बालोद। उच्च न्यायालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार तथा जिला न्यायाधीश के विनोद कुजुर अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बालोद के मार्गदर्शन में शनिवार को जिला न्यायालय बालोद तथा तहसील स्थित व्यवहार न्यायालय गुंडरदेही, दल्ली राजहरा एवं डौंडीलोहारा में नेशनल लोक अदालत का आयोजित किया गया। इस नेशनल लोक अदालत के दौरान खास तौर से कुटुंब न्यायालय में परिवारिक मामले सुलझाए गए। किसी सास ससुर को अपनी बहू से भरण-पोषण मिला तो किसी पिता को अपने बेटे से। जो भरण-पोषण से मुकर रहे थे उनके पीड़ितों ने इस कुटुंब न्यायालय में केस किया था। जहां समझौता करवाते हुए कुटुंब कोर्ट के जज ने न्याय किया जिससे सभी संतुष्ट हुए।
नेशनल लोक अदालत में दांडीक, चेक बाउंस, मोटर यान अधिनियम, क्लेम/ दावा प्रकरण, सिविल, जमीन एवं अन्य पारिवारिक प्रकरणों के विवादों से संबंधित विभिन्न अदालतों में राजीनामा योग्य कुल विवादित प्रकरण 1500 से अधिक प्रकरणों की सुनवाई एवं राजीनामा किए जाने योग्य रखे गए । जिसमें बैंक विवादों से संबंधित एवं प्री लिटिगेशन प्रकरणों सहित विभिन्न न्यायालयों में लंबित प्रकरणों की सुनवाई हेतु जिला एवं सत्र न्यायालय बालोद सहित अन्य न्यायालयों में हेतु 6 खंड पीठ का गठन किया गया। इसके अतिरिक्त तहसील स्थित व्यवहार न्यायालय गुंडरदेही, डौंडीलोहारा एवं दल्ली राजहरा में भी खंडपीठ गठित किया गया था। उक्त समस्त न्यायालयों के गठित खंडपीठों द्वारा 250 से अधिक मामलों में आपसी समझौता एवं सुलह के आधार पर आज ई- नेशनल लोक अदालत में निपटारा किया गया।
महिला जनप्रतिनिधि द्वारा लोक अदालत के माध्यम से किया गया समझौता
केस 1
ई नेशनल लोक अदालत की खंडपीठ क्रमांक 1 के पीठासीन अधिकारी जिला एवं सत्र न्यायाधीश बालोद के.विनोद कुजूर के द्वारा समझाइश किए जाने पर उनके न्यायालय में लंबित मोटर दुर्घटना के मामले में आवेदिका अमृता नेताम जो कि वर्तमान में जनपद सदस्य हैं, के द्वारा उसके साथ हुए मोटर दुर्घटना के प्रकरण में यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के साथ राजी नामा कर बार-बार पेशी में न्यायालय के चक्कर लगाने से राहत पाई।
75 वर्षीय वृद्ध पुरुष को मिला लोक अदालत में न्याय
केस 2
इसी तरह कन्हैया लाल साहू जिसकी उम्र 75 वर्ष है, के द्वारा भी जिला एवं सत्र न्यायाधीश बालोद के.विनोद कुजूर के द्वारा समझाइश किए जाने पर उनके न्यायालय में लंबित मोटर दुर्घटना के मामले में उसके साथ हुए मोटर दुर्घटना के प्रकरण में रिलायंस इंश्योरेंस कंपनी के साथ राजीनामा कर बार-बार पेशी में न्यायालय के चक्कर लगाने से राहत पाया।
पुत्र को लेकर हुआ भरण पोषण का समझौता
केस 3
इसी प्रकार परिवार न्यायालय बालोद के खंडपीठ पीठासीन अधिकारी मुकेश कुमार पात्रे के द्वारा समझाइश दिए जाने पर उनके नामों में लंबित प्रकरण के पक्षकार जिसकी आयु लगभग 70 वर्ष है, के द्वारा भी भरण पोषण के मामले में राजीनामा किया गया। उम्र के इस पड़ाव मे न्यायालय का बार बार चक्कर लगाने से बेहतर लोक अदालत में आपसी राजीनामा कर समाज के सामने अच्छा संदेश प्रस्तुत किया है।
आज के वर्तमान परिस्थिति में बार-बार न्यायालय के चक्कर लगाने से लोक अदालत में मामलों को समझौता के माध्यम से निराकरण किया जाना बहुत ही अच्छा विकल्प है। न्यायालय में लंबित मामलों के निराकरण हेतु पक्षकारों को राहत पहुंचाने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा समय-समय पर लोक अदालत आयोजित किया जाता है। लोक अदालत एक ऐसा माध्यम है जिसमें आपसी समझौता के द्वारा प्रकरणों का निराकरण किया जाता है। जिसमें “ना किसी की जीत ना किसी की हार यही है लोक अदालत का उपहार”।