November 23, 2024

EXCLUSIVE-चुनाव फिर कोरोना काल के बाद पहली बार जब इस गांव में पहुंचे जनप्रतिनिधि तो ग्रामीण बोले नेताजी रोड व पुल तो बनवा दो, युवा कहने लगे गांव तक आने पक्की रोड नहीं होने से लोग हमें शादी के लिए लड़की तक नहीं देते हैं, पढ़िए बालोद जिले के इस विकास के नाम पर पिछड़े हुए ग्राम की विडंबना से भरी कहानी

बालोद। एक तरफ जहां कांग्रेस सरकार छत्तीसगढ़ में 2 साल पूरे होने की बात कर खुशी मना रही है तो दूसरी ओर आज हम बालोद जिले के डौंडीलोहारा ब्लॉक मुख्यालय से महज 10 से 12 किलोमीटर दूर विकास के नाम पर पिछड़े हुए ग्राम सभा राहटा की कहानी बता रहे हैं। जहां तक पहुंचना मुश्किलों भरा सफर होता है। घने जंगल के बीच बसा ये गांव खरखरा डैम के पीछे हिस्से से लगा हुआ है। यहां तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं है। वन मार्ग से होकर लोगों को यहां आना पड़ता है। एक समय होता था जब लोगों को पहाड़ी चढ़कर गांव पहुंचना पड़ता था या गांव वाले पहाड़ी चढ़कर ब्लॉक मुख्यालय लोहारा आते थे लेकिन विभाग ने औपचारिकता के लिए यहां मुरमी करण करते हुए कुछ सड़क बनाई है लेकिन वह नाकाफी है। तो वही पुल का अभाव है, जिसके चलते पक्की सड़क की सुविधा तक भी नहीं मिल पा रही है। जब चुनाव व कोरोना काल के बाद रविवार को जनप्रतिनिधि पहुंचे तो ग्रामीणों उन्हें यही सवाल कर रहे थे कि आप चुनाव तो जीत गए हमारी समस्या से कब निजात दिलवा रहे हो। यहां पर ग्रामीणों से मिलने के लिए पूर्व विधायक डौंडीलोहारा डोमेन्द्र भेड़िया, जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता व ओबीसी महासभा के जिला अध्यक्ष यज्ञदेव पटेल, जनपद सदस्य राजा राम तारम, जिला कांग्रेस के महामंत्री गोविंद चंद्राकर व सेवादल के कल्याण गिरी हाल जानने के लिए पहुंचे थे। सभी के सामने ग्रामीणों ने एक ही बात दोहराई सड़क पर पुल नहीं होने से सड़क अधूरा है। पक्की सड़क की सुविधा तो हमने आजादी के बाद से आज तक देखी नहीं है। तो वहीं युवाओं ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि हाल ऐसा है कि हम किसी गांव में शादी के लिए लड़की देखने जाते हैं और जब उक्त गांव के लोग हमारा घर देखने के लिए आते हैं तो पहाड़ी के रास्ते से गांव आने से पहले ही वह लौट जाते हैं। गांव में आने जाने का ठीक से रास्ता न होने व वीरान जगह होने के कारण जहां लोग शादी के लिए बेटी तक देना पसंद नहीं करते हैं। इससे रिश्ते तय होने में भी बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है। कई लोगों का रिश्ता नहीं हो पाता तो लड़की की तलाश में वर्षों से भटक रहे हैं।

यह समस्या भी रखी ग्रामीणों ने

ग्रामीण पंच कपिल भुआर्य, ग्राम प्रमुख दिलीप भुआर्य ,कैलाश भुआर्य, केशुराम, रोहिदास ने कहा कि गांव में स्ट्रीट लाइट तक का अभाव है। शाम होते ही घर से निकलना बंद हो जाता है। क्योंकि आसपास जंगली इलाका है। जानवरों का भी खतरा रहता है। बीच में पानी की समस्या को दूर हुई लेकिन बिजली की समस्या यथावत है।

बड़ी बोट की जरूरत, मोटर बोट का वादा पूरा नहीं हुआ जिला प्रशासन का

ग्रामीण जल देव निषाद, सहयोग निषाद, हलाल खोर, सुर सिंह मंडावी, हेमराज निषाद ने कहा कि इस गांव में के बच्चे अरजपुरी में पढ़ाई करने जाते थे। जहां नदी पार करके जाना होता है। इसके लिए कोई रास्ता नही होने पर बच्चे जान जोखिम में डालकर पीपे की नाव से होकर जाते थे लेकिन जब इसकी जानकारी जिला प्रशासन को हुई तो तत्कालीन कलेक्टर किरण कौशल के कार्यकाल के दौरान यहां बोट की सुविधा दी गई। मोटर बोट दिलाने का भी वादा जिला प्रशासन द्वारा किया गया था। लेकिन वह सुविधा आज तक नहीं मिल पाई। जो बोट मिली है, वह सामान्य बोट है। जिसमें कम आदमी ही जा पाते हैं और छोटी है। बच्चों को तो अब अरजपुरी स्कूल नहीं भेज रहे हैं। उन्हें खोलझर और रायगढ़ जा रहे हैं। जिला प्रशासन को वादे के मुताबिक मोटर वोट देना चाहिए तो वही आने-जाने की सुविधा के लिए जल्द से जल्द पक्की सड़क भी बननी चाहिए। लेकिन अभी तक पुल पुलिया का निर्माण अधूरा है।

आयोजन तक के लिए जगह नहीं सामुदायिक भवन कला मंच की अहम जरूरत है

ग्रामीण हेमराज निषाद, भागवत राम गोटा, विष्णु राम भुआर्य, संतोष भुआर्य, दीनू राम ने कहा कि गांव में कोई आयोजन के लिए जगह तक नहीं है। एक कला का अभाव है तो सांस्कृतिक भवन नहीं बना है। इस मांग को लेकर हम कई बार पंचायत प्रशासन को भी ज्ञापन दे चुके हैं। तो वहीं कोई नेता अब तक इस दिशा में पहल नहीं कर पाया है। खेल मैदान की भी जरूरत है। गांव की आबादी 110 है। सीसी रोड अधूरा है। गली से घाटी तक सीसी रोड बनाने की मांग की जा रही है। रायगढ़ मार्ग पर तीन जगह पुल बनना है लेकिन काम अधूरा है। सरपंच सीमा गोवर्धन मंडावी ने बताया नल जल योजना के यहां के लिए स्वीकृत हो गया है लेकिन काम शुरू नहीं हो पाया। जिस दिन यहां भूमि पूजन होना था उसी समय प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया। जिसके बाद से काम लटक गया।

हाल जाने के लिए पहुंचे जनप्रतिनिधि ग्रामीणों की इन समस्याओं पर क्या बोलिए जरा उनकी भी सुनिए

ग्रामीणों की समस्या सुनने के लिए पहुंचे जनप्रतिनिधियों ने अपनी ओर से उन समस्याओं के निराकरण को लेकर आश्वासन दिया। पूर्व विधायक डोमेन्द्र भेड़िया ने कहा कि उनकी बहू बसंती बाला भेड़िया जिला पंचायत सदस्य हैं। उनके जरिए इस गांव के विकास के लिए जो काम हो सकता है, वे जरूर करवाने का प्रयास करेंगे। पूर्व विधायक रहे तो इस क्षेत्र की समस्या से वाकिफ हैं। यहां उन्होंने पहली बार विधायक निधि से वर्षों पहले एक नाव भी दिया था। मुरमी वाला जो घाट से रास्ता बना है, उनके ही कार्यकाल के समय बना था। वे राहटा के ग्रामीणों की समस्या से परिचित हैं।

वन विभाग से मिलकर रास्ता निकालेंगे- जनपद सदस्य

तो वही जनपद सदस्य राजाराम तारम ने कहा कि गांव के विकास को लेकर वन विभाग से मिलकर चर्चा की जाएगी। यहां की क्या क्या समस्या है उनका हल कैसे हो सकता है इसको लेकर जल्द ही योजना बनाई जाएगी। हम यहां की समस्या से वाकिफ है। वाकई में राहटा के ग्रामीण कई मुश्किलों का सामना करके यहां गुजारा कर रहे हैं। मैं खुद यहां चुनाव के समय एक बार आया था। उसके बाद आ नहीं पाया था। इसलिए ग्रामीणों का हाल जाने के लिए यहां पहुंचा। ग्रामीणों की समस्या बताना लाजमी है। जल्द से जल्द उनका निराकरण हो इसके लिए पूरा प्रयास होगा।

गांव के विकास को लेकर प्रयास करने वाले शिक्षक व मीडिया कर्मियों का हुआ सम्मान

जनप्रतिनिधि के निरीक्षण के साथ ग्रामीणों द्वारा इस गांव को गुमनामी के अंधेरे से बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाने वाले मड़िया कट्टा स्कूल के शिक्षक दयालु राम पिनकेश्वर व मीडिया कर्मियों का भी ग्रामीणों ने स्वागत सम्मान किया। तो वही जनप्रतिनिधियों ने भी शिक्षक व मीडिया कर्मियों के प्रयास को सराहा।

जिनकी वजह से प्रशासन की नजर इस गांव पर पड़ी और यहां धीरे-धीरे ही सही लेकिन उनकी समस्याओं का निराकरण होने लगा है। कई समस्याएं अभी भी है जिनका निराकरण जरूरी है।
ग्रामीणों ने मीडिया कर्मियों व शिक्षक दयालु राम को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह देकर ग्राम विकास समिति की ओर से सम्मानित किया।

ऐसे पड़ी प्रशासन की इस पर नजर

ग्रामीण का कहना है कि कभी कोई उनके गांव में झांकने तक नहीं आता था। कलेक्टर तो बहुत दूर की बात तहसीलदार, एसडीएम भी आज तक इस गांव में नहीं आए थे। लेकिन पिछले साल जब यहां के बच्चे अरजपुरी में पीपे की नाव के सहारे स्कूल जाते थे, नदी पार करते थे। उस समय शिक्षक दयालु राम पिनकेश्वर ने एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल की थी। जिसके जरिए मीडिया तक यह बात पहुंची। फिर मीडिया इस गांव में आई और यहां की समस्या को जगजाहिर किया गया। समस्या गंभीर थी जान जोखिम में डालकर नदी पार करके स्कूल जाते थे, ऐसे में जिला प्रशासन भी उस समय हरकत में आया और इस गांव के विकास को लेकर योजना बनी। सुरक्षित नाव की व्यवस्था की गई। बच्चों व ग्रामीणों को लाइफ जैकेट दिया गया। उन्हें दूसरे नाव से स्कूल भेजा गया। बाद में उन्हें अब रायगढ़ और खोलझर स्कूल में शिफ्ट किया गया तो पानी की व्यवस्था की गई है। तो कई समस्याओं का हल अभी भी बाकी है।

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