बालोद/ धमतरी। पड़ोसी जिले धमतरी में जापानी बुखार का एक केस पाया गया है। नगरी ब्लाक में केस मिला है। इसकी पुष्टि हैदराबाद के लैब से जांच के बाद हुई है। धमतरी जिले में नवम्बर से टीकाकरण की तैयारी शुरू हो गई है।
बताया जाता है कि हैदराबाद, मुंबई लैब से जांच के बाद जापानी बुखार की पुष्टि हुई है। यह जानलेवा बुखार माना जाता है। धमतरी जिले में 15 साल तक के ढाई लाख बच्चाें काे टीका लगाया जाएगा। यह अभियान 23 नवंबर से चलेगा। जिसे 18 दिसंबर तक पूरा करने की तैयारी है। स्वास्थ्य संचालनालय ने धमतरी जिले काे भी बस्तर की तरह हाई रिस्क जाेन में शामिल किया है। जानकारी के मुताबिक एक केस नगरी ब्लॉक में मिला । बच्चे की उम्र करीब 10 साल है। शहर के एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया गया। तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो ब्लड, मल और पेशाब के सैंपल लिए। स्वास्थ्य विभाग ने जांच के लिए सैंपल हैदराबाद और मुंबई भेजे। करीब एक महीने में रिपोर्ट आई। इसमें पुष्टि हुई कि बालक काे जापानी बुखार है। जापानी बुखार यानी जैपनीज इंसेफलाइटिस (जेई) से बचाव के लिए पहली बार टीका लगाने आदेश दिया गया है।
जरा जानिए क्या है जैपनीज इंसेफलाइटिस
जैपनीज इन्सेफलाइटिस में बुखार होने पर बच्चे की सोचने, समझने, और सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। इसमें तेज बुखार के साथ बार-बार उल्टी होती है। यह बीमारी अगस्त, सितंबर और अक्टूबर माह में ज्यादा फैलती है। 1 से 15 साल तक के बच्चों काे ही होता है।
धमतरी के अलावा इन जिलों में लगाया जाएगा जेई का टीका
धमतरी के अलावा बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कोंडागांव जिले शामिल है। जहां टीकाकरण अभियान 23 नवंबर से 18 दिसंबर तक चलेगा। जिले में जापानी बुखार के मरीज कैसे फैला, इसकी जांच भी चल रही।
जानिए क्या हैं जेई के लक्षण
जापानी मस्तिष्क ज्वर के हल्के संक्रमण में बुखार एवं सिरदर्द हाेता है।
संक्रमण में तेज बुखार, सिरदर्द और गर्दन में अकड़न आती है।
मांसपेशियां अचानक ही तेजी से संकुचित हो जाती हैं।
झटके आते हैं। गंभीर अवस्था में लकवे की संभावना भी होती है।
कभी-कभी रोगी कोमा में भी चला जाता है।
शरीर में जकड़न नज़र आना।
बच्चों का दूध कम पीना।
चिड़चिड़ापन, बार-बार रोना।
बचाव के लिए ये है उपाय
समय से टीकाकरण कराएं।
साफ-सफाई से रहें।
गंदे पानी के संपर्क में आने से बचें।
मच्छरों से बचाव करें।
बच्चों को पूरे कपड़े पहनाएं ताकि उनका शरीर ढका रहे।
घर में मच्छरों और कीटों को भगाने के साधनों का उपयोग करें।
घरों के आसपास पानी न जमा होने पाए, खासकर बारिश के मौसम में बच्चों को बेहतर खान-पान दें।
क्या कहतें हैं विशेषज्ञ
सीएमएचओ डॉ. डीके तुर्रे ने बताया कि इन्सेफलाइटिस (जेई) को जापानी बुखार के नाम से भी जाना जाता है। यह दिमागी बुखार है। वायरल संक्रमण के कारण होता है। यह संक्रमण ज्यादा गंदगी वाली जगह पर पनपता है। मच्छर के काटने से होता है। नगरी ब्लॉक में मलेरिया के ज्यादा केस हैं। बीते साल पहली बार एक केस जापानी बुखार का आया। इसकी पुष्टि हैदराबाद और मुंबई लैब से रिपोर्ट आने पर हुई। स्वास्थ्य संचालनालय को रिपोर्ट भेजी। इसकाे फैलने से राेकने के लिए पहली बार टीका लगाया जाएगा।