बालोद। शाम 6.30 बजे खाद्य विभाग द्वारा कांग्रेस भवन बालोद के सामने एक पिकअप से 14 कट्टा यानी 7 क्विंटल सरकारी गेहूं जब्ती की कार्रवाई की गई है। गेहूं को बालोद के एक सोसाइटी में रखवाया गया है तो पिकअप को थाने में जब्ती की गई है। खाद्य विभाग द्वारा पूछताछ करने पर संबंधित व्यक्ति द्वारा सरकारी गेहूं के परिवहन को लेकर कोई दस्तावेज ना होने पर कार्रवाई की गई है। बताया जाता है कि यह गेहूं सिवनी के एक समूह से ले जाया जा रहा था। जिसे सांकरा ज के समूह तक पहुंचाना था। आखिर इस तरह गेहूं का परिवहन क्यों करना पड़ा था? विभाग को क्यों कार्रवाई करनी पड़ी? इस पूरे मामले की तह तक जाते हुए हमने जब पड़ताल की तो एक बड़ी बात सामने आई कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जिन्हें स्व सहायता समूह के माध्यम से रेडी टू ईट बनवाया जाता है, उन्हें 2 से 3 माह से गेहूं का आवंटन ही नहीं हुआ है। सांकरा सोसायटी में समूह के नाम से आने वाला गेहूं आया ही नहीं है। जिसके चलते सांकरा की समूह ने सिवनी की समूह से मदद मांगी और वहां के कुछ स्टाक को बतौर उधारी यह गेहूं मंगाया गया। सांकरा ज समूह के अध्यक्ष का कहना है कि हमसे गलती यही हो गई कि हमने संबंधित विभाग को इसकी जानकारी नहीं दी और रेडी टू ईट की सप्लाई भी करनी जरूरी थी, उसे बनाने का वक्त नजदीक आ रहा था इसलिए सिवनी के समूह से मदद मांगते हुए उक्त गेहूं पिकअप में मंगवाया जा रहा था।
सवाल तो ये भी है,,,,
अब जब्ती से कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं तो वहीं विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगा है कि आखिर सरकार की अच्छी भली योजना में गेहूं की सप्लाई में देरी करके क्यों पलीता लगाया जा रहा है। आखिर विभाग की देरी के चलते समूह को इस तरह एक-दूसरे के समूह से उधारी में गेहूं मंगवाने की जरूरत क्यों पड़ गई। अब देखने वाली बात होगी कि मामले में महिला बाल विकास विभाग क्या अपनी गलती छुपाती है या फिर पूरी गलती स्व सहायता समूह पर डालती है।