November 22, 2024

स्कूल बंद है तो क्या हुआ? बच्चे गांव की दीवारों से अब कर सकेंगे पढ़ाई, प्रिंट रिच वातावरण से शिक्षा देने कपरमेटा में हो रही पहल, शिक्षक बने पेंटर

गुरुर। गुरुर ब्लॉक के ग्राम कपरमेटा में इन दिनों प्रिंट रिच वातावरण से बच्चों को शिक्षा देने के लिए अनूठी पहल हो रही है। हाल ही में शासन द्वारा यह निर्देश प्राप्त हुआ है कि स्कूल बंद है तो हम गांव के बाहरी वातावरण के जरिए बच्चों को शिक्षा दें। पेंटिंग, चित्रकारी व अन्य माध्यम से गांव की दीवारों पर सजावट करें। ताकि बच्चों के साथ-साथ उनके पालक भी इसे पढ़कर शिक्षित होते रहे।

इस पहल को कपरमेटा के शिक्षक षड प्रकाश किरण कटेन्द्र ने खुद अपने चित्रकारी की कला को सामने लाते हुए पेंटर बनकर गांव की दीवारों पर जगह-जगह चित्रकारी कर शिक्षा के क्षेत्र में एक अलग पहल कर दिखाया है। जिसकी पालक सराहना कर रहे हैं।शासकीय प्राथमिक शाला छोटापारा कपरमेटा में बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए गांव की दिवारों पर प्रिंट रिच का कार्य किया जा रहा है। दिवारों पर चित्र, कविता, गिनती, गणित के सवालों सहित छोटी कहानियों को शाला के सहायक शिक्षक षड प्रकाश किरण कटेन्द्र पेन्टिग का कार्य कर रहे हैं। प्रधान पाठक आर आर गंजीर ने बताया कि शिक्षक षड प्रकाश किरण कटेन्द्र मोहल्ला क्लास के बाद एवं छुट्टी के दिन पेन्टिग का कार्य करते हैं। बच्चों के लिए सहायक शिक्षण सामाग्री का निर्माण करते हैं। वे पेन्टर, मूर्तीकार एवं लोकमंच के कलाकार हैं। उनकी प्रतिभा का लाभ शाला के बच्चों को मिलता है। उन्हे मुख्यमंत्री शिक्षा दूत अलंकार सहित अरविन्दो सोसाईटी दिल्ली के द्वारा शैक्षिक नवाचार पर शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल द्वारा राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक का सम्मान मिला है। इसके अलावा सांस्कृतिक कलाकारी के क्षेत्र व डंडा नृत्य की विधा को सहेजने के लिए उन्हें हाल ही में गुंडरदेही में हुए मितान लोक समारोह में भी सम्मानित किया गया।


ज्ञात हो कि ग्राम नागाडबरी (निपानी) के रहने वाले व कपरमेटा प्राइमरी स्कूल शिक्षक किरण कटेंद्र गांव में बाल समाज महिला मंडल का संचालन भी 25 साल से करते आ रहे हैं। उनके द्वारा डंडा नृत्य टीम का नेतृत्व किया जाता है जो कि पूरे छत्तीसगढ़ में विख्यात है

पिता से विरासत में मिली है कला

शिक्षक किरण कटेंद्र के पिता स्वर्गीय कृष्णा लाल कटेंद्र चित्रकला और मूर्तिकला में माहिर थे। उन्हे अपने पिता से उन्हें यह कला विरासत में मिली है। उनकी कलाओं को और ज्यादा निखारकर लोगों के बीच बांट रहे हैं और अन्य बच्चों व लोगों को भी अपनी कला सिखा रहे हैं।

बाल समाज लीला मंडली से निखार रहे बच्चों की प्रतिभा
बच्चों में छिपी प्रतिभा को निखारने और विभिन्न पर्व पर लीलाओं की परंपरा को बरकरार रखने के लिए ही शिक्षक किरण कटेंद्र ने गांव में बाल समाज लीला मंडली भी 25 साल से चला रहे हैं। गांव के स्कूली बच्चों को इसमें जोड़ कर उन्हें सांस्कृतिक गतिविधियों में जोड़े रखते हैं। जहां वे रामलीला के अलावा भक्त प्रहलाद की कथा व अन्य लीलाओं व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पारंगत करके उनकी सांस्कृतिक कला को निखार रहे हैं। इतना ही नहीं गांव के बड़े और बुजुर्गों को जोड़ने के लिए उन्होंने डंडा नृत्य टीम का गठन किया और इसका नेतृत्व कर रहे हैं।

बस्ता मुक्त स्कूल की उन्होंने की थी शुरुआत

5 साल पहले जब बालोद जिले में तत्कालीन कलेक्टर राजेश सिंह राणा पदस्थ थे तो उन्होंने स्कूलों को बस्ता बोझ मुक्त करने की नई पहल शुरू की थी। कलेक्टर की पहल से प्रभावित होकर शिक्षक कटेंद्र ने भी अपने स्कूल को स्वयं के खर्चे से बस्ता मुक्त किया था। जहां उन्होंने स्वयं रैक, कापी ,पेन की व्यवस्था कर बच्चों को बस्ते के बोझ से मुक्त कर एक नई मिसाल पेश की थी। वहीं क्लास को स्मार्ट बनाने के लिए भी स्वयं के खर्चे पर प्रोजेक्टर लगाया था।

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