा टेकराम डेमन लाल,नेतराम,कल्याण ,प्रदीप,समन लाल,शिव,नन्दकुमार सहित अन्य ने ललिता यादव की पहल की सराहना की। वहीं ललिता यादव की यह भी सोच है कि उनसे प्रेरित होकर अन्य गांव में भी इस तरह की पहल होनी चाहिए ताकि नवरात्रि में दुर्गा स्थापना की परंपरा व भक्ति की धारा बहती रहे।

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