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दीपलता देशमुख बनी पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम की हमारे नायक,,, जिले को किया गौरवान्वित,,, आप भी पढ़िए, प्रेरणादायक सफलता की कहानी…

पढ़ई तुँहर दुआर कार्यक्रम के हमारे नायक कॉलम में संस्कृत भाषा के ब्लॉग लेखक के रूप में भी दीपलता देशमुख दे रही हैं सहभागिता

अंबिकापुर । अपनी हिम्मत, परिश्रम और दृढ़ इच्छाशक्ति से इंसान चाहे तो निराशा को आशा में बदल सकता है | जिस तरह दीपक हर अंधकार को निगल कर प्रकाश बिखेरता रहता है | उसी तरह आज की हमारी नायिका दीपलता देशमुख ने विषम परिस्थितियों को अपने अनुकूल बना कर अपने नाम की तरह शिक्षा का दीप प्रज्वलित कर रखा है | दीपलता देशमुख, व्याख्याता (संस्कृत) के पद पर शासकीय उ. मा. विद्यालय असोला विकासखण्ड अम्बिकापुर, जिला सरगुजा में पदस्थ है।

शिक्षिका दीपलता देशमुख को प्रारम्भ से ही कहानियाँ लिखने का शौक रहा है इनके इस शौक को स्टोरीविवर जैसे मंच ने मानो पंख ही लगा दिए | दीपलता ऐसी पहली रचनाकार और अनुवादक बन गई है जिन्होंने सरगुजिहा बोली में कहानियों को लिख कर स्टोरीविवर प्रकाशित किया है | दीपलता ने अब तक सरगुजिहा बोली में 20 से अधिक कहानियों का भाषान्तर और लेखन कर स्टोरीविवर पर प्रकाशित किया है | दीपलता के लेखन का यह क्रम अब भी अनवरत जारी है | आप इनकी रचनाओं और अनुवादित कहानियों को स्टोरीविवर पर पढ़ सकते है|

इनकी प्रमुख अनुवाद और रचनाएँ हैं
सबो झन पढ़व, परन, जीव परेम, मुसटा कर नेवता, नवा साल के संकलप, ममा दाई के मिठई, संगी हात बढ़ावव, दाऊ के भगत, चिकटा के दिमाक, नटरी मैना, एक अउ एक गयारा होयल, विकलांग परभाव, नोनी अंगना के अंजोर, प्रथना, इस्कुल तियागी ज्योति, रानी चांटी के समेझ, किताब अऊ कलम के गोठ, कुस्ती के खोजनदार, भुरवा बइला, रुख बबा, करिया कुकुर, संगी साथी आदि इसके अलावा भी शिक्षिका द्वारा हिंदी और छत्तीसगढ़ी भाषा मे भी कई रचनाएँ एवं अनुवाद का लेखन किया गया है | आकाशवाणी से प्रसारित होने वाले कार्यक्रम फुलवारी में कहानी, वार्ता, काव्य पाठ का प्रसारण एवं स्टोरीविवर के साथ ऑरगमेंट्री रियालिटी पर भी बेहतरीन काम किया है |

मोटरसाइकिल बहिनजी
आज की हमारी नायिका दीपलता देशमुख सचमुच एक कर्मवीर योद्धा है| जिन्होंने मई-जून की तेज धूप में घर घर जाकर अभिभावकों से संपर्क करने वाली शिक्षिका दीपलता अपनी स्कूटी से माताओं से मिलकर बच्चों की पढ़ाई के लिए उन्हें तैयार करती थी | इस तरह पालकों से संपर्क कर उन्होंने अपने मोहल्ला क्लास में 6 बच्चों से शुरूवात कर 140 बच्चों का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है | शिक्षिका अपने इस कार्य से अपने क्षेत्र में मोटरसाइकिल बहनजी के नाम से प्रसिद्ध हो गई | इसका उल्लेख डॉक्टर आलोक शुक्ला जी की पुस्तक “महामारी लेकिन पढ़ना लिखना जारी” एवं टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे राष्ट्रीय समाचार पत्रों में पढ़ा जा सकता है |

निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था
दीपलता देशमुख ने “शिक्षा का दीप” नाम से बालिकाओं और दिव्यांग छात्रों के लिए अपने निवास पर निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था दी है जिसमे काफी बच्चे लाभान्वित हो रहे है। बच्चों के अनुसार अध्ययन सामग्री सामग्री और विषय वस्तु पाठ का चयन कर अध्यापन कराने वाले दीप लता देशमुख सांस्कृतिक गतिविधियों में भी बच्चों को प्रोत्साहित और पुरस्कृत करती है |

मोहल्ला क्लासों में संस्कृत श्लोको की गूंज
नवाचारी शिक्षिका दीपलता देशमुख अपने विद्यालय और मोहल्ला क्लासों में भी संस्कृत के श्लोकों का वाचन एवं पठन पाठन सस्वर स्वयं ही कराती है | वतर्मान कोरोना काल में स्कूल बच्चों के पास पहुंच रहा है जिसके सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहे है | हाई स्कूल के विद्यार्थी स्टोरीविवर एवं आगामी एंट्री रियल्टी के माध्यम से अध्यन हेतु बच्चे बड़ी संख्या में जुड़ रहे है | इस कार्य में अब शिक्षा सारथी, प्रेरक और पालको का सहयोग मिल रहा है | संस्कृत भाषा के मोहल्ला क्लास का संचालन शिक्षिका अप्रैल से हाईस्कूल के बच्चों के लिए मोहल्ला क्लास का अबतक निरंतर संचालन किया जा रहा है | इसमें 5 गाँवो के लगभग 140 बच्चे शामिल होते है |

पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम में संस्कृत भाषा की प्रथम ब्लॉग लेखक
सीजीस्कुलडॉटइन (cgschool.in) पोर्टल में पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम के हमारे नायक कालम में छत्तीसगढ़ की पहली संस्कृत ब्लॉग लेखिका का गौरव प्राप्त करने वाली दीपलता देशमुख अपनी प्रथम संस्कृत ब्लॉग के बारे में बताया कि दिव्यांग छात्र महेश का ब्लॉग लिखते हुए महसूस किया कि एक विशिष्ट बालक की जीवन गाथा लिख रही हूँ | जिसके दोनों हाँथ नहीं होने के बावजूद पढ़ने की ललक, चित्रकारी, विभिन्न गतिविधियों में अव्वल सचमुच एक बेहतरीन व्यक्तित्व को उकेर रही हूँ और उसी समय इन्होंने निर्णय लिया कि इस दिव्यांग बालक की पढ़ाई का खर्चा, वह स्वयं वहन करेंगी। अपने पुत्र के समान उसके जीवन को संवारने में अपना योगदान देना चाहती हैं | साथ ही इन्होंने बताया कि उनको सरगुजा जिला शिक्षा अधिकारी आईपी गुप्ता एवं समग्र शिक्षा सरगुजा के एपीसी रविशंकर तिवारी का हमेंशा प्रोत्साहन और मार्गदर्शन मिलता है इसलिए हम और बेहतर करने का प्रयास करते हैं।

व्याख्याता दीपलता देशमुख द्वारा पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम में हमारे नायक के रूप में चयनित कर प्रोत्साहित करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ आलोक शुक्ला, समग्र शिक्षा छत्तीसगढ़ के सहायक संचालक डॉ एम सुधीश सहित ब्लॉग लेखन समूह के लीडर, सूरजपुर के नवाचारी शिक्षक व मिस्डकॉल गुरूजी नवाचार के जनक गौतम शर्मा के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित किया गया है।

सरगुजिहा भाषा में कहानी लिखने वाली एवं अनुवाद करने वाली नवाचारी शिक्षिका दीपलता देशमुख की सफलता की कहानी को ब्लॉग लेखक धर्मानंद गोजे, जिला सूरजपुर द्वारा लिखा गया है। दीपलता देशमुख के इस उपलब्धि हेतु जिला शिक्षा अधिकारी आईपी गुप्ता, समग्र शिक्षा सरगुजा के एपीसी रविशंकर तिवारी, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय असोला की प्राचार्या एम गौर सहित समस्त स्टॉफ व स्कूली बच्चों एवं उनके शुभचिंतकों, मित्रों, परिजनों के द्वारा बधाई दिया गया है।

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