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आदिवासी समाज V/S पाटेश्वर धाम- समाज ने की कार्रवाई की मांग तो दूसरी ओर संत पहुंचे राज्यपाल के पास, फैसले की घड़ी नजदीक

बालोद। जामड़ी पाटेश्वर धाम द्वारा वन विभाग की जमीन पर कब्जा के मामले में फिर से नया मोड़ सामने आया है। एक ओर जहां राष्ट्रीय संत राम बालक दास इस मुद्दे को लेकर राज्यपाल अनुसुइया उइके के पास जाकर मदद मांग रहे हैं तो दूसरी ओर बालोद जिला सर्व आदिवासी समाज कार्रवाई की मांग कर रहा है। आज सर्व आदिवासी समाज द्वारा इस संबंध में जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया तो वहीं दूसरी ओर संत राम बालक दास द्वारा राज्यपाल से मिलकर पूरे मामले को अवगत कराया गया जहां राज्यपाल ने उन्हें सहयोग करने आश्वस्त किया है।

राज्यपाल को ज्ञापन देते हुए संत राम बालक दास

ज्ञापन में सर्व आदिवासी समाज ने ये बातें कही

सर्व आदिवासी समाज का ज्ञापन

:- सर्व आदिवासी समाज जिला बालोद के द्वारा जिला कलेक्टर और जिला वन मंडल अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया है। जिसमें कहा गया है कि पाटेश्वर धाम (पाट देव) जो कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र डोंडी लोहारा में स्थित है, पर तथाकथित बाबा संत रामबालक दास द्वारा आदिवासियों के जंगल व देव स्थान पर कब्जा कर आदिवासियों के आस्था व जल जंगल जमीन पर अतिक्रमण किया गया है। जिस पर जिला प्रशासन व वन मंडल अधिकारी के द्वारा नोटिस दे कर अवैध कब्जे को खाली कराने का जो निर्णय लिया गया है। बालोद जिला प्रशासन के इस निर्णय का सर्व आदिवासी समाज, जिला- बालोद (छ. ग.), पुरजोर समर्थन करता है। एवं त्वरित कार्रवाई की समय में कोई रुकावट पैदा होने के स्थिति में उग्र जन-आंदोलन करने का निर्णय लेगी। सर्व आदिवासी समाज जिला- बालोद के द्वारा कांकेर लोकसभा सांसद मोहन मंडावी के लिए सामाजिक निंदा प्रस्ताव पारित करता है जो कि उनके द्वारा पाटेश्वर धाम में आदिवासियों के जंगल और देव स्थान में अवैध कब्जा-धारी तथाकथित बाबा संत रामबालक दास के पक्ष में जो समर्थन में बयान दिया गया था।

इधर संत का ये कहना


हजारों वर्षों से आदिवासी समाज के पूजा स्थल के रूप में यह स्थान जाना जाता है साथ ही 1975 से परम पूज्य सदगुरुदेव राज योगी बाबा कि यह तपस्थली है बालयोगेश्वर संत राम बालक दास सन 1986 में 9 वर्ष की उम्र से यहां गुरुदेव के साथ रहते हुए पूरे छत्तीसगढ़ ही नहीं वरन भारतवर्ष में गौ रक्षा एवं सनातन धर्म के लिए कार्य कर रहे हैं। इन 45 वर्षों के अंतराल में कई बार फॉरेस्ट विभाग के द्वारा कई प्रकार के पत्र पाटेश्वर सेवा संस्थान को प्राप्त हुए । सभी पत्रों का संस्थान ने समयानुसार जवाब भी दिया लेकिन संस्थान में अवैध कब्जा और बेदखली शब्द का उपयोग करते हुए पहली बार इस प्रकार का नोटिस डीएफओ बालोद द्वारा दिया गया है। संत का कहना है पाटेश्वर धाम की तरह बालोद जिला और छत्तीसगढ़ में बहुत से देवस्थान फॉरेस्ट भूमि पर हैं लेकिन केवल पाटेश्वर धाम को नोटिस दिया जाना और षडयंत्र पूर्वक ग्राम पंचायत से लेकर आदिवासी समाज को भड़का कर पाटेश्वर धाम के खिलाफ करने का प्रयास करना बहुत ही निंदनीय है।

धाम के समर्थन में उतरे भाजपाई

इधर इस मसले पर राज्यपाल के नाम से अपर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए जिला भाजपा के पदाधिकारी भी उतर आए हैं। पाटेश्वर धाम के समर्थन में यह ज्ञापन सौंपा गया है। ज्ञापन में भाजपाइयों ने सवाल उठाया है कि हिंदू संस्कृति हजारों धार्मिक स्थल पहाड़ों और जंगलों में ही है तो क्या शासन एक-एक करके सभी धार्मिक स्थल को हटाने की नोटिस देगी। शासन तो एक तरफ जंगल में बसने वालों को पट्टा दे रही है तो पाटेश्वर धाम को ही कैसे नोटिस दे सकती है।पाटेश्वर धाम तो हजारों भक्तों ने बनाया है। बाबा जी तो केवल पूजा पाठ करते हैं। ज्ञापन सौंपने वालों में प्रमुख रुप से जिला भाजपा अध्यक्ष कृष्णकांत पवार, लोकेश श्रीवास्तव, तोमन साहू, राजीव शर्मा सहित अन्य शामिल थे।

By dailybalodnewseditor

2007 से पत्रकारिता में कार्यरत,,,,,कुछ नया करने का जुनून, कॉपी पेस्ट से दूर,,,

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