श्री तुलसी मानस प्रतिष्ठान ने की राज्यपाल से सौजन्य भेंट
बालोद/रायपुर । श्री तुलसी मानस प्रतिष्ठान के प्रतिनिधि मंडल ने प्रदेश में चल रहे धर्मांतरण तथा भगवान श्रीराम पर तथाकथित सभ्रांत लोगों के द्वारा अभद्र तथा अमर्यादित टिप्पणी करने सामाजिक समरसता को खंडित करने तथा जातिगत विद्वेष फैलाने, आदिवासी संस्कृति पर कुठाराघात जैसे असंवैधानिक कृत्य किए जाने विषय पर प्रदेश के राज्यपाल महामहिम अनसुईया उइके से मिलकर गहन चर्चा की।
तुलसी मानस प्रतिष्ठान के संरक्षक सांसद मोहन मंडावी के निर्देशन में उपस्थित प्रतिनिधि मंडल में संरक्षक स्वामी आत्माराम कुंभज, अध्यक्ष गोपाल वर्मा, प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष जगदीश देशमुख, महासचिव पुरुषोत्तम राजपूत, संपादक सीताराम साहू, तहसील अध्यक्ष बीआर बेलसर, सदस्य चंद्रकुमार देशमुख ने महामहिम राज्यपाल को अवगत कराया कि बस्तर वनांचल सहित पूरे प्रदेश में धर्मांतरण तेजी से हो रहा है। जिससे आदिम संस्कृति नष्ट हो रही है। प्रदेश के कुछ एनजीओ ऐसे हैं जो वनांचल में धर्मांतरण की पृष्ठभूमि तैयार करते हैं और धर्मांतरण करवाते हैं जिसमें आदिवासी समाज के तथाकथित लोग भी शामिल है। यह घोर चिंतन का विषय है। राज्यपाल ने धर्मांतरण पर झारखंड के तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी कानून बनाने की बात कही।
प्रतिष्ठान ने यह भी अवगत कराया कि हमारे भारतीय संस्कृति के आदर्श मर्यादा के प्रतिमान भगवान श्रीराम का लगातार अभद्र अमर्यादित संबोधन कर पुतला जलाने जैसे कुत्सित प्रयास किया जा रहा है जिससे हमारी आस्था को चोट पहुंच रही है। जिससे राम भक्तों में आक्रोश व्याप्त है। भोले-भाले आदिवासियों को बरगला कर जातिगत विद्वेषता के साथ सामाजिक समरसता को नष्ट करने का षड्यंत्र किया जा रहा है। आगामी भव्य मानस सम्मेलन में आथित्य स्वीकार करने का निवेदन पर महामहिम ने सहर्ष आथित्य स्वीकार करने का आश्वासन भी दिया। श्री तुलसी मानस प्रतिष्ठान की सजगता और लोक मानस के लिए किए जा रहे रचनात्मक कार्यों और उद्देश्यों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। प्रतिष्ठान ने उन्हें मानस मंजूषा, अरण्य संस्कृति के संवाहक श्री राम, रामचरितमानस ग्रंथ भेंट कर अभिनंदन किया।