एक तरफ गौ संरक्षण अभियान तो दूसरी ओर सड़क पर जा रही बेजुबान मवेशियों की जान!
लगातार सड़क हादसों में हो रही मवेशियों की मौत, शासन के गौ संरक्षण अभियान ऊपर उठा सवाल, बना चिंता का विषय
संतोष साहू,बालोद। एक ओर जहां भूपेश सरकार रोका छेका , गौठान आदि अभियान के जरिए फसलों की सुरक्षा और गौ संरक्षण की बात करती है तो दूसरी ओर उसी छत्तीसगढ़ की सड़कों पर रोज बेजुबान हादसों का शिकार हो रहे हैं। कई मौत के गाल में समा रहे हैं तो कई घायल पड़े हुए हैं। ऐसे ही घटना बालोद जिले में भी हो रहे हैं। रविवार को गुंडरदेही से दुर्ग मार्ग पर कचांदुर के पास तीन मवेशियों की मौत हो गई। तो कई मवेशी घायल हैं। नेशनल हाईवे सहित अन्य प्रमुख मार्गो पर लगातार हो रही इस तरह की घटनाओं से गौ सेवक चिंतित हैं। तो वही सवाल गो पालको पर भी उठता है जो अपने मवेशियों इस तरह खुला छोड़ देते हैं। रोका छेका अभियान के तहत हरेली तक किसानों द्वारा फसलों को मवेशियों से बचाने के लिए उन्हें घर पर बांधने की कोशिश की जाती है। लेकिन कुछ लापरवाह पशुपालक या किसान ऐसे भी है जो अपने इन मवेशियों को खुला छोड़ देते हैं और वे फिर आश्रय की तलाश में सड़क या फिर इधर उधर बैठे रहते हैं और फिर यही हादसे की वजह भी बनते हैं। इस तरह की लापरवाही से मवेशियों की जान तो जाती है वही वाहन चालकों या राजगीरों की जान पर भी बन आती है। लगातार बालोद जिले में हो रही इस तरह की घटना चिंता का विषय है। तो वही सरकार के गौ संरक्षण अभियान पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। एक तरफ गौठानों के विकास की बात होती है तो दूसरी ओर सड़कों पर सैकड़ों मवेशियों का झुंड नजर आता है और हादसों में फिर इन बेजुबानों की जान चली जाती है। आखिर ऐसा कब तक चलेगा? इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ में ठोस नियम कानून बनाए जाने की आवश्यकता है। सरकार जितनी सजग होगी उतनी ही जागरूकता पशुपालकों में भी होनी चाहिए । तभी कुछ हो पाएगा वरना स्थिति आगे भी यही बनी रहेगी।