BIG.NEWS-ये तो गजब हो गया? किसान ने ir64 की फसल बोनी की और उग आई दूसरी किस्म की फसल, बालोद जिले में प्रमाणित बीज में गड़बड़ी का ऐसा पहला मामला, देखिए पूरी खबर और फोटो
रायपुर/बालोद। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के बालोद ब्लॉक के ग्राम लाटाबोड़ में प्रमाणित बीज के नाम पर कैसे किसान खुद को ठगी का शिकार होने की बात कह रहें क्योंकि बात ही कुछ ऐसी है। वो कहते हैं ना कि अगर हम नीम बोएंगे तो आम कहां से पाएंगे। लेकिन यहां कहावत उल्टी हो गई है। किसान ने ir64 का धान लगाया, पर उग गया कुछ और ही। अब यह कौन से किस्म की धान है यह भी पहेली बन गई है। पूरा मामला लाटाबोड़ के किसान सुभाष दास साहू ने उठाया है। इस पहेली को सुलझाने के लिए जिला प्रशासन जुटा हुआ है। कृषि विभाग सहित वैज्ञानिकों की टीम भी जांच के लिए पहुंच गई है। लेकिन अब तक पुष्टि नहीं हुई है वह ir64 नहीं है तो क्या है। किसान ने इस मामले में शासन प्रशासन पर मिलावट करने का आरोप लगाया है। बालोद जिले में यह अपने तरह का एक अलग मामला है। कृषि वैज्ञानिक तक भी असमंजस में है कि ऐसे कैसे हो गया। तो कृषि अधिकारी मामले में जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहने की बात कर रहे हैं। इधर किसान सुभाष ने बताया
खेत में ir64 की फसल कम दूसरे किस्म की फसल ज्यादा नजर आ रही है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि जब बीज खरीदा गया तो उसमें मिलावट थी। किसानों के साथ धोखा हुआ है। जो फसल उगी है वह बहुत ही कमजोर बताई जा रही है। जिससे उत्पादन भी पूरी तरह से गिर सकता है।
इस मामले की शिकायत किसान सुभाष साहू ने कलेक्टर व कृषि विभाग तक की है। इसके बाद अधिकारियों की टीम ने फसल का जायजा लिया है और सैंपल लेकर धान की किस्म को जांच के लिए भेजा जा रहा है। वहीं अब जांच का विषय है कि आखिर ir64 के बीच दूसरे किस्म का बीज कैसे पहुंचा। ये मिलावट कैसे हुई तो किसान सरकार से यही सवाल पूछ रहे हैं कि अगर हम बीज निगम से प्रमाणित बीज खरीदते हैं तो क्या अब वह अब आगे विश्वास के काबिल है।
इस तरह हुई है किसान के साथ धोखाधड़ी
किसान सुभाष दास साहू ने बताया कि उन्होंने जय किसान सोसायटी लाटाबोड़ से छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम का प्रमाणित धान बीज ir64, 12 जून 2020 को खरीदा था। 15 जून को उन्होंने नर्सरी डाली फिर 3 जुलाई को रोपाई किया। आज धान का बाली निकल आया है। फसल पकने पर है लेकिन खेत में विभिन्न प्रकार के धान दिख रहे हैं। जिसमें सूंड वाले धान ज्यादा है। यह ir64 नहीं है। इस धान में बीमारी भी बहुत ज्यादा हो रही है। उन्होंने 6 अक्टूबर को इस संबंध में कलेक्टर से शिकायत कर के 1 सप्ताह के भीतर न्याय दिलाने की मांग की थी। इसके बाद भी उस समय कार्यवाही ना होने पर उन्होंने ग्राम सभा अध्यक्ष व सचिव ग्राम पंचायत को भी आवेदन दिया था ।जिसमें उन्होंने अपनी पीड़ा बताते हुए लिखा था कि कृषि विस्तार अधिकारी तथा सोसायटी संचालक को 17 जुलाई को सूचना देने जाने के बाद भी किसी तरह का निराकरण नहीं हुआ। जिस पर 6 अक्टूबर को भी उन्होंने लिखित शिकायत उपसंचालक कृषि व कलेक्टर को भी दी थी। लेकिन निरीक्षण के लिए नहीं आए थे। मंगलवार को अधिकारी निरीक्षण के लिए पहुंचे तो फिर अब जांच शुरू हुई है।
कृषि उपसंचालक का यह कहना
इधर जब हम मामले में कृषि उपसंचालक नागेश्वर लाल पांडे से बात की तो उनका कहना था कि यह कैसे हुआ है अभी कुछ कह नहीं सकते हैं। जांच रिपोर्ट का इंतजार कीजिए। उसके बाद ही कुछ बता सकते हैं। किसान की शिकायत पर टीम भेजकर मामले की जांच करवाई जा रही है।