गुंडरदेही– ग्राम बेलौदी की सत्य साईं लीला मंडली का मंचन इन दिनों ग्राम रनचिराई में हो रहा है। श्री सत्य साईं लीला मंडली छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि राज्य से आगे राष्ट्रीय स्तर तक की मंडली है। जिसकी प्रस्तुति अब तक कई राज्यों में हो चुकी है। लेकिन इस 2020 में कोरोना के चलते इनकी आजीविका पूरी तरह से बंद हो गई थी। कहीं पर भी रामलीला का मंचन नहीं हो पा रहा था। बीते दिनों दिवाली में इस मंडली को दीपोत्सव के दौरान अयोध्या में राम लीला मंडली की प्रस्तुति देने का अवसर मिला था। जिसके बाद छत्तीसगढ़ में कोरोना के दौरान इस साल की उनकी पहली प्रस्तुति ग्राम रनचिरई में हो रही है। कोरोना काल में बेरोजगारी का संकट आ गया था। जहां अब ग्रामीणों ने उन्हें रोजगार से जोड़ने का काम किया।
इस कार्यक्रम के दौरान सिर्फ राम को गाथा ही नहीं बल्कि कोरोना जागरूकता के संबंध में भी गीत संगीत के माध्यम से प्रस्तुति देकर लोगों को जोड़ा जा रहा है। कार्यक्रम स्थल पर भी भीड़ एक साथ ना बैठ कर फिजिकल दूरी का पालन करते हुए बैठ रहे हैं। कार्यक्रम के संयोजक तीरथ राम साहू, धर्मेंद्र साहू, अजय साहू, भीम साहू, भोलाराम, इंद्रजीत, प्रहलाद, मनीष सिंहा, प्रदीप साहू ,डिलेश्वरी साहू ने बताया कि श्री सत्य साईं लीला मंडली एक ख्याति प्राप्त मंडली है। जिसकी प्रसिद्धि छत्तीसगढ़ के कई जिलों में है।जब हमने अयोध्या में इस मंडली की प्रस्तुति के बारे में सुना तो हमसे रहा नहीं गया और फिर हमने मंडली को गांव में मंचन की प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया। जहां उक्त मंडली के कलाकार रामलीला व कोरोना जागरूकता थीम पर प्रस्तुति दे रहे हैं।
7 राज्य में दे चुके प्रस्तुति
मंडली के संचालक लिखन दास ने बताया कि उनकी मंडली छत्तीसगढ़ की सबसे पुरानी मंडली है जो अंतरराष्ट्रीय मंडली के रूप में भी पहचान बना चुकी है। अब तक देश के 7 राज्य उड़ीसा, महाराष्ट्र, उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कई जिलों में प्रस्तुति दे चुके हैं। 1100 सौ गांव में प्रस्तुति दे चुके हैं। लेकिन अब तक शासन प्रशासन से कोई अनुदान नहीं मिला है। इसको लेकर भी विधायक, कलेक्टर, सांसद, मुख्यमंत्री, संस्कृति मंत्री, पंचायत मंत्री तक को आवेदन दे चुके हैं। मंडली के अध्यक्ष रामकुमार हिरवानी ने कहा कि यह पंजीकृत मंडली है। शुरुआत में 35 सदस्य थे लेकिन मंडली में आमदनी धीरे-धीरे कम होती गई। शासन प्रशासन से सहयोग नहीं मिला इसलिए अब 25 कलाकार इस मंडली को संचालित कर रहे हैं। आमदनी ना होने के चलते 2018 के बाद से सरकार को पंजीयन शुल्क भी नहीं पटा पा रहे हैं।