गुरू शिष्य परंपरा को रखा कुसुमकसा के बच्चों ने बरकरार, इस अंदाज में मना शिक्षक दिवस, देखिए खबर

दल्लीराजहरा। शिक्षक दिवस के अवसर पर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुसुमकसा में गुरु शिष्य परंपरा को चरितार्थ करते हुए शिक्षक दिवस मनाया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के वंदना तथा गुरु वंदना से हुआ। छात्र-छात्राओं ने कविता ,गीत तथा नृत्य प्रस्तुत किए। अपने उद्बोधन में प्राचार्य तृणाभ मिश्रा ने शिक्षक दिवस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए शिक्षक द्वारा बताए गए मार्ग का अनुशरण करने को कहा। समाज में जागरूक सदस्य के रूप में अध्यापकों से बड़ी अपेक्षाएं होती है, भले ही बच्चे उनके हैं किंतु उन्हें गढ़ने की और संवारने की जिम्मेवारी शिक्षकों की होती है आज अध्यापक बेड़ियों में जकड़ा हुआ है लेकिन उससे स्वतंत्र सोच वाले नागरिक बनाने की उम्मीद की जाती है।

वरिष्ठ व्याख्याता अशोक कुमार सिन्हा ने शरीर, मन तथा आत्मा के समन्वयक विकास में गुरु की महत्ता को स्पष्ट करते हुए कहा कि गुरु वही है जो जीना सिखा दे। आपकी आपसे पहचान करा दे। सुनीता यादव ने बच्चों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि शिक्षक बिना किसी मांग के सर्वस्व अज्ञान अनुभव देने को तत्पर है इसका लाभ उठाकर आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करें।
व्याख्याता तामसिंह पारकर ने बताया कि पहले शिक्षक दिवस कम मनाया जाता था और गुरु का महत्व बहुत अधिक और ऊंचा होता था। किंतु अब शिक्षक दिवस बहुत अधिक मनाया जाता है। किंतु शिक्षको का महत्व उतना ही कम हुआ है। यह एक चिंतन का विषय है। विद्यालय में इमारत ,साज-सज्जा अन्य उपकरण कितने भी अच्छे हो परंतु यदि शिक्षक योग्य व कुशल नहीं है तो शिक्षा प्रद वातावरण का निर्माण नहीं किया जा सकता। ऐसे विद्यालय से निकले छात्र समाज के लिए भार ही होंगे। शिक्षक को केवल अपने विषय का ज्ञान होना पर्याप्त नहीं बल्कि बाल मनोविज्ञान का होना भी परम आवश्यक है।

प्रबंधन समिति के अध्यक्ष अनिल सुथार ने शिक्षकों की स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि शिक्षक शिक्षाविदों की बुनी भूल भुलैया की प्रयोगशाला में अपनी धैर्य की परीक्षा दे रहा है । सुश्री गीता गुप्ता ने कहा कि शिक्षक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की भावी परिकल्पना को साकार करने में अपना योगदान दे रहा है। कार्यक्रम का संचालन राहीना खान तथा गगन साहू ने किया। इस अवसर पर ग्राम सरपंच शिवराम सिन्द्रामे, नीतिन जैन तथा शाला के समस्त व्याख्याता गण मर्सी जार्ज ,उमा त्रिपाठी ,इंद्राणी मुखर्जी ,प्रतिभा सिंह , राजेंद्र कुमार, आवाडे, चंपू राम सुधाकर, जनक साहू सावित्री स्वर्णकार , दीपमाला जोशी, कीर्तिका साहू ,मांडवी मिश्रा, किरण झा ,शीतला नायक, रंजना खोबरागड़े ,देहुती कोठरी, मुन्नी साहू विजय लक्ष्मी साहू तथा श्री पटेल उपस्थित थे।

You cannot copy content of this page