नेवारीकला स्कूल में तालाबंदी का मामला सुलझाने पहुंचे डीईओ ने लगाई प्राचार्य को फटकार, बोले सरकार देती है तनख्वाह और आप शिक्षकों को करवा रहे आराम
जनभागीदारी से चलता है यहां 11वीं 12वीं का स्कूल, व्याख्याता होने के बाद भी वे दसवीं तक पढ़ाते हैं , उन्नयन की मांग को लेकर बच्चों और पालकों ने किया तालाबंदी
बालोद| हायर सेकेंडरी स्कूल नेवारी कला के उन्नयन को लेकर बच्चों और ग्रामीणों ने मंगलवार को आंदोलन किया. स्कूल में तालाबंदी कर नारेबाजी की गई. ग्रामीणों की मांग है कि मुख्यमंत्री ने भेंट मुलाकात के दौरान जगन्नाथपुर में 20 सितंबर 2022 को उन्नयन की घोषणा की थी लेकिन अब तक कुछ हुआ नहीं है. कब तक का शिक्षक का इंतजाम कर खुद के खर्चे से पढ़ाते रहें. इस बात की जानकारी मिलने पर डीईओ भड़क गए और प्राचार्य को फटकारने लगे. उन्होंने कहा कि क्या दसवीं तक पढ़ा रहे व्याख्याता 11वीं 12वीं कक्षा नहीं पढ़ा सकते. क्या सरकार तनख्वा दे रहें तो आप उन्हें सिर्फ दो परेड लेकर आराम करने दे रहे हैं, ऐसा नहीं चलेगा, सस्पेंड हो जाओगे…
उन्होंने ग्रामीणों को कहा कि जनभागीदारी से अब कोई पैसा देने की जरूरत नहीं है, ना शिक्षक रखने की जरूरत है. शासन से जो शिक्षक नियुक्त हैं वही 11वीं 12वीं के बच्चों को भी पढ़ाएंगे . रही बात उन्नयन की हमने सभी दस्तावेज शासन को भेज दिए हैं. अनुपूरक बजट में उम्मीद की जा रही कि घोषणा पूरी हो जाए. विधायक भी इसके लिए प्रयासरत हैं. इस आश्वासन के बाद ग्रामीण शांत हुए. आंदोलन समाप्त हुआ. वहीं उन्होंने आश्वस्त किया है कि जिस विषय के शिक्षक नहीं है, उनकी व्यवस्था 1 महीने के भीतर की जाएगी और जो जनभागीदारी से पढ़ा रहे थे उन्हें आने की जरूरत नहीं है..
क्या है मामला
बालोद ब्लाक के ग्राम नेवारी कला में 2009 से 11वीं 12वीं कक्षा को शासकीय करण की मांग को लेकर लगातार आवाज उठाई जा रही थी। जहां दसवीं तक स्कूल शासकीय करण है। इसके बाद 11वीं 12वीं को मान्यता नहीं मिली है। जिसके चलते आगे परीक्षा खासतौर बोर्ड के लिए लाटाबोड जाकर परीक्षा देनी पड़ती है। इस समस्या को देखते हुए बच्चों सहित पालकों द्वारा पिछले व 20 सितंबर 2022 को जगन्नाथपुर में भेंट मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री के आगमन पर मुद्दा उठाया गया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने घोषणा की थी कि उन्नयन कर दिया जाएगा। लेकिन इस सत्र में अब तक नहीं हुआ है। ग्रामीणों में आक्रोश है और यह आक्रोश मंगलवार को फूट पड़ा। जहां बच्चों और पालकों ने मिलकर स्कूल में तालाबंदी कर दी। सुबह से दोपहर 2 बजे तक आंदोलन चला। समझाइश के लिए तहसीलदार, बीईओ आदि पहुंचे। बात नहीं बनी तो स्वयं डीईओ को भी वहां आना पड़ा। स्कूल के मुद्दों को शाला समिति के अध्यक्ष खोरबाहरा राम सहित ग्राम प्रमुखों में प्रकाशचंद केसरिया, सरपंच और उपसरपंच विष्णु राम, उत्तम महाराज आदि ने प्रमुखता से रखी। वहीं बच्चों ने डीईओ के सामने हमारी मांगे पूरी करो के स्वर से नारेबाजी भी की।
यह है स्कूल संचालन का इतिहास
गांव वाले लंबे समय से यहां जन सहभागिता से स्कूल संचालित कर रहे हैं। स्कूल में कई विकास कार्य ग्रामीणों ने ही मिलकर करवाए हैं ।जो अपने आप में एक मिसाल भी था। लेकिन इसके चलते शासन प्रशासन यहां सुस्ती दिखा रहा था और शिक्षकों की नियुक्ति सहित उन्नयन की मांग पूरी ही नहीं हो रही थी। जिसके चलते ग्रामीण तंग आ गए थे और अब वे स्कूल के लिए पैसे नहीं होने की बात कह रहे थे। खुद के खर्चे पर यहां 11वीं 12वीं के अध्यापन के लिए ग्राम समिति द्वारा शिक्षक रखे जाते थे। वही जो शासन से नियुक्त व्याख्याता दसवीं तक की कक्षा को पढ़ाते थे। पहले यहां आठवीं तक स्कूल था। 2002 में नौवीं कक्षा, 2003 में दसवीं, 2004 में ग्यारहवीं, 2005 में 12वीं कक्षा शुरू की गई। उस वक्त भी शासकीय करण नहीं हुआ था। 2009 में 10वीं तक शासकीय हुआ। 11वीं और 12वीं की कक्षा जनभागीदारी से ही चली। बच्चों के भविष्य को देखते हुए ग्रामीणों ने अपने खर्च पर शिक्षक रखकर पढ़ाते थे ।ताकि बच्चों को दूसरे गांव के स्कूल जाना ना पड़े। लेकिन अब सब्र का बांध टूट गया और आंदोलन पर उतरे ताकि मुख्यमंत्री ने जो घोषणा की है वह जल्द से जल्द पूरा हो।