माधुरी दीपक यादव,बालोद। जुंगेरा में चल रहे शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन भी लाखों भक्तों की भीड़ रही। पंडित प्रदीप मिश्रा ने राम, कृष्ण भरत के चरित्र पर प्रकाश डालते हुए लोगों को जीवन उपयोगी शिक्षा दी। उन्होंने कहा कि भगवान को पाने का सुंदर तरीका आपके मन की पवित्रता है। साबुन लगा लेने से शरीर का मैल साफ हो सकता है। लेकिन मन का मैल साबुन से साफ नहीं होता। मन के मैल को साफ करने का एक तरीका है कि हम भगवान की भक्ति में रमे और सत्संग भजन के माध्यम से अपने मन के मैल को समाप्त करें। मन बड़ा चंचल है इसे संभालने का जितना प्रयास करोगे वह उतना ही विचलित होता है। जो राम जी ने नियम धारण किया था जो भगवान श्री कृष्ण ने धारण किया था वह नियम आज भारत भूमि का ही नहीं देश का नहीं बल्कि विदेश का व्यक्ति भी धारण कर रहा है। राम जी का एक बड़ा भारी नियम था । दक्षिण के रामायण में एक नियम था कि वह शंकर जी को जल नहीं चढ़ाते थे तब तक मुख में जल नहीं लेते थे। शिव जी को जल चढ़ाए बिना वे खुद जल नहीं पीते थे। जब समुद्र के किनारे पहुंचे जब राम जी को प्यास लगी तो उन्होंने लक्ष्मण से कहा कि हे लखन बहुत प्यास लगी है लेकिन समुद्र तट पर तो खारा पानी है मैं इसे पीयू तो कैसे? जाओ कहीं से जमीन का निर्मल जल ले आओ लखन जल लेकर आए। राम ने बालू से एक शिवलिंग बनाकर उसमें जल चढ़ाया और शेष जल को उन्होंने पिया। यह नियम उनका प्रबल था। बिना जल चढ़ाएं वह जल नहीं पीते थे। भगवान श्री कृष्ण का भी एक नियम था। वे बिना जल चढ़ाएं अपने द्वारकाधीश के सिंहासन पर नहीं बैठते थे। विक्रमादित्य का भी नियम था कि वह जल चढ़ाएं बिना सिंहासन पर नहीं बैठते थे । राजा भोज भी यही नियम पालन करते थे। जब तक जल चढ़ाते थे तभी वह निर्णय देते थे। राम जी का कहना था जल चढ़ाकर जल पीने से मेरी इंद्रियां प्रबल होती है। कृष्ण जी कहते थे कि मैं सही निर्णय ले पाता हूं और राष्ट्र का उत्थान होता है। इस जल की यही प्रबलता है। आप अगर रोज भगवान शिव को जल चढ़ाने जा रहे हैं तो उसमें आपको प्रसन्नता होनी चाहिए कि मेरा निर्णय मेरे महादेव करते हैं। मेरा चित्त मेरा महादेव संभालते हैं। विनाश काले विपरीत बुद्धि,,,, रावण भी तो शंकर को जल चढ़ाते थे तो उसकी बुद्धि विपरीत क्यों हो गई यह सवाल आपके मन में आना चाहिए? दो तरह का जल चढ़ाना होता है। एक वह होता है जो आप रोज मंदिर में जाकर समर्पित करते हैं और दूसरा जल चढ़ाना वह होता है जब घर की माताएं जा रही हो तब मन कर जाता है कि हम भी चले जाएं। जब बीमार हो दुखी हो तब मंदिर याद आता है। जल चढ़ाना तब होता है जब हमारे भीतर कुछ कामना होती है। जब कामना या कार्य पूरा होता है तो हम जल चढ़ाना बंद कर देते हैं। बस रावण यही सोचता था। जब उसे कुछ प्राप्त करना होता था तब वह जल चढ़ाता था। भगवान की आराधना का काम करता था। जब रावण के पास बहुत सारी विद्याएं हो गई तो वह शिव को जल चढ़ाना बंद कर देता है। मांगने के लिए हमने बहुत आराधना कर ली जैसे हमारा कार्य सिद्ध हुआ तो हम भगवान का द्वार छोड़ देते हैं। हमें रावण जैसी बुद्धि विद्या नहीं चाहिए। हमें भगवान राम और कृष्ण जैसी बुद्धि चाहिए। ऐसा नहीं हो। भगवान का भजन नित्य करते रहें। कई बार हम यह भी देखते हैं की बहुत पूजा कर लेते हैं। बहुत जल चढ़ाते हैं लेकिन हमारा दुख नहीं मिटता है। इसका कारण हमारे पूर्व जन्मों का कर्म भी होता है। कल मैंने सोमणी की कथा में यही बताने का प्रयास किया था जो ब्राह्मण के घर में जन्म लेने के बाद गलत संगत में पड़ गई थी जो दूसरे जन्म में अंधी और कोढ़ ग्रस्त हो गई थी। हमारे साथ भक्ति करने के बाद भी अगर बुरा होता है तो यह समझ जाना कि वह हमारे पूर्व जन्मों का भोग है। अपने कर्म का भोग हमें स्वयं भोगना है। भूख हमें लग रही है तो भोजन हमें ही करना है ।कष्ट हमको है तो भजन हमको ही करना है। जिससे हमारे जीवन का कष्ट समाप्त हो। राम में और रावण में क्या अंतर है दोनों में विशाल अंतर है। राम अयोध्या से चले थे और चलते लंका पहुंचे थे। जितनी जगह से राम जी निकलकर गए थे ।छत्तीसगढ़ में आज राम वन गमन तक बन रहे हैं सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ की धरा पर चले। राम वन पथ गमन में आप घूम कर आएंगे तो देखेंगे कि वहां पर शंकर भगवान की शिवलिंग स्थापना की गई है। पूरे भारत भूमि पर जहां-जहां राम गए हैं वहां शिव शंकर की स्थापना हुई है। राम और रावण में एकमात्र अंतर है कि राम जहां चलते थे वहां धर्म की ध्वजा फहराते थे और रावण जहां चलता था वह धर्म का विनाश करता था। ऐसा ही कुछ भरत का नियम रहा जो ब्राह्मण को भोज कराते थे और शिव का अभिषेक करते थे मां जानकी ने राम जी से पूछा था कि आप शिव को जल चढ़ाते हैं तो आपकी आंखों में आंसू क्यों आते हैं। ऐसा भक्तों के साथ भी होता है। पशुपतिनाथ का व्रत करते हैं तो कई बार आंखों से आंसू निकलते हैं। राम जी ने जवाब दिया कि इसका एक कारण है आपके पूर्वज आपके कुल देवता आपके पूर्वज आपको याद करते हैं। वे कहते हैं कि हमारे घर की लोग हमें जल देकर तार रही है और वे आंसू अपने आप निकल आता है। अपने इष्ट देव की आराधना करते रहिए चाहे कोई कुछ भी बोले। भगवान हमें अपना हाथ पकड़ कर हमारी जिंदगी को सार्थक कर देता है हमारे जीवन का कल्याण कर देता है। श्रेष्ठ कर्म की ओर बढ़े।
कुछ लोगों ने राजनीति के चक्कर में धर्म को खिलौना बना दिया
उन्होंने राजनीति को लेकर तंज कसते हुए कहा आज के विषम परिस्थिति में कुछ लोग राजनीति के चक्कर में धर्म को खिलौने बनाकर खेल रहे हैं और सनातन धर्म से खेला जा रहा है। हम यह नहीं कहेंगे कि आप किसी के कहने पर पूजा बंद करें। बल्कि प्रयास करें जब गणेश जी का दिन आए देवी के दिन आए तो गांव गांव में गणेश और देवी बैठाए। लोग भड़काएंगे ताना मारेंगे। दुनिया वाले बोलते रहेंगे लेकिन अपनी बात बुद्धि में उतार कर रखना। सोशल मीडिया में आपसे हजारों लोग जुड़े हैं। आप एक कम करो आप बीमार होकर अस्पताल गए और सबको मैसेज करो कि मैं अस्पताल में हूं मिलने आओ, मुझे 500 की जरूरत है मुझसे मिलने आओ। तुम्हारे इस दुख की घड़ी में सोशल मीडिया का एक दो साथी आ गए तो बड़ी बात है। तुम्हारे दुख की घड़ी में तुम्हारे घर वाले खड़े होंगे ना कि सोशल मीडिया से जुड़े दोस्त। ना हमने पति को समय दिया ना माता ना पिता को, 24 घंटे मोबाइल में दोस्तों को समय दिया। जिनको हमने समय दिया उन्होंने हमको समय नहीं दिया। जीनको हमने समय नहीं दिया उन्होंने हमारे दुख में साथ दिया है। कष्ट की घड़ी में कोई नहीं आता। तब विश्वनाथ जी जिन्हे आपने एक लोटा जल समर्पित किया है वह आपकी तकलीफ की घड़ी में सामने खड़ा मिलेगा।
उन्होंने इलवर और वातापी नाम के दो असुरों की कथा के जरिए यह बताने का प्रयास किया कि आज के समय में कैसे लोग हमारे धर्म को नष्ट और भ्रष्ट कर रहे हैं। मिश्रा ने कहा मैं निवेदन करना चाहूंगा कि अपने घर से एक पानी का लोटा घर का कोई भी सदस्य शिव शंकर में चढ़ाए। अभिषेक के जल को घर में छिड़के और थोड़ा सा जल अपने घर के जल में डाल दे। जिससे सबके जीवन में सिद्धता आ जाए। आज लोग गलत भोजन कराकर धर्म से भ्रष्ट कर रहें। छत्तीसगढ़ का चावल धान पूरे दुनिया में प्रसिद्ध है और आज के बेटा बेटी इसे खाने को तैयार नहीं। वह तो बाहर की चीजें पसंद करते हैं। जैसा खाओगे अन्न ,वैसा हो जाएगा मन, जैसे पायो पानी वैसी होगी वाणी।
ये होती है चार प्रकार की रोटियां
हमारे शास्त्रों में चार रोटी बताई गई है। पहली रोटी होती मां के हाथ से बनी रोटी। उसमें ममता वात्सल्य होता है। उससे पेट भरता है लेकिन मन नहीं भरता है
दूसरे नंबर की रोटी पत्नी के हाथ की रोटी है। जिसमें समर्पण और अपनापन होता है। जिससे पेट भी भरता है और मन भी। जो दिल से बनाकर दिल से खिलाती है। तीसरे नंबर पर बहू और बेटी की हाथ की रोटी है। यह कर्तव्य की रोटियां है कि जो हमें कर्तव्य पर चलना सिखाती हैं। हमें विचारों को बदलना सिखाती है
जो हमारा पेट और मन भी भरती है। चौथे नंबर की रोटी है जो नौकरानी बनाती है। जिससे ना पेट भरता है ना मन भरता है। जीवन में ऐसे कर्म करें की चौथे नंबर की रोटी खाने की जरूरत न पड़े।
शिवलिंग है चार तरह के, जल चढ़ाने का ऐसा होता है फल
स्वयं द्वारा स्थापित शिवलिंग पर 1000 बार जल चढ़ाने का फल एक स्वयंभू शिवलिंग पर एक बार जल चढ़ाने के बराबर होता है। जो स्वयंभू शिवलिंग पर 1000 जल चढ़ाते हैं वह उप शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बराबर होता है जो उप शिवलिंग पर 1000 बार जल चढ़ाने से फल मिलता है वह 12 ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योतिर्लिंग में जल चढ़ाने के बराबर होता है। ज्योतिर्लिंग का दर्शन और भगवान शिव महापुराण की कथा दुर्लभ है। शिव पुराण की कथा करवाना सरल नहीं। बहुत अड़चन आती है। कोई कुछ भी कहता रहता है। कई तरह की परेशानी आती होगी पर बाबा की कथा बढ़ती चलती रहेगी। जिनके पेट से संबंधित परेशानियां भोजन न पचता हो पाचन से संबंधित कोई भी परेशानी है तो अपने हृदय के पास हाथ रखे और शिव का नाम पुकारिए या ओम का जाप करिए वह भोजन पचेगा ही। हमारी तकलीफ शंकर के नाम मात्र उच्चारण से दूर हो जाती है।
शिव पंडाल में लगा है नेताओं का भी डेरा, दावेदार भी पहुंच रहे कथा सुनने
जब से जुंगेरा में शिव महापुराण चल रहा है यहां टिकट के दावेदारों का भी डेरा लगा हुआ है। भाजपा कांग्रेस दोनों ही पार्टी के दिग्गज यहां तीन-तीन घंटे कथा सुनने के लिए बैठे नजर आ रहे हैं। वही कथा शुरू होने के पहले से ही वे यहां बाकायदा पहुंच जाते हैं। भाव विभोर होकर नेता कथा सुन रहे हैं। वही कथा वाचक पंडित मिश्रा का स्वागत सम्मान भी करते दिख रहे हैं। इस क्रम में शनिवार को नगर पालिका अध्यक्ष विकास चोपड़ा ने पंडित मिश्रा का सम्मान किया। वहीं कथा सुनने के लिए अरकार से जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री संजय प्रकाश चौधरी, जिला पंचायत सभापति केदारनाथ देवांगन, जिला पंचायत सदस्य मीना सत्येंद्र साहू भी कथा सुनने के लिए पहुंचे थे। वही पहले दिन विधायक संगीता सिन्हा सहित भाजपा नेताओं में जिला अध्यक्ष कृष्णकांत पवार, पूर्व विधायक वीरेंद्र साहू, प्रीतम साहू सहित अन्य नेता भी कथा सुनने आए थे ।