ये सिस्टम से है सवाल? ना कोई यातायात का दबाव न बीते हैं कई साल और रेलवे का ये ओवरब्रिज देने लगा जवाब
अभी से धंसने लगा, मामला भैसबोड में बने ब्रिज का
बालोद। रेलवे के अंतर्गत आने वाले ठेकेदारों के द्वारा अलग-अलग जगहों पर ओवरब्रिज का निर्माण किया गया है। कुछ जगह अंडर ब्रिज बनाए गए हैं तो कुछ जगह ओवरब्रिज ताकि बिना फाटक वाले क्रॉसिंग पर हादसे रोके जा सके तो वहीं जहां जरूरत नहीं है उन रेलवे क्रॉसिंग फाटक को बंद किया जा सके। इसी के तहत ग्राम भैंसबोड में यहां के रेलवे क्रॉसिंग को बंद करने का फैसला किया गया था। लगभग 3 साल पहले बनाए गए इस ओवरब्रिज की गुणवत्ता महज चंद सालों में ही खराब निकली है। ब्रिज में ऊपर से ही दरार पड़ गई है। साथ ही ऊपरी हिस्सा धंसने लगा है। आश्चर्यजनक तो बात तो यह है कि इस मार्ग से उतना यातायात का दबाव नहीं है लेकिन दो-तीन साल में ही ब्रिज की यह हालत होना निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी को उजागर करता है। यह ब्रिज आसपास के पहाड़ियों, ऊंचे स्थलों को काटकर बनाया गया है। ताकि आने जाने के लिए सीधा रास्ता बन सके। पर जंगलों के बीच हुए इस निर्माण में शायद संबंधित ठेकेदार और रेलवे के इंजीनियरों ने नियमों को ताक पर रखकर निर्माण किया था। जिसकी पोल अब जाकर खोलने लगी है। यहां से गुजरने वाले राहगीरों ने हमें इसकी तस्वीर साझा की है व अभी से ओवरब्रिज की इस बदहाली पर चिंता जताई है। अब तक रेलवे द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। देखते देखते ब्रिज का ऊपरी हिस्सा भी धंसने लगा है। इससे हादसे को भी न्योता दिया जा रहा है। यह ब्रिज बालोद जिला मुख्यालय को ग्राम भैंसबोड़ से जोड़ता है। जो कि डौंडीलोहारा ब्लॉक का गांव है। यहां रेलवे का एक छोटा स्टेशन भी है। इस गांव के लोगों ने रेलवे स्टॉपेज बनवाने के लिए श्रमदान कर रास्ता बनाया था। रेलवे स्टेशन में भी श्रमदान किया था। ग्रामीणों की श्रमदान से गांव का नाम काफी प्रख्यात हुआ। लेकिन रेलवे व ठेकेदारों ने घटिया काम करके यहां का नाम खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी । नतीजा यही है कि ओवरब्रिज में दरार पड़ने लगी है। ऊपर से ही ब्रिज धंसने लगा है।
ये है जिले का पहला रेलवे ओवरब्रिज
ये जिले का पहला 50 मीटर ओवरब्रिज है जिसे भैंसबोड़ व दैहान जंगल रेलवे फाटक के बीच में बनाया गया है। इसे बनाकर बालोद-दल्लीराजहरा मुख्य मार्ग से जोड़ा गया है। यह ओवरब्रिज फायदेमंद साबित होगा प्लानिंग कर इसे बनाया गया है। इसके बनने से वनांचल के अधिकांश गांव मुख्य मार्ग से जुड़ गए हैं फिर जिला व ब्लाक मुख्यालय आने की राह आसानी हुई है। रेलवे फाटक हमेशा के लिए बंद हो गया है। जिससे हादसे नहीं होते। ट्रेन ओवरब्रिज के नीचे से गुजरता है। पर निर्माण में धांधली अब सामने आ रही है।
30 से अधिक गांवों को सुविधा, दूरी होती है कम
भैसबोड़, गैंजी, बखलीटोला, सहगांव सुवरबोड़, बनगांव, गिधाली, मरकामटोला, झरनटोला,पोखलाटोला, जाटादाह, पिंगाल, बघमार,किल्लेकोड़ा, खोलझर, भिंदो, साल्हेटोला, मरईटोला, रुपुटोला, भंवरमरा, माटरी, दैहान सहित 30 से अधिक गांव के लोगों को इससे सुविधा मिलती है। लेकिन अभी से इस ओवरब्रिज की यह दुर्दशा होना यहां के ग्रामीणों के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ है।