संस्कृत जन जागरण के लिए संस्कृत जनपद सम्मेलन का किया गया आयोजन
बालोद। संस्कृत भारती विद्या भारती और हिंदी साहित्य भारती के संयुक्त तत्वाधान में संस्कृत सम्मेलन का आयोजन सरस्वती शिशु मंदिर बालोद के सभागार में किया गया।
संस्कृत के क्षेत्र में जन जागरण हेतु संस्कृत विद्वानों व संस्कृत अनुरागियों का बहुतायत संख्या में उपस्थिति रही। सरस्वती शिशु मंदिर, शासकीय आत्मानंद इंग्लिश मीडियम बालोद व शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बघमरा के छात्र-छात्राओं द्वारा संस्कृत में गीत ,नाटक ,नृत्य व संभाषण एवं संस्कृत प्रदर्शनी रखा गया ।
जिसके मुख्य अतिथि के रूप में गोरेलाल शर्मा सेवा सेवानिवृत्ति प्राचार्य, अध्यक्ष पद पर श्री राधेश्याम जलक्षत्री संघ प्रचारक सरकार भारती,विशिष्ट अतिथि श्री जगदीश देशमुख प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष तुलसी मानस प्रतिष्ठान, तथा मानस विदुषी श्रीमती के देवांगन, विशेष अतिथि के रूप में श्री डीआर गजेंद्र सेवा निर्वृत्त र्ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, श्रीमान पुरुषोत्तम राजपूत वेदांत दर्शन मर्मज्ञ विराजमान रहे।
सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की छायाचित्र के सामने विधि विधान पूर्वक पूजन अर्चन की गई। तत्पश्चात अतिथियों का शाल श्रीफल के माध्यम से सम्मान किया गया। छात्राओं के द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत की गई। गोरेलाल शर्मा जी ने कहा कि संस्कृत देव भाषा है। यह सभी भाषाओं की जननी है। विश्व की समस्त भाषायें इसी के गर्भ से अद्भुत हुई है।वेदों की रचना इसी भाषा में होने के कारण इसे वैदिक भाषा भी कहते हैं।संस्कृत भाषा का प्रथम काव्य ग्रंथ ऋग्वेद को माना जाता है ,ऋग्वेद को आदि ग्रंथ भी कहा गया है। ऋग्वेद की ऋचाओं में संस्कृत भाषा का लालित्य व्याकरण, छन्द, सौंदर्य, अलंकार अद्भुत एवं आश्चर्यजनक है । दिव्य ज्ञान का यह विश्व कोष संस्कृत की समृद्धि का परिणाम है। यह भाषा अपनी दिव्य एवं दैवीक विशेषताओं के कारण आज भी उतनी प्रासंगिक एवं जीवंत है। देशमुख जी ने बताया कि अपने देश में संस्कृत भाषा वैदिक भाषा बनकर सिमट गई है। इसे विद्वानों एवं विशेषज्ञों की भाषा मानकर इससे परहेज किया जाता है। किसी अन्य भाषा की तुलना में इस भाषा को महत्व ही नहीं दिया गया,क्योंकि वर्तमान व्यवसायिक युग में उस भाषा को ही वरीयता दी जाती है जिसका व्यावसायिक मूल्य सर्वोपरि होता है।कर्मकांड के क्षेत्र में इसे महत्व तो मिला है परंतु कर्मकांड की वैज्ञानिकता का लोप हो जाने से इसे अंधविश्वास मानकर संतोष कर लिया जाता है और इसका दुष्प्रभाव संस्कृत पर पड़ता है। यदि इसके महत्व को समझकर इसका प्रयोग किया जाए तो इसके अगणित लाभ हो सकते हैं। इसी तारतम्य में श्रीमती के देवांगन, सेवा निर्वृत्त ब्लॉक शिक्षा अधिकारी डीआर गजेंद्र, एवं जल क्षत्री जी ने संस्कृत भाषा को आगे बढ़ाने के लिए अपने-अपने मंतव्य रखें। अंत में संस्कृत के प्रमुख वक्ता हेमंत साहू ने मानव जीवन में संस्कृत का महत्व क्या है ,संस्कृत भाषा पढ़ने से क्या-क्या लाभ होते हैं पर विस्तृत चर्चा किये। अंत में अतिथियों द्वारा उपस्थित संस्कृत अनुरागी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुति देने वाले बच्चों को गीता व पेन देकर पुरस्कृत किया गया। संपूर्ण कार्यक्रम का सफल संचालन श्री राकेश तिवारी व सी एल कलिहारी ने किया एवं आभार प्रदर्शन श्रीमती तुलसी डोंगरे ने किया। इस कार्यक्रम में टीआर गंगबेर, रोहिणी नायक ,देवेंद्र साहू, तीज कोठारिया, राजेश भंडारी, मेघनाथ साहू, पुरुषोत्तम देशमुख , पुसऊराम मंडावी, हंसा सुखदेवे, मीना साहू, गजेंद्र पुरी गोस्वामी ,राजेश सोनी ,वहीं आर साहू, के नायक, निर्मला नायक, संगीता दीवान, योगेश्वर प्रसाद,एम एल सिन्हा, एम के पड़ोटी, मनोज गौतम ,ईश्वरी खापर्डेआदि का इस कार्यक्रम को सफल बनाने में भरपूर सहयोग रहा । कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने कार्यक्रम की भूरी भूरी प्रशंसा की।