स्वास्थ्य विभाग ने नकारा, पीएम करवाने पहुंचे तब तक हो गया अंतिम संस्कार
बालोद। ग्राम बरही में 20 साल की एक लड़की दिव्या सिन्हा की गुरुवार को शाम करीब 4 बजे आकस्मिक मौत हो गई। परिजन कह रहे हैं कि लड़की को उल्टी दस्त की शिकायत थी। जिसके बाद उसे सिवनी में संचालित उम्मीद नामक अस्पताल में ले गए थे। जहां डॉक्टर ने मौत होने की जानकारी दी। डॉक्टर ने परिजनों को सलाह भी दी कि इसका पीएम करवाना पड़ेगा। पर परिजन बिना पीएम करवाएं शव को घर ले आए। बाद में देर शाम को जब मामले की खबर स्वास्थ्य विभाग तक पहुंची तो प्रशासन हरकत में आ गया। उल्टी दस्त की बात सुनकर प्रशासन को लगा कि गांव में कहीं डायरिया आदि तो नहीं फैल गया है। स्वास्थ्य विभाग, पुलिस प्रशासन, राजस्व विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई और जांच शुरू की गई। ऐसा मालूम हुआ कि यहां तो कोई ऐसा उल्टी-दस्त का प्रकोप नहीं है। जिस परिवार में मौत हुई वहां भी किसी को ऐसी शिकायत नहीं है। तो फिर लड़की की मौत कैसे हुई इसकी पुष्टि के लिए ही पीएम की बात कर रहे थे। लेकिन अधिकारियों की टीम गांव पहुंची तब तक लड़की के शव को अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम ले जाया गया था। पुलिस प्रशासन द्वारा कोटवार को रुकवाने की बात कही गई थी। लेकिन परिजन नहीं माने और देर शाम को अंतिम संस्कार कर दिया गया। इधर गांव में जांच करने स्वास्थ विभाग की टीम पहुंची है। यहां उप स्वास्थ्य केंद्र भी है। जहां लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है।
जांच के दौरान पूर्व सरपंच ने लगाया विभाग के कर्मचारी पर दुर्व्यवहार का आरोप
पूर्व सरपंच नरेंद्र सिन्हा ने इस जांच के दौरान स्वास्थ्य विभाग की ओर से आए आरके सोनबोइर पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति शुगर जांच कराने के लिए गया तो उन पर नाराज होते हुए आर के सोनबोइर ने कहा कि बार-बार शुगर जांच कराने की जरूरत नहीं । 3 महीने में एक बार करवाना चाहिए। पूर्व सरपंच ने कहा कि उनका यह व्यवहार रूखा लगा। इससे ग्रामीणों में नाराजगी है। उनकी शिकायत कलेक्टर व विभाग के अधिकारियों से करेंगे। वही आरके सोनबोइर ने कहा कि ऐसी कोई दुर्व्यवहार मैंने नहीं की है। जो व्यक्ति शुगर जांच कराने के आया था उन्होंने पहले मुझसे बात छुपाई कि वह दवाई नहीं ले रहे हैं। 2 माह पहले शुगर जांच करवाई भी है। और अभी 15 दिन से दवाई नहीं ले रहे हैं। यह बात बाद में बताया। दो माह पहले उसने जांच करा ली इसलिए मैंने उन्हें ऐसा कहा कि बार-बार मत कराओ। 3 माह के अंतराल में करवाना। जब उन्होंने दवाई ना लेने की बात बाद में बताइ तो मैंने अलग से और सलाह दी है। किसी से मैंने दुर्व्यवहार नहीं किया है। आरोप निराधार है।
इधर मौत पर बीएमओ पहुंचे जांच में, परिजन पीएम नहीं करने दिए
इधर घटना की जानकारी मिलने के बाद बीएमओ डॉ एस के सोनी व उनकी टीम भी यहां जांच के लिए पहुंची थी। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने लड़की की मौत पर पीएम कराने का सलाह दिया था। उसे परिजन निजी अस्पताल ले गए थे। लेकिन बिना पीएम कराएं परिजन शव को गांव ले आए और देर शाम को अंतिम संस्कार कर दिया गया। हमने उन्हें रुकने के लिए कहा था लेकिन वह नहीं रुके। गांव पहुंचे तो परिजन उल्टी दस्त से मौत की बात कह रहे हैं। जबकि गांव में ऐसी कोई शिकायत नहीं है। लड़की की मौत कैसे हुई यह जांच का विषय बन गया है। परिजनों से पूछताछ किया जा रहा है। गांव में नल जल योजना से शुद्ध पानी मिल रहा है। गंदा पानी की शिकायत भी नही है। ऐसे में उल्टी दस्त से ही मौत होने की बात हजम नहीं हो रही है। इसलिए पीएम कराना चाह रहे थे। पर परिजन तैयार नहीं हुए और अंतिम संस्कार कर दिया गया। गांव में स्वास्थ्य परीक्षण के लिए टीम भी पहुंची। पर ऐसा कोई प्रकोप नहीं देखने को मिला। बाकी लोग स्वस्थ हैं।
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