धार्मिक भेदभाव करने वाले ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ पर भारत में प्रतिबंध लगाने की मांग, विश्व हिन्दू परिषद् और बजरंग दल ने उठाई आवाज, सौंपा पीएम के नाम एसडीएम कार्यालय में ज्ञापन , क्या है पूरा मामला?
बालोद| धर्मनिरपेक्ष भारत में धर्म के आधार पर चल रही ‘हलाल प्रमाणपत्र’ व्यवस्था तत्काल बंद करने और ऐसे प्रमाणपत्र देने वाली सभी संस्थाओं की जांच करने के विषय में शुक्रवार को विश्व हिन्दू परिषद् और बजरंग दल बालोद ने अपनी आवाज बुलंद की .एसडीएम कार्यालय में पीएम के नाम से ज्ञापन देकर कहा गया कि वर्तमान में भारतीय मुसलमानों द्वारा प्रत्येक पदार्थ, वस्तु इस्लाम के अनुसार वैध अर्थात ‘हलाल’ होने की मांग की जा रही है । यह मांग केवल मांस तक मर्यादित न होकर अनाज, फल, सौंदर्यप्रसाधन, औषधि इत्यादि उत्पादन भी हलाल नामांकित हो, ऐसी मांग मुसलमानों द्वारा की जा रही हैं। इसके लिए व्यापारियों को आवश्यकता न होते हुए भी प्रत्येक उत्पादन के लिए ५० से ६० सहस्र रुपये भर कर ‘हलाल प्रमाणपत्र लेना पड़ता है । सबसे महत्त्वपूर्ण अर्थात यह प्रमाणपत्र खाद्य और औषधि प्रशासन से नहीं, अपितु ‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद’ जैसे मुसलमान संगठन द्वारा दिया जाता है । इस हलाल अर्थव्यवस्था ने पूरे विश्व में वर्चस्व निर्माण किया है तथा भारत की अर्थव्यवस्था जितना अर्थात २ ट्रिलियन डॉलर्स का स्तर भी पार किया है। हिंदुओं के व्यापार और व्यवसाय में हस्तक्षेप कर समांतर आर्थिक व्यवस्था निर्माण करने का, यह वैश्विक षड्यंत्र है । इस अर्थव्यवस्था के कारण अल्पसंख्यक मुसलमानों की बहुसंख्यकों पर एक प्रकार की तानाशाही आरंभ है।
तथापि इस संदर्भ में हम आपका ध्यान निम्न सूत्रों की ओर आकर्षित करना चाहेंगे…
१. भारत सरकार ने शरीयत आधारित ‘इस्लामिक बैंक’ भारत में आरंभ करने की मांग निरस्त की । इसलिए सीधे धर्म के आधार पर निधि एकत्रित करने की नई योजना मुसलमानों ने खोजी है । कोई भी ग्राहक संविधान द्वारा दी गई धार्मिक स्वतंत्रता का लाभ लेकर उसके धर्म अनुसार अनुमोदित साहित्य और पदार्थ की मांग कर सकता है। इसका लाभ लेकर मुसलमानों द्वारा प्रत्येक पदार्थ, वस्तु इस्लाम के अनुसार वैध अर्थात ‘हलाल’ होने की मांग की जाने लगी है।
२. देश में केवल १५ प्रतिशत अल्पसंख्यक मुसलमान समाज को इस्लाम के अनुसार अनुमोदित ‘हलाल मांस’ खाना है, इसलिए शेष ८५ प्रतिशत जनता पर भी उसे लादा जाने लगा है। अब तो यह ‘हलाल प्रमाणपत्र’ केवल मांस तक मर्यादित न रहते हुए खाद्य पदार्थ, सौंदर्यप्रसाधन, औषधि, चिकित्सालय, गृहसंस्था, मॉल के लिए भी लागू किया जाने लगा है । ‘नमकीन’ से सूखा मेवा, मिठाई, अनाज, तेल से लेकर साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट, नेल पॉलिश, लिपस्टिक इत्यादि सौंदर्य प्रसाधनों का समावेश है । इस कारण हिन्दू उद्यमियों से व्यवसाय भी छीना जा रहा है ।
३. भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत ‘खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण’ (FSSSI), साथ ही प्रत्येक राज्य के स्वतंत्र ‘खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग (FDA) अस्तित्व में है । एक ओर खाद्य पदार्थों से संबंधित प्रमाणपत्र देने वाली ‘सेक्युलर’ शासन की व्यवस्था होते हुए भी ‘हलाल प्रमाणपत्र’ देने की अनुमति निजी इस्लामिक धार्मिक संस्थाओं को क्यों दी गई है ? साथ ही सरकार जब ऐसे पदार्थों को प्रमाणपत्र देती है, तब उसकी जांच की जाती है। ‘हलाल’ प्रमाणपत्र देते हुए शासन के किसी भी नियम का पालन नहीं किया जाता। ऐसे होते हुए भी धार्मिक आधार पर किसी निजी संस्थान द्वारा हलाल प्रमाणपत्र के नाम पर लिया जाने वाला शुल्क वैध क्यों ठहराया जा रहा है ? इन खाद्य पदार्थों से किसी को गंभीर स्वास्थ्य समस्या निर्माण हुई, तो उसका दायित्व कौन लेगा ?
४. हलाल उत्पादनों द्वारा लाभ कमाना और वह लाभ इस्लामिक बैंक द्वारा उत्पादनों की वृद्धि के लिए उपयोग करना, साथ ही इस्लामिक बैंक से हलाल उत्पादन बनाने वालों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाना और वैश्विक स्तर के बाजार पर नियंत्रण प्राप्त करने का प्रयास करना । इस प्रकार पूर्ण श्रृंखला पर नियंत्रण होने से इस्लामिक बैंक की स्थिति में विलक्षणीय परिवर्तन हुआ । बैंक की संपत्ति जो वर्ष २००० में ६.९ प्रतिशत थी, वह वर्ष २०११ में २२ प्रतिशत हुई । ‘हलाल इंडस्ट्री’ पूरे विश्व में सर्वाधिक गति से बढ़ने वाली व्यवस्था बन गई है। अर्थात इस्लाम के आधार पर ‘हलाल इंडस्ट्री’ और ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ के आधार पर ‘इस्लामिक बैंक’ बड़ी होती जा रही है।
५. भारत में हलाल प्रमाणपत्र देनेवाली अनेक निजी संस्थाएं उदा. ‘हलाल इंडिया प्रा. लिमिटेड’, ‘हलाल सर्टिफिकेशन सर्विसेस इंडिया प्रा. लिमिटेड’, ‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट’, ‘जमीयत उलेमा-ए-महाराष्ट्र’ समाविष्ट है । ६. मुसलमान व्यक्ति द्वारा प्राप्त मांस ही हलाल माना जाता है, जिससे मांस का ६३, ६४६ करोड रुपयों का व्यापार मुसलमानों के पास गया है । इसलिए हिन्दू खाटीक समाज और हिन्दू व्यापारी बेरोजगार होते जा रहे हैं ।
‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद’ संगठन के विषय में
भारत में हलाल प्रमाणपत्र देनेवाले संगठनों में से ‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद’ यह एक मुख्य संगठन है। भारत में ब्रिटिशों की राजसत्ता को विरोध करने के लिए वर्ष १९१९ में इस संगठन की स्थापना की गई। कांग्रेस के साथ यह संगठन कार्यरत था और उन्होंने विभाजन का विरोध किया था । विभाजन के समय इस संगठन के २ टुकडे होकर उनमें से ‘जमियत उलेमा-ए-इस्लाम’ संगठन ने पाकिस्तान का समर्थन किया था। जो आज भी शक्तिशाली मुसलमान संगठन के रूप में पहचानी जाती है।
कुछ मास पूर्व इस संगठन के बंगाल के अध्यक्ष सिद्दीकुल्ला चौधरी ने ‘नागरिकत्व सुधारणा कानून’ के विरोध में ‘केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को विमानतल से बाहर नहीं निकलने देंगे’, ऐसी धमकी दी थी। इसी संगठन ने घोषित किया कि उत्तर प्रदेश के हिन्दू नेता कमलेश तिवारी के हत्या प्रकरण में आरोपियों की ओर से अभियोग लड़ेंगे । इस संगठन ने ७/११ का मुंबई रेल्वे बम विस्फोट, वर्ष २००६ का मालेगांव बम विस्फोट, पुणे का जर्मन बेकरी बम विस्फोट, २६/११ के मुंबई आक्रमण, मुंबई के जावेरी बाजार में शृंखला बम विस्फोट, देहली की जामा मस्जिद विस्फोट, कर्णावती (अहमदाबाद) शहर के विस्फोट ऐसे अनेक आतंकवादी घटनाओं के मुसलमान आरोपियों के लिए कानूनी सहायता उपलब्ध करवाई है । ऐसे कुल ७०० लोगों के अभियोग जमियत लड रही है । इस हेतु खर्च होने वाला धन हलाल प्रमाणपत्र द्वारा हिन्दू ही उन्हें दे रहे हैं। इससे स्पष्ट होता है कि हलाल निधि का उपयोग आतंकवाद के आरोपियों की सहायता करने के लिए किया जा रहा है।
अतः इस संदर्भ में हम निम्न मांग करते हैं…
१. केवल धर्म के आधार पर निर्मित ‘हलाल प्रमाणपत्र’ व्यवस्था अन्य समाज घटकों पर लादी जा रही है। मुसलमान समाज की मांग के कारण बहुसंख्यक हिन्दू समाज, साथ ही मुसलमानों को छोडकर अन्य अल्पसंख्यक समाज को ‘हलाल प्रमाणित’ पदार्थ अथवा उत्पादन लेने के लिए बाध्य करना, यह धार्मिक अधिकारों का हनन है। इसलिए धार्मिक भेदभाव करने वाले ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ पर भारत में प्रतिबंध लगाया जाएं।
२. जिन निजी प्रतिष्ठानों को ‘हलाल प्रमाणपत्र’ देने की अनुमति दी गई है, उन सभी प्रतिष्ठानों की यह अनुमति तत्काल निरस्त की जाए ।
३. जो संस्थाएं ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ देती है, उन सभी संस्थाओं की सीबीआई द्वारा जांच कर क्या इस निधि का उपयोग आतंकवादियों की सहायता करने के लिए हुआ है ?, इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई संकट तो नहीं ?, इसकी विस्तृत जांच की जाएं।
ज्ञापन देने के लिए ये रहे उपस्थित
बजरंग दल बालोद जिला संयोजक उमेश कुमार सेन, विश्व हिंदू परिषद बालोद जिला सह मंत्री सतीश विश्वकर्मा विश्व हिंदू परिषद जिला बालोद महेंद्र सोनवानी (मोनू) कमल बजाज वीरेंद्र भारती (पप्पू) श्याम नेताम और सभी बजरंगी उपस्थित थे.