अवैध शराब बिक्री का गढ़ बना जगन्नाथपुर, रोज 60 हजार से ज्यादा की खप रही शराब, महीने में 20 लाख का अवैध कारोबार
बेचने वाला एक शख्स का ऐसा जवाब – काम नहीं मिलता इसलिए मजबूरी में बेच रहे शराब
शराब बेंचने वालों के सामने बौना साबित हो रहा पुलिस और प्रशासन
गांव में रोज 500 पव्वा से भी ज्यादा शीशियां हो जाती है इकट्ठा
बालोद। बालोद ब्लाक का ग्राम जगन्नाथपुर इन दिनों अवैध शराब बिक्री का गढ़ बन चुका है। यह अतिशयोक्ति नहीं होगी कि पूरे बालोद जिले में सबसे ज्यादा अवैध शराब यही बिक रही है। सुबह अगर यहां शराब की खाली बोतल शीशी तलाश में आएंगे तो 500 से ज्यादा शीशियां निकल आएंगे। यह हम नहीं खुद खाली शीशियां खरीदने वाले दुकानदार बयां करते हैं। अगर रोज इतनी शराब खप रही है तो महीने में 20 लाख से अधिक का अवैध शराब इस गांव में बिक रहा है। 80 रुपये में मिलने वाली देसी शराब को गांव के शराब बेचने वाले 120 से 150 रुपये तक में बेच रहे हैं। और उनके खरीदार भी सैकड़ों हैं। लगातार बढ़ती अवैध शराब बिक्री से गांव का माहौल काफी बिगड़ने लगा है। एक वक्त था जब गिने-चुने लोग इस कारोबार में उतरे थे। लेकिन अब मानो इस गांव में शराब बेचने वालों की बाढ़ सी आ गई है। ऐसा कोई मोहल्ला या गली नहीं है जहां के लोग शराब बेचने में संलिप्त नहीं है। हर मोहल्ले में दो-तीन लोग ऐसे जरूर निकलेंगे जो शराब बेचते हैं। ऐसा भी नहीं है कि उनकी करतूत कभी सामने नहीं आई है। 5 से 7 लोग ऐसे निगरानीशुदा शराब बेचने वाले पुलिस की पकड़ में आ भी चुके हैं लेकिन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। कुछ ऐसे हैं जो नए-नवेले इस कारोबार में आए हैं और पुलिस ने उन्हें पकड़ा भी है लेकिन उनके होश ठिकाने अब तक नहीं आए और कुछ तो ऐसे हैं जो पुलिस की आंखों के अलावा पंचायत प्रशासन को भी चकमा देकर खुलेआम शराब बेच रहे हैं। 1 दिन में अगर लगभग 500 पव्वा शराब बिक रही है और कीमत एक पव्वा के 120 रुपये माने तो प्रतिदिन यहां 60 हजार रुपये का कारोबार हो जाता है। महीने में 18 से 20 लाख की अवैध शराब खप रही है। पंचायत प्रशासन भी इन अवैध शराब कारोबारियों से त्रस्त हो चुका है। स्वयं सरपंच अरुण साहू का कहना है कि मैं खुद कई बार एसपी, कलेक्टर और थाने तक जा चुका। पर कोई कार्यवाही नहीं होती। कोई ध्यान नहीं दिया जाता। कुछ लोगों को पकड़ा गया लेकिन जमानत पर रिहा हो जाते हैं और कारोबार चलता रहता है। अवैध शराब बिक्री के मामले में आबकारी विभाग यानी शासन की शराब की सीमा का नियम कमजोर होना भी एक बड़ी वजह है। 16 पव्वा शराब एक व्यक्ति खरीद सकते हैं, लोग इसी सीमा का फायदा उठाते हैं और बेचने वाले खुद या फिर अन्य साथी को ले जाकर 16-16 पव्वा एक व्यक्ति के हिसाब से खरीद कर लाते हैं और उन्हीं को रोज का रोज अवैध रूप से खपाते हैं। पुलिस कभी उन्हें पकड़े तो उनके पास उनकी निर्धारित सीमा के अंदर ही शराब मिलती है तो कार्यवाही भी नहीं हो पाती और इसी के चलते शराब बेचने वाले के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। पर भावी पीढ़ी को यह बर्बाद भी कर रहे हैं। इसकी चिंता गांव के जागरूक लोगों को होने लगी है पर शासन प्रशासन का अपेक्षित सहयोग न मिलने से यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है और देखते-देखते जगन्नाथपुर गांव जो अपने अच्छे कार्यों के लिए शुमार था, अब शराब बिक्री का गढ़ बन चुका है।
ये क्या बात हुई,,,, शराब बेचने वाला कहने लगा- मेरी मजबूरी तुम क्या जानो
कई वर्षों से शराब के कारोबार में संलिप्त एक व्यक्ति से जब हमने पूछा कि ऐसा क्यों करते हो, शराब नहीं बेचनी चाहिए तो व्यक्ति का जवाब भी अजब-गजब था। कहने लगा कि मेरे पास कोई काम नहीं था, काम ढूंढा मिल नहीं रहा था। तो क्या करता। मेरी मजबूरी है इसलिए शराब बेच रहा हूं और घर चला रहा हूं। शराब बेचने वाले का जवाब अगर ऐसा है तो क्या हर बेरोजगार यही काम करेगा? इस गांव में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो पहले रोल आमलेट बेचा करते थे वे आज धंधा बंद कर शराब बेच रहे हैं। तो कई लोग ऐसे हैं जो अलग-अलग दुकान चला रहे हैं पर आड़ में शराब बेच रहे हैं।
ऐसा रहता है नजारा
शराब बिक्री के निशान देखने हैं तो सुबह यहां आ जाइए आपको जगह-जगह शराब की शीशियां मिलेंगे। छोटे-छोटे बच्चे शराब की बोतल इकट्ठा करते रहते हैं। जगह-जगह पानी पाउच व डिस्पोजल भरा पड़ा है। पंचायत द्वारा बनाए गए सार्वजनिक शौचालय के पास तो मानो चखना दुकान जैसा नजारा रहता है। इनके सामने बालोद फेल है। टावर के आसपास पियक्कड़ों का झुंड जमा हो जाता है। वजह इसकी यही है कि शराब बेचने वाले इसके आसपास ही तैनात रहते हैं। लोग उनसे शराब लेते हैं और यहां आकर छलकाते हैं।
डिक्की गिरोह हुआ सक्रिय
शराब के इस कारोबार को काफी चालाकी से अंजाम दिया जा रहा है। शराब बेचने वालों का एक डिक्की गिरोह बन चुका है। डिक्की यानी की बाइक की डिक्की में शराब रखते हैं और कहीं पर भी छुपा देते हैं और जब ग्राहक आते हैं तो उन्हें वे लाकर दे देते हैं। कुछ तो ऐसे हैं जो जेब में ही शराब रखे रहते हैं और ग्राहक आने के बाद किस्तों में बेंचते जाते हैं। पुलिस की पकड़ में ना आए इसलिए कम स्टाक अलग-अलग जगह पर छुपाते हैं। इन दिनों गांव में धान कटाई के लिए दूसरे प्रांत से हार्वेस्टर वाले भी आए हुए हैं। इस वजह से अवैध शराब बिक्री भी और चरम पर हो गई है। गांव के लोग जो शराब बिक्री में जुटे हैं, एक बड़ा स्टॉक इन दूसरे प्रांत से आए लोगों को उपलब्ध करवा रहे हैं। जगन्नाथपुर में आसपास के 5 से 10 गांव के लोग शराब खरीदने के लिए आते हैं। वजह यह है कि बालोद उन्हें दूर पड़ता है और पेट्रोल का रेट महंगा है। बालोद जाने से अच्छा उन्हें नजदीक में 120 से ₹150 में शराब मिल जाती है। तो लोग अधिकतर अब यहीं से खरीद रहे हैं। गांव की फिजा काफी खराब होने लगी है।
ऐसा दिखा हाल- रोज 2 से 3 बोरियां खाली शीशी निकलती है
जब हम अवैध शराब बिक्री के चलते बिगड़ते माहौल का हाल जानने के लिए गांव में पहुंचे और अलग-अलग जगहों को जाकर देखा गया तो कई सार्वजनिक जगह होटल और दुकानों के पीछे डिस्पोजल और पानी पाउच का ढेर नजर आया। रोज यहां दो दो,तीन तीन बोरियां खाली शीशी बरामद हो रही है। खाली शीशी के खरीदार भी गांव में है। नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर सांकरा ज के एक खरीददार ने कहा कि रोज लगभग 200 से 300 खाली शीशियां इकट्ठा हो जाती है। कई बच्चे उनके पास लाकर बेचते हैं। तो उसी तरह जगन्नाथपुर के खरीदार ने कहा कि डेढ़ सौ से 200 खाली शीशियां मिलना तो आम बात है। इतनी बड़ी मात्रा में गांव में रोज के रोज शराब की खाली शीशियां मिलना इस बात को प्रमाणित करता है कि अवैध शराब की बिक्री कितनी चरम पर पहुंच गई है और पुलिस प्रशासन है कि हाथ पर हाथ धरे बैठी है। इलाके का सबसे बड़ा गांव होने के बावजूद यहां रात में कोई पुलिस पेट्रोलिंग नहीं होती है, ना कोई निगरानी होती है। इसका फायदा लोग जमकर उठाते हैं। ना तो कभी पुलिस के लोग यहां झांकने आते हैं ना आबकारी विभाग का दौरा होता है।
शराब बिक्री के यह प्रमुख ठिकाने
गांव में जिन लोगों के द्वारा शराब बेची जा रही है उनके द्वारा कुछ जगहों को बिक्री के लिए प्रमुख ठिकाना भी बना लिया गया है। खासतौर से चौक पर शराब बेची जाती है। जहां बस स्टैंड है वहां पर शराब बेचने वाले सड़क पर खड़े होकर जेब में शराब रखें ग्राहकों को बेंचते हैं। शाम से देर रात तक मदिरा प्रेमियों की वजह से मेला जैसा नजारा होता है। स्टॉक खत्म होने पर जहां छुपा कर रखे हैं वहां से लाकर दोबारा बेंचते हैं। सेलून के आसपास भी जमकर बिक्री होती है। कुछेक शराब बेचने वाले जो अपने गांव वालों की निगाह में खुद को शरीफ बनाये रखने के लिए जगन्नाथपुर में न बेंचकर सांकरा और कमरौद रोड को भी अपना ठिकाना बनाये हुए हैं। ताकि उधर से आने वाले ग्राहकों को शराब उपलब्ध करा सके। कुछ ऐसे है जो घरों में स्टाक रखे रहते हैं और किस्तों में लाकर बेचते हैं।
मैं खुद कई बार कर चुका शिकायत, होनी चाहिए कार्रवाई
ग्राम पंचायत जगन्नाथपुर के सरपंच अरुण साहू ने कहा कि मैं खुद पंचों व ग्रामीणों सहित कलेक्टर व एसपी के पास गया था। थाने में भी कई बार इसकी शिकायत कर चुका हूं ।लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं होती। कुछ लोग पूर्व में पकड़े भी गए हैं जो जमानत पर रिहा भी हो जाते हैं। शासन द्वारा 16 पव्वा की अनुमति देने के चलते अवैध शराब बिक्री बढ़ गई है। स्टाक सीमा घटानी चाहिए। नियमित कार्रवाई भी होनी चाहिए। अपने स्तर पर हम पूरा प्रयास करते हैं लेकिन इन दिनों देखा जा रहा है कि गांव में वाकई में अवैध शराब बिक्री बहुत बढ़ गई है। कई लोग इस काम में संलिप्त हो गए हैं। बैठक में भी इस बात को उठाते हैं पर ग्रामीण ध्यान नही देते। सार्वजनिक जगह पर रोज सुबह शराब के कारण कचरा देखने को मिलता है ।
होगी कार्रवाई, कुछ होते हैं आदतन अपराधी
मामले में जिला आबकारी अधिकारी राजेश जायसवाल ने कहा कि आप के माध्यम से जानकारी मिल रही है। मामले में कार्यवाही करवाता हूं, कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो आदतन शराब बेचते हैं, उन पर कितनी भी कार्रवाई करें नहीं सुधरते हैं। फिर भी मैं मामले को दिखवाता हूं, कार्रवाई करेंगे।
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