November 21, 2024

जगन्नाथपुर के इस घर में खिला दुर्लभ ब्रह्म कमल, इसे खिलते देखने वाला भी माना जाता है भाग्यशाली

बालोद। यह तस्वीर ग्राम जगन्नाथपुर के दानीराम देशमुख के घर में खिले ब्रह्म कमल का है। जो बीती रात को 10 से 11 बजे के बीच खिला।खिलते हुए ब्रह्म कमल को घर वालों ने दर्शन किया और खुद को सौभाग्यशाली माना। यह एक दुर्लभ फूल है जो साल में एक बार खिलता है। इसके खिलने का समय अगस्त से सितंबर या अधिकतम अक्टूबर के बीच होता है। इस फूल को खिलते देखना भी भाग्यशाली माना जाता है। वही इस फूल को लेकर कई तरह की मान्यताएं भी है।

ये है ब्रह्म कमल फूल की खासियत

यह बेहद सुंदर होता है और इसे दिव्य फूल भी कहते हैं। इस फूल का वैज्ञानिक नाम सोसेरिया ओबोवेलाटा है। ब्रह्मकमल एस्टेरेसी कुल का पौधा है। डहलिया, गेंदा, गोभी, सूर्यमुखी, कुसुम और भृंगराज भी इसी कुल के अन्य मुख्य पौधे हैं। इस फूल को कई नामों से जाना जाता है जैसे- हिमाचल में दूधाफूल, उत्तर-पश्चिमी भारत में बरगनडटोगेस और कश्मीर में गलगल। उत्तराखंड में इसे राज्य पुष्प भी कहते हैं। सुंदर होने के साथ-साथ यह फूल कई तरह की कठिन बीमारियों का इलाज करने के काम भी आता है।

दो घंटे में पूरा खिलता है ब्रह्म कमल

ब्रह्म कमल इसलिए खास है क्योंकि यह साल की एक रात को सिर्फ रात में खिलता है। ब्रह्म कमल को पूरी तरह से खिलने में दो घंटे लग जाते हैं। इसमें यह 8 इंच तक खिल जाता है। यह सिर्फ कुछ घंटे तक ही खिला रहता है। इसे सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

इन रोगों में काम आता है ब्रह्म कमल

ब्रह्म कमल फूल अगस्त के महीने में खिलता है। सितम्बर, अक्टूबर में इसमें फल बनने लगते हैं। इसका जीवन 5 या 6 महीने का होता है। ब्रह्म कमल मां नंदा का प्रिय पुष्प हैं, इसलिए इसे नंदा अष्टमी में तोड़ा जाता है।

ब्रह्मकमल साल में एक बार खिलता है जोकि सिर्फ रात के समय खिलता है। ब्रह्मकमल के कई औषधीय उपयोग भी हैं। जले-कटे में, सर्दी-जुकाम, हड्डी के दर्द आदि में इसका उपयोग किया जाता है। इसे सुखाकर कैंसर रोग की दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इससे निकलने वाले पानी को पीने से थकान मिट जाती है। पुरानी खांसी भी काबू हो जाती है। सीमा क्षेत्र में रहते वाले ग्रामीण गांव में रोग-व्याधि न हो, इसके लिए पुष्प को घर के दरवाजों पर टांग देते हैं। बता दें कि तिब्बत में ब्रह्म कमल को दवाओं और आयुर्वेद से जुड़ी चीजें बनाने में काम में लाया जाता है।

ब्रह्म कमल फूल का धार्मिक महत्व

इस फूल का बड़ा धार्मिक महत्व भी है। इस फूल को पवित्रता और शुभता का प्रतीक माना जाता है। ब्रह्मकमल का अर्थ ही है ‘ब्रह्मा का कमल’। कहते हैं कि केवल भग्यशाली लोग ही इस फूल को खिलते हुए देख पाते हैं और जो ऐसा देख लेता है, उसे सुख और संपत्ति मिलती है। यह फूल केदारनाथ और बद्रीनाथ के मंदिरों की मूर्तियों पर भी चढ़ाए जाते हैं। प्राचीन मान्यता के अनुसार, ब्रह्म कमल को इसका नाम ब्रह्मदेव के नाम पर मिला है।

You cannot copy content of this page