कुर्मी समाज ने की दाऊ ढाल सिंह दिल्लीवार के नाम से राज्य अलंकरण शुरू करने की मांग, मुख्यमंत्री को बताया आजादी में उनका योगदान
बालोद। कुँवर सिंह निषाद गुंडरदेही विधायक एवं संसदीय सचिव छत्तीसगढ़ शासन के साथ छत्तीसगढ़ दिल्लीवार कूर्मि क्षत्रिय समाज के प्रांताध्यक्ष, समाज प्रमुख डॉ राजेन्द्र हरमुख एवं पदाधिकारियों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, पूर्व विधायक दुर्ग दाऊ ढालसिंह दिल्लीवार के नाम से छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण पुरुस्कार घोषित करने की मांग हेतु मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से विधानसभा मुख्यमंत्री कार्यालय में जाकर माँग की। पदाधिकारियों में राजेन्द्र हरमुख, मिलाप देशमुख, अशोक देशमुख, अशोक भारदीय,महेंद्र दिल्लीवार, ओंकारेश्वर हरमुख, भूपेन्द्र दिल्लीवार, तामेश्वर देशमुख,प्यारेलाल भरदीय, देवेन्द्र हरमुख एवं समाज के अन्य स्वजातीय शामिल थे। समाज के लोगों ने कहा दाऊ ढाल सिंह दिल्लीवार का जन्म 27 नवंबर 1897 को हुआ। उनके पिता – स्व. बलराम सिंह का नाम था। जो ग्राम-पिरीद जिला बालोद छत्तीसगढ के रहने वाले थे। उनकी प्राथमिक शिक्षा अर्जुंदा एवं मैट्रिक राजनांदगांव से हुई।1921 में स्वतंत्रता आंदोलन में वे महात्मा गांधी के प्रेरणा से शामिल हुए थे। 1926 में उन्हें क्रांतीकारी युवक का नाम दिया गया इस दौरान उनकी उम्र मात्र 24 वर्ष की थी। 1930 में नमक एवं जंगल सत्याग्रह में अंग्रेजों के विरूद्ध शामिल हुए। 1935 में कांग्रेस सेवा दल की सदस्यता ग्रहण किए।
1937 में दुर्ग जिला लोकल बोर्ड के चेयर मेन एवं प्रांतिय कांग्रेस के सदस्य में चयन हुए। 1939 त्रिपुरी जबलपुर कांग्रेस अधिवेशन में भी शामिल हुए तथा गांधी जी, सुभाष चंद्र बोस तथा सीता रमैय्या के साथ जेल आंदोलन में भागीदार रहे। 1940 सत्याग्रही तैयार करने मंटग (पाटन) क्षेत्र का भ्रमण किए। 12 मई 1941 को गांधी चौक दुर्ग की सभा से बलपूर्वक अंग्रेजो द्वारा गिरफ्तार किया गया। 1941 से 1945 तक नागपुर, दमोह, जबलपुर के जेलों में रहे। जेल में महान क्रांति दूत संत विनोभा भावे और अब्दुल कलाम आजाद के साथ लंबे समय तक एक ही कोठरी में रहे। 1948 में प्रकाशित नवभारत जयपुर कांग्रेस अंक के पृष्ठ 53 में उन्हें दाऊजी मध्यप्रांत के प्रधान नक्षत्र की संज्ञा दी गई। 1955 से 1962 तक दुर्ग जनपद सभा के प्रथम अध्यक्ष भी थे। 1961 में अविभाजित दुर्ग जिले (राजनांदगांव, कवर्धा, बेमेतरा, खैरागढ़, बालोद तहसील) के कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चुने गए। 1962 से 1967 तक दुर्ग विधानसभा से विधायक बने। उनके कार्यकाल में बहुत से प्राथमिक, मीडिल और हाईस्कूल की स्थापना हुई। जाति, धर्म से परे हर जरूरत मंदो का सहयोग और अनेक लोगो को नौकरी लगवाई। छुआछूत के विरोधी रहे ।जनपद सभा अध्यक्ष के रूप में भिलाई इस्पात संयंत्र हेतु स्थल निरीक्षण एवं चयन हेतु पंडित जवाहरलाल नेहरू और पं. रविशंकर शुक्ल के साथ भ्रमण कर संयंत्र स्थल को अंतिम रूप दिया । 15 अगस्त 1957 में भिलाई इस्पात संयंत्र की उद्घाटन में नेहरू जी के साथ शामिल हुएl सन् 1967 मे दाऊ जी के सहप्रयासों से विशाल भूखंड पर साइंस कालेज दुर्ग का भवन तैयार हुआ । दाऊ जी की पहल पर ही पुराना बस स्टैंड स्थित मजार में उर्स के मौके पर अखिल भारतीय स्तर पर कव्वाली आयोजन की शुरूआत हुई। जो आज तक जारी है। वे कौमी एकता के पक्षधर थेl सन् 1966 से जीवन पर्यन्त केन्द्रीय दिल्लीवार कूर्मि क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष रहे। 10 अगस्त 1969 को उनका निधन हुआ। समाज के लोगों ने कहा दाऊजी के आदर्शों एवं जन हितैषी कार्यों को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए एवं न केवल दिल्लीवार कूर्मि क्षत्रिय समाज अपितु हर समाज के आदर्श पुरुष दाऊ ढाल सिंह दिल्लीवार जी के नाम से राज्य अलंकरण घोषित होने से आने वाली पीढियां उनका अनुसरण करेगी एवं उनसे प्रेरणा लेगी।