November 22, 2024

ओबीसी महासभा के जरिए अब बालोद सहित छग में भी होंगे अधिकार आंदोलन, देखिये किन मुद्दों को लेकर यह संगठन होगी आपके साथ, छग की इकाई में हुई नई नियुक्तियां, बालोद जिले के इन लोगों को मिली प्रमुख जिम्मेदारी

बालोद/ रायपुर। ओबीसी महासभा के छत्तीसगढ़ प्रदेश के इकाई में विभिन्न पदों पर नए लोगों को नियुक्ति प्रदान कर इस महासभा के कार्यों को आगे बढ़ाने मौका दिया गया है। अब बालोद सहित पूरे छत्तीसगढ़ में समय-समय पर अधिकार आंदोलन होंगे। जिन उद्देश्यों को लेकर ओबीसी महासभा की शुरुआत की गई है, उनकी पूर्ति बालोद सहित अन्य जिलों में होगी। इसलिए संगठन का विस्तार किया जा रहा है। यह एक गैर राजनीतिक संगठन है। राष्ट्रीय कोर कमेटी के अनुशंसा तथा कोर कमेटी द्वारा लिए गए निर्णय अनुसार छत्तीसगढ़ प्रदेश के इकाइयों में ओबीसी महासभा के विभिन्न पदों पर नियुक्तियां प्रदान की गई है। जिसमें बालोद जिले के अलग-अलग क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को भी मौका दिया गया है। इसके अलावा दूसरे क्षेत्र बिलासपुर, कबीरधाम, दुर्ग भिलाई, महासमुंद, मुंगेली, बलौदा बाजार सहित अन्य जगहों से भी पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है।

बालोद जिले से जिला सचिव पसौद के पोषण साहू, महासचिव परसोदा के डॉ बिसंभर सिन्हा तो जिला मीडिया प्रभारी का दायित्व जगन्नाथपुर, बालोद के दीपक कुमार यादव को सौंपा गया है। ओबीसी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राधेश्याम साहू ने बताया कि ओबीसी के लोगों के हितों में यह राष्ट्रीय संगठन काम करती है। तो वहीं छत्तीसगढ़ में ओबीसी के लोगों के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ भी आवाज उठाती है। विगत दिनों विभिन्न मांगों को लेकर ओबीसी महासभा ने स्थानीय जिला प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा था।

कीर्ति कश्यप राष्ट्रीय सचिव


नवनियुक्त सभी पदाधिकारियों को प्रदेश अध्यक्ष राधेश्याम साहू

राधेश्याम साहू, प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी महासभा

ने बधाई देते हुए कहा है कि आप ओबीसी महासभा के नियमानुसार संविधान के दायरे में रहकर महापुरुषों की विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए संख्या के हिसाब से हिस्सेदारी के लक्ष्य के लिए प्रयासरत रहेंगे।

ये हैं बालोद जिले के नव नियुक्त पदाधिकारी

बिसंभर सिन्हा जिला महासचिव
पोषण साहू, जिला सचिव
दीपक यादव, जिला मीडिया प्रभारी

सरकार से आरक्षण बढ़ाने समेत अन्य मांगो पर मुखर है ओबीसी महासभा

बता दें कि ओबीसी के हितों में राज्य व केंद्र सरकार दोनो से विभिन्न मांगों को लेकर यह महासभा प्रयासरत है। इनकी मांग है कि जनगणना में ओबीसी वर्ग के लिए अलग से कॉलम बनाया जाए। 1931 की जनगणना के मुताबिक देश में पिछड़ा वर्ग की आबादी 51% थी। इसके बाद 2011 में गणना हुई जिसके आंकड़े कभी देश के सामने नहीं रखे गए। वे चाहते हैं कि जनगणना में अब ओबीसी वर्ग के लिए अलग से कॉलम बना देना चाहिए, ताकि सही आंकड़े सामने आ सकें। इसी हिसाब से पिछड़ा वर्ग को आरक्षण मिलना चाहिए। उत्थान के लिए अन्य योजनाएं भी इसी आधार पर बनानी चाहिए। ये इसलिए जरूरी है क्योंकि देश की सबसे बड़ी आबादी का विकास हुए बिना देश का विकास भी संभव नहीं।

केंद्र-राज्य में ओबीसी पदों के लिए जल्द शुरू हो भर्ती प्रक्रिया

महासभा के पदाधिकरियों ने कहा कि पूरे देश में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हजारों-लाखों पद रिक्त पड़े हैं। बैकलॉग के लिए विशेष भर्ती प्रक्रिया की शीघ्र की जाए। इसके अलावा ओबीसी आरक्षण में क्रीमिलेयर की अनावश्यक शर्तों को लेकर भी समाजों में काफी आक्रोश है। क्रीमिलेयर के अंतर्गत सैलरी, कृषि समेत अन्य आय को जोड़ना गलत है। यह भविष्य में ओबीसी वर्ग की बहुत बड़ी आबादी को आरक्षण से बाहर करने की साजिश है। अनुसूचित जाति-जनजाति की तरह पिछड़ा वर्ग को भी पदोन्नति में आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए।

छग में सीलिंग एक्ट के तहत अधिगृहीत जमीन वापस करें

छत्तीसगढ़ में सीलिंग एक्ट 1970-80 के तहत किसानों की जमीनें अधिगृहीत की गईं। योजना तो कहीं नहीं दिखी, लेकिन भू माफियाओं ने जमीनें हथिया लीं और किसानों से मुख्तियारनामा बनवाकर अरबपति बन गए। इस मामले की जांच होनी चाहिए और किसानों को उनकी जमीनें वापस की जानी चाहिए। इसके अलावा फरवरी में हुए ओबीसी आंदोलन के दौरान छतरपुर में आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे को भी अविलंब वापस लेने और पिछड़ा वर्ग समाज के लिए अलग से ऋण योजना शुरू करने की मांग की जा रही है।

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