मनरेगा कार्य स्थल पर पुलिस बतला रही ग्राम पदाधिकारियों को कानूनी कर्तव्य

गुरुर/बालोद। पुलिस प्रशासन द्वारा मनरेगा कार्य स्थल पर जाकर ग्रामीणों के बीच कानूनी जागरूकता फैलाने का काम किया जा रहा है। इसके तहत ग्राम पदाधिकारियों को उनके कर्तव्यों की जानकारी दी जा रही है। इस बीच गुरुर के थाना प्रभारी रोहित मालेकर भी लगातार ग्रामीण क्षेत्र में दौरा कर मनरेगा कार्य स्थल पर ग्रामीणों को एकजुट कर वहां जागरूकता शिविर लगाकर उन्हें नियम कायदों की जानकारी दे रहे हैं। इस क्रम में ग्राम पदाधिकारियों (ग्राम सरपंच ,पटेल ,कोटवार) के कानूनी कर्तव्य क्या हैं,अपराध से संबंधित सूचना देने के लिए है कानूनी रूप से वे कैसे आबद्ध हैं ये सब बताया जा रहा है। थाना प्रभारी रोहित ने बताया कि ग्राम के पदाधिकारी गाँव में होनी वाली सभी प्रकार की समस्याओं को देखते हैं एवं ग्राम में होने वाली आपराधिक घटनाओं पर इनकी नजर होना चाहिए। इसीलिए दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 40(1) में इन्हें आपराधिक मामलों की जानकारी को सीधे मजिस्ट्रेट या थाना प्रभारी को देने का अधिकार दिया गया है एवं इसी नियम को छत्तीसगढ़ पुलिस रेगुलेशन क्रमांक 681 में भी बताया गया है कि ग्राम पदाधिकारी गांव में होने वाले सभी अपराध की जानकारी सीधे मजिस्ट्रेट या थाना अधिकारी को देगा।

ये होते हैं ग्राम पदाधिकारी (मुकद्दम, पटेल, कोटवार, ग्राम सभा (पंच, सरपंच, सचिव आदि) के कर्तव्य

  1. चोरी की वस्तु के क्रय-विक्रय की जानकारी।
  2. अगर ग्राम या मार्ग पर ऐसा व्यक्ति लगता है कि वह संदेह के दायरे में, चोर, लुटेरा, ठग, धोखाधड़ी कर रहा है या करके आया हुआ है या गाँव में किसी स्थान पर छुप गया है।
  3. कोई व्यक्ति जो नियम विरुद्ध जमाव कर रहा है या बलवा कर रहा है (भारतीय दण्ड संहिता के अपराध धारा 143 से 148 तक)।
  4. गांव या गांव के निकट किसी स्थान पर आकस्मिक (अचानक) मृत्यु हो जाने पर या संदिग्ध शव पाए जाने पर।
  5. किसी सिक्को का कूटकरण जैसे उनमें नकली सोना ,चांदी लगा देने वाले, उनका क्रय विक्रय करने वाले कि सूचना देना। एवं करेंसी नोट या बैंक नोटो के कूटकरण करने वालो की जानकारी उपलब्ध कराना।
  6. ऐसे व्यक्तियों या आरोपियों की जानकारी देना जो हत्या, मानव वध, अपहरण, चोरी, लूट, डकैती, गृह रिष्टि, गृह भेदन, गृह अतिचार करने का आरोपी, अपराधी, उपर्युक्त अपराध की करने वाला हो या उदघोषणा के बाद ग्राम में छिपा हो उसकी जानकारी तुरंत देगा।

अगर कोई ग्राम का पदाधिकारी जानते हुए ऐसी जानकारी पुलिस थाना या मजिस्ट्रेट को नहीं देगा तब उसे भारतीय दण्ड संहिता की धारा 176 (अपराध से संबंधित सूचना एवं इत्तिला देने के लिए बाध्य व्यक्ति द्वारा न दी जाने के लिए) से अधिकतम छः माह की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।

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