रील नहीं यह रियल लव स्टोरी- 10 साल पहले जवान की जान बचाई, पर खुद की हाथ गंवाई, उसी जवान ने थामा जीवन भर के लिए हाथ, शादी कर केरल में बसी, अब लड़ रही बेटी चुनाव, पढ़िए यह रोचक प्रेम कहानी
दंतेवाड़ा( छत्तीसगढ़)। आमतौर पर ऐसी कहानी साउथ की फिल्मों में देखने को मिलती है। जो हमें कई तरह से प्रेरित करती है और कुछ अच्छा करने की सीख दी जाती है। ऐसी ही एक रील (फिल्मी) नहीं बल्कि रियल प्रेम कहानी के बारे में हम आज बात कर रहे हैं। जिसकी शुरुआत कहीं ना कहीं दुर्ग जिले से शुरू होकर दंतेवाड़ा तक पहुंचते और केरल में अंतिम रूप ले ली। यह कहानी है 10 साल पहले दुर्ग के अंजोरा स्थित शासकीय नर्सिंग कॉलेज की छात्रा ज्योति की। जो अब केरल में रहती है। वह केरल में क्यों रहती है, किसके साथ रहती है, अब क्या कर रही है इसके पीछे एक बड़ी ही रोचक और मोहक प्रेम कहानी है। जो बताती है कि आज के दौर में सच्चा प्यार इसे ही कहा जाता है। दरअसल में 10 साल पहले जब अंजोरा में नर्सिंग की छात्रा थी, इस दौरान बस में सफर करते हुए उन्होंने एक जवान की जान बचाई थी। उक्त जवान आज उनका पति है। जवान की बस में सफर करने के दौरान कांच से सिर बाहर निकला हुआ था। जिसे हटाते समय दूसरी गाड़ी से टकराने से ज्योति का हाथ फैक्चर हो गया था। जब इस बात का पता उक्त सीआईएसएफ ( केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) विकास पीवी को पता चला तो उन्होंने जान बचाने वाली इस लड़की का जीवन भर के हाथ थामने की बात रख दी। परिजनों को भी यह बात पसंद आई और राजी हो गए। शादी करके अब दोनों केरल में रह रहे हैं। यह 10 साल पुरानी प्रेम कथा आज दंतेवाड़ा व केरल की गलियों में चर्चा का विषय बनी हुई है । ज्योति आज वहां अपने इलाके में पंचायत चुनाव लड़ रही है। मूल रूप से ज्योति का मायका बचेली दंतेवाडा ही है। उनका पूरा नाम ज्योति कुंडू है। जो केरल के जवान विकास पीवी के साथ शादी करके अब वही बस गई है पंचायत चुनाव में भाजपा ने ब्लॉक पंचायत सदस्य का टिकट लेकर ज्योति को मैदान में उतारा है। ज्योति केरल के पलक्कड़ जिले में एक ब्लॉक से चुनाव लड़ रही है।
सेवा भावी है ज्योति
बस्तर संभाग के उग्रवाद प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के बचेली कस्बे में जन्मी और पली- बढ़ी ज्योति कुंडू ने एक नर्स बनकर दूसरों की सेवा करने का फैसला अपनी जिंदगी में लिया था। उसने नर्सिंग की पढ़ाई की और अपना करियर शुरू करने जा रही थी। इसी बीच 3 जनवरी 2010 को बस्तर में एक बस में सफर कर रही थीं, तभी एक दुर्घटना घट गई। ज्योती ने देखा कि दुर्घटनाग्रस्त बस में सीआपीएफ के एक जवान जो उसी बस में सफर कर रहे थे, नींद में पड़ेे थे ओर उनका सर बस की खिड़की के बाहर लटक रहा था। तभी सामने से एक ट्रक आता दिखा।
ज्याेती को तुरंत आभाष हो गया कि यदि इस वक्त उसने कुछ नहीं किया तो उस जवान की मौत हो जाएगी। ज्योती ने खिड़की से हाथ बाहर निकाला और जवान के सर को अंदर कर ही रही थी, इसी दौरान ट्रक बाजू से गुजरा और ज्योती का दांया हाथ उसकी चपेट में आ गया। ज्याेती ने जवान विकास की जान तो बचा ली, लेकिन इस घटना में उन्हें अपना हाथ गंवाना पड़ा। कई महीने अस्पताल में गुजारने के बाद ज्योती स्वस्थ्य हुईं। इस बीच जिस जवान की उन्होंने जान बचाई उनके साथ एक आत्मीय संबंध स्थापित हो गया। दोनों ने आगे साथ रहने का फैसला किया और शादी कर ली।
एक बातचीत के दौरान ज्योती ने कहा कि मुझे नर्सिंग की पढ़ाई के दौरान यह पहला सबक सिखाया गया था कि आपात परिस्थिति में अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरे की जान बचाना नर्स का पहला कर्तव्य होता है। उस दुर्घटना के दौरान मुझे अपना यही कर्तव्य सबसे पहले याद आया। आज ज्योती कुंडू शादी के बाद ज्योती विकास बन चुकी हैं। उनका एक बेटा भी है और वे अब केरल के पलक्कड़ जिले के कोल्लंगोडे ब्लॉक के पंचायत पलाथुलली में रह रही हैं। भाजपा ने उन्हें यहां से पंचायत चुनाव का उम्मीदवार बनाया है। ज्योती ने अपनी जिंदगी में जो कुछ खोया, उसे भूलकर वह अब दूसरों की जिंदगी को बेहतर बनाने में जुटी हैं। उनकी कहानी देश की और दूसरी लड़कियों के लिए प्रेरक बन सकती है।