देश का सीना चौड़ा कर दिखाया इस शख्स ने- बालोद जिले के पर्वतारोही चित्रसेन ने कृत्रिम पैरों से पूरा किया माउंट एलब्रुस अभियान- 5642 मीटर यूरोप महाद्वीप के उच्च शिखर पर लहराया तिंरगा

छत्तीसगढ़ के युवा चित्रसेन साहू ने कायम किया नेशनल रिकार्ड,कृत्रिम पैरो की मदद से फतह किया यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रुस 5642 मीटर

बालोद/रायपुर/छग – चित्रसेन के द्वारा 23 अगस्त को सुबह 10:54 बजे(मास्को के समयानुसार)(1.24pm भारतीय समयानुसार) माउंट एलब्रुस पर भारतीय तिरंगा लहराया गया ,इसके साथ 3 महाद्वीप के उच्च शिखर पर पहुंचने का गौरव प्राप्त किया।

रुस में स्थित है यह पर्वत जिसकी ऊंचाई है 5642 मीटर(18510 फीट)

यह पर्वत फतह करने वाले देश के प्रथम डबल अम्पुटी पर्वतारोही(दोनो पैर कृत्रिम)

पर्वत से दिया मिशन इंक्लूसन और प्लास्टिक फ्री का संदेश

राज्य के ब्लेड रनर, ‘हाफ ह्यूमन रोबो’ के नाम से जाने जाते है, मूलतः बालोद छत्तीसगढ के निवासी है। चित्रसेन साहू * मिशन इंक्लूसन “अपने पैरों पर खड़े हैं”* मिशन के तहत यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी एलब्रुस का फतह की। छत्तीसगढ़ की अमेरिका स्थित एन आर आई संस्था नाचा (नॉर्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन) ने इस पर्वतारोहण अभियान को सहयोग किया। सात समुंदर पार अमेरिका के इस संस्था चित्रसेन साहू के उपलब्धि को पूरे देश के लिए गौरव की बताई गई तथा आगामी अभियान के शुभकामनाएं दी।

ये हैं पहले की सफलता

इससे पूर्व चित्रसेन साहू ने माउंट किलिमंजारो  और माउंट कोजीअस्को फतह कर  नेशनल रिकॉर्ड कायम किया था । माउंट किलिमंजारो अफ्रीका महाद्वीप एवम माउंट कोजिअसको ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप की सबसे ऊंची पर्वत है ,चित्रसेन यह उपलब्धि हासिल करने वाले देश के प्रथम डबल एंप्यूटी है। चित्रसेन साहू ने बताया कि दोनों पैर कृत्रिम होने की वजह से पर्वतारोहण में बहुत कठिनाइयां आती है और यह अपने आप बहुत बड़ा चैलेंज है, जिसको उन्होंने स्वीकार किया है और इनका लक्ष्य  है सात महाद्वीप के साथ शिखर फतह करना है।जिसमे से एलब्रुस के साथ 3 लक्ष्य उन्होंने फतह कर लिया है। हालाकि -15 से -25 डिग्री के तापमान के साथ पर्वतारोहण करना और 50-70 किमी प्रति घंटा के रफ्तार से हवाई तूफान तथा स्नो फाल इस अभियान में कठिनाई ला रही थी पर हमने अपनी तैयारी पूरी कर रखी थी और अभियान पूरा करने का जज्बा बनाए रखा।

पूर्व की पर्वतारोहण मिशन की जानकारी –

अवगत हो कि चित्रसेन साहू पर्वतारोही होने के साथ-साथ राष्ट्रीय व्हीलचेयर बास्केटबॉल एवम् राष्ट्रीय पैरा स्विमिंग के खिलाड़ी, ब्लेड रनर हैं।उन्होंने विकलांगो के ड्राइविंग लाइसेंस के लिए भी बहुत लंबी लड़ाई लड़ी है और शासन की अन्य नीतियो को अनुकूल बनाने के लिए काम कर रहे हैं। साथ ही चित्रसेन साहू ने 14000 फीट से स्काई डाइविंग करने रिकॉर्ड बनाया है और सर्टिफाइड स्कूबा डायवर है।

पर्वत चढ़ने के बाद यह बोले चित्रसेन

मेरे लिए पर्वतारोहण का निर्णय आसान नहीं था क्योंकि भारत में अभी तक कोई भी डबल अंप्यूटी पर्वतारोही नहीं है जो पर्वतारोहण करता हो। सबके लिए स्वतंत्रता के मायने क्या है ??? वह बाहर घूमे फिरे ,कोई रोक-टोक ना हो, वह कहीं भी आ जा सके और मुझे घूमना और ट्रैकिंग बहुत पसंद था। 2014 में दुर्घटना में दोनो पैर खोने के बाद  मेरे मन में भी यही स्वतंत्रता का भाव था जो मुझे धीरे-धीरे पर्वतारोहण के क्षेत्र में ले गया। शुरुआत छोटे-छोटे छोटे-छोटे यात्रा से ट्रैकिंग में, ट्रेकिंग से माउंटेनियरिंग में तब्दील हुई। जब मैं छोटे-छोटे ट्रैकिंग में जाना शुरू किया तो आत्मविश्वास बढ़ता गया। कृत्रिम पैर होने से आपको एक सामान्य व्यक्ति से 65% ज्यादा ताकत और ऊर्जा लगती है और माउंटेन में जब अधिक ऊंचाई पर होते हैं तो ऑक्सीजन लेवल भी कम होता है और आप बाकी लोग की तुलना में थोड़े धीरे होते हैं तो यह और मुश्किल हो जाता है ऊपर से वातावरण का शरीर पर प्रभाव करने का डर अधिक रहता है किंतु मनोबल ऊंचा रहे तो सब संभव है।

मेरा यह मानना है कि जिंदगी पर्वत के समान है सुख दुख लगा रहता है उतार-चढ़ाव आते रहते हैं किंतु हमें इस एक सामान्य प्रक्रिया मानकर लगातार संघर्ष करना है और आगे बढ़ना है, हम यदि किसी भी समस्या को लेकर समाधान के बारे में एक सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़े तो निराकरण जरूर संभव है।

चित्रसेन साहू ने बताया कि उन्होंने हमेशा से ही अपने लोगों के हक के लिए काम किया है ताकि उन लोगों के साथ भेदभाव ना हो। शरीर के किसी अंग का ना होना कोई शर्म की बात नहीं है ना ये हमारी सफलता के आड़े आता है बस जरूरत है तो अपने अंदर की झिझक को खत्म कर आगे आने की। हम किसी से कम नहीं ना ही हम अलग हैं तो बर्ताव में फर्क क्यों करना हमें दया की नहीं आप सबके साथ एक समान ज़िन्दगी जीने का हक चाहिए ।

 “अपने पैरों पर खड़े हैं” मिशन इंक्लूसन के पीछे हमारा एक मात्र उद्देश्य है सशक्तिकरण और जागरूकता, जो लोग जन्म से या किसी दुर्घटना के बाद अपने किसी शरीर के हिस्से को गवां बैठते हैं उन्हें सामाजिक स्वीकृति दिलाना, ताकि उन्हें समानता प्राप्त हो ना किसी असमानता के शिकार हो तथा बाधारहित वातावरण निर्मित करना और चलन शक्ति को बढ़ाना।

जिला साहू समाज ने किया गर्व, दी बधाई

कहते हैं कि व्यक्ति नहीं व्यक्ति का हौसला बड़ा होता है, इस पंक्ति को चरितार्थ किया है देश के प्रथम डबल अम्पुटी पर्वतारोही चित्रसेन साहू ने. उनके इस उपलब्धि के लिए पूरे भारतवर्ष एवं छत्तीसगढ़ के साथ-साथ जिला बालोद जिला साहू संघ बालोद गौरवान्वित हुआ है उनके इस उपलब्धि पर पूरे भारतवर्ष के साथ समाज के जिलाध्यक्ष किशोरी लाल साहू ने बधाई एवं उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं प्रेषित की है। जिला साहू संघ बालोद के अंकेक्षण रघुनंदन गंगबोईर ने बताया कि चित्रसेन साहू यूरोप के ऊंची पर्वत श्रेणी से  मिशन इंक्लूसन और प्लास्टिक फ्री का संदेश दिया है। ओम प्रकाश साहू महामंत्री जिला साहू संघ बालोद ने बताया कि वो राज्य के ब्लेड रनर, ‘हाफ ह्यूमन रोबो’ के नाम से जाने जाते है, मूलतः बालोद छत्तीसगढ के निवासी है।जिला उपाध्यक्ष सोमन साहू ने अपने बधाई संदेश में कहा कि पूरे भारतवर्ष एवं छत्तीसगढ़ के साथ बालोद जिला एवं जिला साहू संघ बालोद को गर्व है, आपके जज्बे को सलाम  चित्रसेन साहू जी बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं ।

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