बालोद । रमजान के इस रोजे के बाद खुशी का इजहार करने के लिए ईद का त्यौहार बड़ी शान और शौकत के साथ मुस्लिम भाइयों ने मनाया। जिसमें जामा मस्जिद के पेश इमाम हजरत मुनीर रजा साहब ने ईद के बारे में बयान फरमाया कि यह गरीब, अमीर, यतीम सारे लोगों की ईद होती है। अगर कोई गरीब हो और उसके तन पर कपड़ा ना हो तो अमीरों को चाहिए कि उसकी खुशी के लिए कपड़े का इंतजाम करें ।एक बार का वाकया है कि ,हमारे रसूल सल्लल्लाहो तआला अलैहे वसल्लम ईदगाह जा रहे थे कि रास्ते में देखा कि एक बच्चा रो रहा है। सरकार ने फरमाया तुम क्यों रो रहे हो ।बच्चे ने कहा मुझे अपने हाल पर छोड़ दीजिए। सरकार ने बार-बार बच्चे से पूछा तो बच्चे ने कहा कि मेरे मां-बाप इंतकाल कर गए हैं ।अगर वह होते तो मुझे भी नए कपड़े पहना कर लेकर आते। इतने में सरकार ने फरमाया के बच्चा अगर तुम्हारी मां फातिमा हो जाए और बाबा अली हो जाए और भाई हसन हुसैन हो जाए और नाना इमाम उल अंबिया हो जाए तो क्या तुम्हें खुशी ना होगी।बच्चे ने कहा अगर वह मिल गए तो सारी कायनात मिल गई।दो जहान की दौलत मिल गई ।सरकार ने उस बच्चे को अपने बेटी के घर ले गए और कपड़े पहनाया, इत्र लगाया और हसन हुसैन के साथ शामिल किया। वहीं बच्चा जो रो रहा था ।अब वह खुश है। इससे साबित होता है की गरीबों पर तरस खाना उनकी इमदाद करना हमारे सरकार की सुन्नत है। हाफिज मुनीर रजा ने आगे कहा कि रमजान का रोजा रोजेदारों के लिए ईद तोहफा है। अगर उसके रोजे बारगाह इलाही में मकबूल है ।उसके लिए ईद है। ईद का माना खुशी है।
ईद की नमाज के बाद मौलाना मुनीर रज़ा ने इस मुल्क के हिंदुस्तान की खुशहाली, तरक्की व अमनो अमान और भाई चारगी व आपस मे मेल मोहब्बत के लिए दुआएं की।
ईद के नमाज के बाद सभी मुस्लिम भाई सलातो सलाम पेश किए और एक दूसरे से गले मिलकर मुबारकबाद पेश किए ।पश्चात छत्तीसगढ़ फाउंडेशन वेलफेयर सोसाइटी की जानिब से मुस्लिम बच्चों को इदी देकर हौसला अफजाई की गई।
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