3 ब्लॉक के सरपंचों ने शुरू किया धरना प्रदर्शन, तीजा के बाद अनिश्चित कालीन हड़ताल में बैठेंगे

बालोद। विगत दिनों बिलासपुर में हुए प्रदेश स्तरीय सरपंच संघ की बैठक के बाद प्राप्त निर्देशों के आधार पर अपनी 13 सूत्रीय मांगों को लेकर बालोद जिले के 3 ब्लॉक बालोद, डौंडी और डौंडीलोहारा के सरपंचों ने 25 अगस्त गुरुवार से हड़ताल शुरू कर दी है। इस क्रम में सभी सरपंच ब्लॉक स्तर पर अपने अपने क्षेत्र में धरना स्थल में बैठे रहे और शासन प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की गई। बालोद में बस स्टैंड के पास ब्लॉक सरपंच संघ के अध्यक्ष अरुण साहू के नेतृत्व में धरना दिया गया। जिसमें उपाध्यक्ष मनीष गांधी, संरक्षक दिनेश सिन्हा, फलेश्वरी तांडव, लीला राम, खिलावन साहू, शिवराम ठाकुर, गिरीश कुमार निर्मलकर, गजेंद्र यादव, गजेंद्र ठाकुर, मिथलेश्वरी भुआर्य, चित्रलेखा, कुलेश्वरी ठाकुर, मीडिया प्रभारी दानेश्वर सिन्हा सहित ब्लॉक के अन्य सरपंच साथी मौजूद रहे। सरपंच संघ के ब्लॉक अध्यक्ष अरुण साहू ने बताया कि अभी 2 दिनों का हड़ताल और धरना प्रदर्शन है। तीजा के बाद अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की जाएगी। वे प्रदेश अध्यक्ष आदित्य उपाध्याय के दिशा निर्देशन में हड़ताल कर रहे हैं।

क्या है सरपंचों की प्रमुख मांगे

सरपंच संघ बालोद के अध्यक्ष अरुण साहू ने बताया कि अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सरपंच संघर्ष कर रहे हैं। शासन प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन मांगों में प्रमुख रूप से सरपंच एवं पंचों को मानदेय राशि में वृद्धि की मांग शामिल है। जिसमें मांग की गई है कि सरपंचों को 20,000 और पंचों को 5000 मानदेय दिया जाए। सरपंचों ने ज्ञापन में पीड़ा बताई है कि हाल ही में भूपेश सरकार ने मानदेय वृद्धि करते हुए सरपंचों को 2000 की जगह 4000 और पंचों को 200 की जगह 500 देने की घोषणा की थी। लेकिन एक सरपंच के लिए उक्त मानदेय सम्मानजनक नहीं है। महंगाई चरम सीमा पर है। सरपंच गरीब मजदूर किसान वर्ग के भी होते हैं जो अपने गांव के काम हित के लिए 5 से 25 किलोमीटर दूर जनपद, तहसील, जिला दफ्तर आते जाते हैं। एक सरपंच का खर्चा प्रतिदिन कम से कम ₹500 तो महीने में 15000 होता है। और मात्र 4000 में फिर परिवार भी चलाना पड़ता है। जिसे देखते हुए मानदेय बढ़ाने की मांग की जा रही है। सरपंचों को पेंशन देने की मांग प्रमुख है ताकि उन्हें बुढ़ापे की चिंता ना हो। सरपंचों को आजीवन 10000 रुपए पेंशन देने की मांग की जा रही है। 50 लाख राशि तक के सभी कार्य में एजेंसी पंचायत को ही बनाने की भी मांग है। साथ ही सरपंच निधि के रूप में राज्य सरकार के द्वारा प्रत्येक पंचायत को ₹10 लाख दिया जाना चाहिए। नक्सली क्षेत्रों में सरपंचों को मारे जाने पर आर्थिक सहयोग और परिवार के सदस्य को नौकरी दिया जाना चाहिए। 15 वा वित्त आयोग अनुदान राशि का आवंटन समान रूप से मिलना चाहिए
15 वे वित्त आयोग की राशि को अन्य योजनाओं के निर्माण कार्य में अभिसरण नहीं किया जाना चाहिए। नरेगा सामग्री राशि हर 3 महीने में भुगतान होना चाहिए। नरेगा निर्माण कार्य प्रारंभ करने के लिए 40% अग्रिम राशि प्रदान किया जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ सरपंचों के कार्यकाल को 2 वर्ष और बढ़ाया जाना चाहिए। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि कोरोना के चलते सरपंच कार्य नहीं कर पाए हैं। प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण का लाभ दिया जाना चाहिए। 3 वर्षों से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण गरीबों को आवास दिया जाता था वह बंद है। जिससे हितग्राही बेघर होकर जीवन यापन कर रहे हैं। योजना की राशि डेढ़ लाख से बढ़ाकर 2 लाख किया जाए। क्योंकि निर्माण सामग्री की मूल्य में भी वृद्धि हो गई है।

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