बालोद। अवैध शराब बिक्री को लेकर लगातार बदनाम ग्राम जगन्नाथपुर में स्थिति विस्फोटक हो चली है। गांव के माफ़ियाओं की हरकतों से यहां का माहौल सुधर नहीं रहा है। पुलिस उन्हें पकड़ती है और एक-दो दिन में जमानत पर रिहा होकर आ जाते हैं और दोबारा वे तेजी से दुगनी मात्रा में शराब बेचने लगते हैं। गांव के बिगड़ते माहौल और अस्तित्व के संकट को देखते हुए अब यहां के युवा एकजुट होकर शराब बंदी के खिलाफ लड़ाई लड़ने आगे आए हैं। जिसमें खासतौर से गांव की बेटियां शराब कोचियो के खिलाफ खड़े हुए हैं और सरकार को चेतावनी दे रहे हैं कि यह सब बंद करो। गांव के युवा और बेटियों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर एसपी और कलेक्टर के नाम से इस संबंध में ज्ञापन भी दिया। मीडिया के सामने बेटियों ने शराब बेंचने वालों के मुंह पर शब्दों से तमाचा मारते हुए कहा कि शराब बेचने वालों को मना करते हैं तो वे कहते हैं कि हम बेरोजगार हैं, गरीब हैं। शराब बेचने से हमारा घर चलता है, आमदनी होती है ऐसा कहते हैं। तो क्या हम भी तो बेरोजगार हैं, पढ़ लिखकर खाली बैठे हैं। सरकार हमें परमिशन दें तो हम भी शराब बेचेंगे। चौक पर स्टाल लगाकर शराब बेचेंगे। बेटियों के ये बोल सरकार को भी झकझोर कर देने वाली है। लेकिन बात वही है आखिर सरकार के नुमाइंदों के कान के नीचे जूं कब रेंगेगी। पुलिस प्रशासन को भी इन बेटियों ने अपने बयानों में जमकर खरी-खोटी सुनाई। खुलकर युवाओं ने कहा कि जहां पुलिस आरोपियों को पकड़ती है और 10000-20000 लेकर छोड़ देती है। ऐसे कई केस सामने आ चुके हैं। गांव में मदिरा प्रेमियों के चलते शाम को रोज मेला जैसा नजारा होता है। बेटियों ने कहा कि हमारा घर से निकलना मुश्किल हो गया है। कोचिंग जाने से घबराते हैं। छेड़खानी छींटाकशी की घटनाएं हो रही है।
जान से मारने तक की देते हैं धमकी
शराब बेचने वालों के खिलाफ आवाज उठाने वालों को जान से मारने की धमकी दी जाती है। युवा जो संगठित होकर इसके खिलाफ लड़ाई लड़ने को तैयार हुए हैं उन्हें भी कुछ कोचिए धमकी दे रहें हैं। बेटियों को ताना भी मार रहे हैं कि अपने घर को पहले सुधारो। युवाओं का कहना है कि हमारा उद्देश्य गांव को सुधारना है और उसके लिए सब को मिलकर आगे आना होगा। एक दूसरे की टांग खींचने, बुराई करने के बजाय हमें इस शराब बिक्री के बुराई को जड़ से खत्म करना होगा। ताकि परिवार तबाह होने से बचे। शराब की लत से छोटे-छोटे बच्चे अपना भविष्य खराब कर रहे। जिन बच्चों के हाथों में किताब होनी चाहिए वह शराब की बोतल बिन रहे।
यह पहुंचे थे शिकायत करने
शराब बिक्री को गांव में पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग व शराब माफियाओं पर नकेल कसने की मांग को लेकर गांव के युवा गुनेश्वर, चीतेश्वर, खिलेंद्र, कौशल, पोसकरण देशमुख, तीरथ, पंकज, सतीश यादव, हुलेंद्र, लेख राम, गिरधर, संतोष, मनोज कुमार, कृपाल, भारती देशमुख, चंचल देशमुख, खिलेश्वरी पटेल, भूमिका देशमुख, श्वेता, पार्वती, नेहा, चुनेश्वरी, शीला, नीलकंठ सहित अन्य युवा पहुंचे थे। इनके समर्थन में स्वयं सरपंच अरुण साहू भी मौजूद थे।
गांव की सुख शांति गायब, माफियाओं का चल रहा राज
युवाओं ने खुलकर कहा कि गांव में अवैध शराब बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। इससे गांव की सुख शांति गुम हो गई है। माफिया सुबह से शाम तक गांव में कई खेप शराब खफा देते हैं। ऊंचे दामों पर बेचते हैं। उन्हें शराब बेचकर प्रति पव्वा 120 से 150 रुपए तक आमदनी तो होती है। लेकिन वे शराब की लत में इतने आदी हो चुके हैं कि अपने परिवार भी तबाह कर हैं। उनकी कमाई उन्हीं को ही रास नहीं आ रही है और वे कर्ज तले दबे जा रहे हैं। परिवारिक कलह बढ़ गया है। मेहनत और पसीने से कमाई मजदूरी की राशि वे शराब में फूंक रहे हैं। गांव के जागरूक युवाओं और लोगों को चिंता होती है कि यह कहीं कोई अप्रिय घटना ना हो जाए। बुजुर्गों के जमाने में जगन्नाथपुर अच्छे काम के चलते मशहूर था। लेकिन आज चंद शराब माफियाओं की वजह से गलत कार्यों में मशहूर हो गया है।
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