November 25, 2024

अजाक टीआई पदमा जगत को बाल अधिकार आयोग ने किया सम्मानित, जिले में कहलाती हैं यह लेडी सिंघम, पढ़िये उनकी सफतला व संघर्ष की कहानी

बालोद/दल्लीराजहरा – छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष प्रभा दुबे ने रायपुर स्थित आयोग कार्यालय में दुर्ग संभाग के बाल कल्याण समितियों के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों की परिचयात्मक समीक्षा बैठक ली। इस दौरान बाल संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने अधिकारी-कर्मचारियों का सम्मान भी किया गया। बैठक में श्रीमती दुबे ने कहा कि बच्चों के सम्बन्ध में प्रकरणों का निराकरण करते समय संवेदनशीलता व सतर्कता से कार्य लें। लैंगिक अपराधों से पीड़ित बच्चों के माता-पिता को मनोवैज्ञानिक परामर्श अवश्य दिया जावे। इस अवसर पर बाल संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए बालोद जिले में पदस्थ निरीक्षक निरीक्षक पद्मा जगत, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजनांदगांव सुरेशा चौबे, सीएसपी बलौदाबाजार सुभाष दास, निरीक्षक जिला दुर्ग नवी मोनिका पांडेय, सहित जिला बाल संरक्षण अधिकारी धमतरी आनंद पाठक को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। इस अवसर पर आयोग के सचिव प्रतीक खरे ने बाल अधिकारों पर विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए बाल कल्याण समितियों की अपेक्षित भूमिका को स्पष्ट किया। बता दें की पद्मा जगत बालोद पुलिस विभाग में लेडी सिंघम कहलाती हैं इसके पीछे उनके कड़ी मेहनत व संघर्ष भी छिपा है. जिस थाने में भी वह रही, उनका प्रभाव व बदलाव देखने को मिला है.
पदमा जगत की सफलता व संघर्ष की शुरुआत से ये है कहानी

23 जून 2016 को दल्ली राजहरा में उनकी पहली पोस्टिंग सब इंस्पेक्टर के रूप में हुई। पोस्टिंग के 7 दिन बाद मानव तस्करी मामले में इलाहाबाद से 6 अपहृत बालिकाओं को छुड़ाने में उन्होंने सफलता हासिल की। मानव तस्करी के मास्टर माइंड शेरू उर्फ सुरेन्द्र सोनकर निवासी इलाहाबाद के अड्डे पर जाकर रेकी करना, यूपी पुलिस के सहयोग के बिना उसे पकड़ने में मेहनत की। मंगलतराई में भी महिला नक्सली कमांडर के साथ अन्य नक्सली कमांडर को पकड़ने में भी सफल हुई। सब इस्पेक्टर पोस्टिंग के 17 महीने बाद इंस्पेक्टर के रैंक पर प्रमोट होने वाली पहली महिला अधिकारी रही। प्रमोशन के बाद पहली पोस्टिंग थाना प्रभारी देवरी के रूप में हुई। दूसरी पोस्टिंग थाना अर्जुन्दा में हुई। जिस भी थाना में पोस्टिंग रही पोस्टिंग के दौरान कोई भी गंभीर अपराध घटित होने नहीं दिए। थाना प्रभारी के अलावा अतिरिक्त प्रभार में महिला सेल रक्षा टीम की प्रभारी रही हैं। लगातार 2017 से अलग-अलग थाना में थाना प्रभारी के पोस्ट पर रहते हुए महिला सेल और रक्षा टीम की प्रभारी बनी हुई है। अभी वर्तमान में अजाक थाना प्रभारी के पोस्ट के अलावा महिला सेल और रक्षा टीम के प्रभारी हैं। रक्षा टीम के माध्यम से स्कूल, कॉलेज, महिला कमांडो, भारत माता वाहिनी, घरेलू और कामकाजी महिलाओं को सेल्फ डिफेंस (आत्मनिर्भरता) की शिक्षा दी जाती है। जिससे वे खुद के शरीर, संपत्ति और अपने सम्मान की रक्षा कर सकें। विभिन्न क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने में भी वह सफल हुए हैं। परिवारिक परामर्श के माध्यम से कई परिवार को टूटने से भी उन्होंने बचाया। बच्चों और बुजुर्गों को उनका हक दिलाया। बालोद के तीन विवादित गांव को शांतिपूर्ण तरीके से एक करने में भी उनकी अहम भूमिका रही है। बालोद के पुलिस विभाग के अलावा अन्य प्लेयर को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ाने में भी इंपॉर्टेंट पार्ट रहा है। 2020 में 166 मामले में से 124 मामले में परिवार को टूटने से उन्होंने बचाया। यह सभी पहल व प्रयास लगातार जारी है।
इसलिए ज्वाइन की पुलिस की नौकरी


पद्मा जगत ने पुलिस की नौकरी सिर्फ इसलिए ज्वाइन किया है कि वह जिंदगी में दूसरों की मदद करना चाहती थी। गरीबी व अशिक्षा से लड़ाई लड़ते वह इस मुकाम पर पहुंची है। कम समय में अधिक मेहनत कर प्रमोशन पाने वाली पद्मा जिले की पहली महिला टीआई है। मूल रूप से महासमुंद जिले के बसना थाना क्षेत्र के ग्राम भैरवपुर की रहने वाली किसान गुलाल जगत व गणेशी बाई की बेटी पद्मा बचपन से होनहार रही।
पढ़ाई का खर्च उठाने ईंट भट्‌ठा में भी काम करने जाती थी पदमा
भगतदेवरी मिडिल स्कूल के खेल शिक्षक अनिल कुमार कानूनगो ने बताया बचपन से पद्मा खेल व पढ़ाई में आगे रही। दौड़ में कई नेशनल जीती है। खुद की पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए वह खेत के साथ ईट भट्ठा में भी काम करने जाती थी। गरीबी हालत में आगे बढ़ने के लिए उसने बहुत मेहनत की है

एनसीसी में जीता गोल्ड मेडल
स्कूल पढ़ाई के दौरान दौड़ में हरियाणा, दिल्ली व जालंधर में नेशनल जीती। एनसीसी में रहकर दिल्ली के राजपथ में शामिल हुई। जहां उन्हें गोल्ड मेडल मिला। उनका छोटा भाई रोहन इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है। वर्तमान में पद्मा अपने माता पिता के साथ दल्लीराजहरा में रहती है।

हरी वर्दी फिल्म देख मिली थी प्रेरणा
जब पद्मा कक्षा सातवीं में थी तब एक फिल्म हरी वर्दी देखी। जिसमें आर्मी के जवान आतंकवादियों के कब्जे से देश के लोगों को छुड़ाने के लिए संघर्ष करते हैं। इसे देखने के बाद पद्मा ने सोचा कि कैसे एक आर्मी मैन दूसरों के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा देते हैं। इससे वह काफी प्रभावित हुई। उसने भी ठान लिया कि एक दिन आर्मी या पुलिस बनेगी।
कम समय में ही कठिन मेहनत से पाया प्रमोशन


रायपुर में पद्मा का चयन 2006 में आरक्षक में हो गया था। वह आगे जाना चाहती थी। आरक्षक रहते सब इंस्पेक्टर की तैयारी की। दो साल बाद सब इंस्पेक्टर के लिए चयनित हुई। लेकिन कुछ कारणों से वह डयूटी ज्वाइन नहीं कर पाई। 2013 में बेसिक ट्रेनिंग लेने के बाद दुर्ग में परिवीक्षा परेड में रही। उनकी पहली पोस्टिंग 13 जून 2016 को बालोद जिले के दल्लीराजहरा थाने में सब इंस्पेक्टर के रूप में हुई। 17 महीने में ही टीआई के पद पर प्रमोशन मिल गया। पद्मा कहती है कि अपराधी के अपराध करने के पीछे का कारण और उस अपराध और अपराधी को कंट्रोल करने के उद्देश्य से काम करती हूं।

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