शहीद अस्पताल के डॉक्टर पर प्रतिबंध राजनीति से प्रेरित, सभी स्टाफ, माइंस श्रमिक संघ और छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा उतरे सड़क पर, निकाली रैली
दल्लीराजहरा। राज्य की मेडिकल काउंसिल द्वारा शहीद अस्पताल के दो डॉक्टरों डॉक्टर शैवाल जाना व दीपांकर सिंह गुप्ता को 3 माह का निलंबन कर दिया गया है। जिसके विरोध में छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ ,शहीद हॉस्पिटल के समस्त स्टाफ एवं छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के सैकड़ों कार्यकर्ता मौन जुलूस निकालकर अपना विरोध प्रदर्शन किया
मौन रैली छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ के कार्यालय से निकलकर पुराना बाजार शहीद, वीर नारायण सिंह चौक होते हुए मुख्य मार्ग गुप्ता चौक ,नया बाजार ,नियोगी (फव्वारा ) चौक, श्रम वीर थाना चौक होते हुए एसडीएम कार्यालय पहुंचे। जहां मौन रैली सभा के रूप में तब्दील हो गया। जिसमें पूर्व विधायक जनक लाल ठाकुर ने राज्य सरकार को जमकर कोसा और और कहा डॉक्टरों का निलंबन कांग्रेस राजनीति से प्रेरित है।
डॉक्टर जाना ने अपने उद्बोधन में कहा कि अस्पताल में लोगों की मृत्यु होती है। कोई भी डॉक्टर मरीज को आखरी साँस तक बचाने की कोशिश करता है। छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ के अध्यक्ष सोमनाथ और छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ के पूर्व अध्यक्ष गणेश राम चौधरी ने भी संबोधित किया। जिसके बाद अनुविभागीय अधिकारी डौंडीलोहारा दल्ली राजहरा को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री छत्तीसगढ़ शासन रायपुर के नाम शहीद हॉस्पिटल के दोनों डॉक्टर का निलंबन वापस लेने ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष जनक लाल ठाकुर ने बताया कि कामरेड शहीद शंकर गुहा नियोगी के नेतृत्व में मजदूर संगठन छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ के विभिन्न सामाजिक कार्यों में से एक कार्यक्रम मजदूरों एवं गरीब परिवारों के लिए स्वास्थ्य के लिए संघर्ष करो ,के नारे के साथ मेहनत कसो के स्वास्थ्य के लिए मेहनतकशो का अपना कार्यक्रम के तहत दल्ली राजहरा के खदान मजदूरों द्वारा निर्मित शहीद अस्पताल विगत 40 वर्षों से संचालित है। जहां इस आदिवासी अंचल के करीब 100 किलोमीटर से भी अधिक के दायरे से मरीज अपना इलाज कराने आते हैं। सस्ता सुलभ एवं उचित इलाज होने के साथ-साथ मुनाफे पर आधारित नहीं होने के कारण यह अस्पताल आम जनता को प्रेरित करती है। इसी बीच राज्य की मेडिकल काउंसिल द्वारा शहीद अस्पताल के 2 डॉक्टर डॉक्टर शैवाल जाना व दीपांकन सेनगुप्ता को 11 अक्टूबर 2022 से 10 जनवरी 2023 (3माह ) तक के लिए उनको निलंबित कर दिया गया है। मेडिकल काउंसिल के इस बर्ताव से हमें बहुत आश्चर्य हुआ कि जिस सरकार को शहीद अस्पताल के कार्यो के कारण उन्हें पारितोषिक देना चाहिए ,उन्हें कार्य करने से रोका जा रहा है । शहीद अस्पताल बालोद जिला में इलाज एवं मरीजों की संख्या के आधार पर सबसे बड़ा अस्पताल है इसलिए जिला अस्पताल से भी रेफरल मामले शहीद अस्पताल में आते हैं । स्वाभाविक है जिला अस्पताल में मरीजों की हालत व उपकरण व मेन पावर की कमी के मामले भी हो सकते हैं।परंतु शहीद अस्पताल में जितनी शुरुआती व्यवस्थाएं हैं, उसमें गरीब परिवारों का इलाज संभव हो पाता है विशेष क्रिटिकल मामले में यहां से भी मरीज को बाहर रिफर किया जाता है
शहीद अस्पताल में सरकारी योजनाएं जैसे प्रसव ,टीकाकरण ,मलेरिया,आई.सी.टी.सी. ,टीबी कैंसर के साथ-साथ कोरोना काल में अहम भूमिका निभाई है। ऐसी परिस्थिति में शहीद अस्पताल के दो डॉक्टरों पर बेवजह एवं तर्कहिन विचारों से लैस छत्तीसगढ़ सरकार की मेडिकल काउंसिल द्वारा प्रतिबंध लगाना वर्ग विभाजित समाज की व्यवस्था लगती है। ज्ञापन में टी .एस .सिंहदेव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री छत्तीसगढ़ शासन रायपुर से अनुरोध किया है कि छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल द्वारा शहीद अस्पताल के दो डॉक्टरों पर बेवजह एवं तर्कहीन लिए गए निर्णय को तत्काल वापस लिया जाए। रैली में शहीद अस्पताल कर्मचारी स्टॉप छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से गुरुर ब्लॉक के ओम प्रकाश साहू डौंडीलोहारा से नवाब गिलानी, सुरेश कुरेटी,डौंडी से देवेंद्र सिंड्रामे , सोमन मरकाम ,ज्ञान सिंह ठाकुर छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ से सोमनाथ उइके ,गणेश राम चौधरी ,राजाराम ,रामचरण नेताम ,तुलसी .सुरेंद्र साहू .रवि सहारे .मोनू सीपी .रेवाराम .अमर सिंह .जीवन लाल साहू .श्रवण कुमार .शैलेश .आदि सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल रहे ।