बालोद/गुंडरदेही/ रायपुर। गुंडरदेही के तीन बार विधायक रहे वर्तमान भाजपा नेता व पूर्व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता घना राम साहू की मौत रामकृष्ण केयर अस्पताल रायपुर में हो गई है। पहले उनकी कोरोना से मौत होने की अफवाह उड़ गई थी। लेकिन वास्तविकता यह नहीं है। पहले उन्हें कोरोना के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां वे ठीक हो गए थे। इसके बाद उन्हें दोबारा तबीयत बिगड़ने पर भर्ती कराया गया। जहां हार्ट अटैक से उनकी मौत हुई। शव सौंपने से पहले दोबारा कोरोना जांच की गई । जिसमें अंतिम रिपोर्ट नेगेटिव आई है। पहले अफवाह के चलते कुछ करीबी लोगों द्वारा यह सूचना प्रसारित कर दी गई कि अंतिम संस्कार बालोद जिले के गृह ग्राम कलँगपुर ,गुंडरदेही में कोरोना प्रोटोकाल के तहत होगा।
अब कोरोना जांच रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद उनका अंतिम संस्कार परंपरागत तरीके से हो सकेगा। अंतिम संस्कार में सभी शामिल हो सकेंगे। वे तीन बार गुंडरदेही क्षेत्र में विधायक रहे। कृषि आयोग के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके थे। वहीं दुर्ग ग्रामीण कांग्रेस कमेटी जिला अध्यक्ष भी थे। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष भी रह चुके थे।
2018 नवंबर में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल हो गए थे। परिवार में उनके तीन बेटे और दो बेटियां हैं। एक बेटा इंजीनियर है। बाकी दो राजनीतिक क्षेत्र में है।उनके निधन से कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टी में शोक का माहौल है। बड़ी संख्या में उनके अंतिम संस्कार में कलँगपुर में लोग जुटेंगे।
यह भी जानिए- भूपेश बघेल व ताम्रध्वज साहू पर प्रताड़ना का आरोप लगा कर दिए थे कांग्रेस से इस्तीफा
2018 में विधानसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा था। जब तीन बार कांग्रेस से विधायक रहे और प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष घनाराम साहू ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने पीसीसी चीफ को पत्र लिखकर अपना इस्तीफा दिया था। उन्होंने इस्तीफे का कारण प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल और दुर्ग सांसद ताम्रध्वज साहू पर उपेक्षा और राजनीतिक करियर बरबाद करने का आरोप लगाया था।
बता दें कि पेशे से शिक्षक रहे घनाराम साहू और भाजपा के पूर्व सांसद स्व. ताराचंद साहू रिश्ते में साढ़ू लगते हैं। उनके साढ़ू के बेटे दीपक साहू को भाजपा ने गुंडरदेही विधान सभा से बतौर प्रत्याशी मैदान में उतारा था।
पीसीसी चीफ को लिखे पत्र में उन्होंने ये सब लिखा था…
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अनुशंसा से मुझे छतीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी में पीसीसी सदस्य एवं उपाध्यक्ष प्रदेश कांग्रेस कमेटी रायपर का निर्वाचित पद दिया गया था । परन्तु नियुक्ति के दिनांक से अभी तक मुझे प्रदेश के अंदर अथवा बाहर कांग्रेस के कार्यक्रमों में भागीदार नहीं बनाया गया है । प्रदेश अध्यक्ष मुझे व्यक्तिगत रंजिश से मानसिक प्रताड़ित करते रहे हैं। मैं एक निष्ठावान प्रदेश का कार्यकर्ता हूं, रहा हूं। लम्बे समय से में सहता रहा लेकिन एक सीमा होती है। पूर्वाग्रह से ग्रसित प्रदेश अध्यक्ष ने मुझे जानबूझकर कांग्रेस से बाहर करना चाहते थे, इसलिए मैं प्रदेश अध्यक्ष एवं दुर्ग के सांसद के रवैये से तंग आकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष पद से लेकर कांग्रेस के प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं।
तीन बार विधायक रहा और दो बार जिला कांग्रेस कमेटी दुर्ग का अध्यक्ष
मैं 1972 में निर्दलीय विधायक रहा। 1977 में मुझे कांग्रेस की सदस्यता दिलाया गया और कांग्रेस विधानसभा चुनाव लड़ा और 11 हजार वोटों से जीता। तीसरी बार मुझे 1998 में कांग्रेस के उम्मीदवार बनाया गया जिसमें 69 हजार वोटों से जीता। तीन बार विधायक रहा है और दो बार जिला कांग्रेस कमेटी दुर्ग का अध्यक्ष रहा जिसमें बालोद , बेमेतरा, नवागढ़, भिलाई, दुर्ग, पाटन शामिल था। मैं कर्मठता से कार्य किया हैं लेकिन जैसे ही भूपेश बघेल प्रदेश अध्यक्ष बने मुझे हर तरह से प्रताड़ित करते रहे। दुर्ग के सांसद भी ताम्रजध्वज साहू जो उँचे पद में रहते हुए एक महिला पूर्व विधायक का बी-फार्म टिकिट काटकर स्वयं विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं जो महिलाओं के प्रति ओछी मानसिकता दर्शाता है। अब इस अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सभी पदों एवं प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं।