जिला बनने के 10 साल बाद भी तो ये हाल है: मेडिकल बोर्ड के काम के लिए जिला अस्पताल में भटकते हैं लोग, समाज कल्याण विभाग में केस हो जाता है रिफर

बालोद। बालोद को जिला बने 10 साल से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन यहाँ सरकारी स्वास्थ्य सुविधा आज भी नहीं सुधरी है यही वजह है लोगों को फिर निजी अस्पतालों में रुख करना पड़ता है. बालोद जिला अस्पताल अपनी अव्यवस्थाओं को लेकर लगातार सुर्खियों में रहता है। जहां कलेक्टर सहित अधिकारियों द्वारा आए दिन निरीक्षण करके यहां व्यवस्था सुधारने की बात कही जाती है। तो वहीं कई ऐसे मामले होते हैं जिससे यहां की व्यवस्थाओं की पोल खुल जाती है। एक नया मामला मंगलवार को सामने आया। जब कमरौद का एक साहू परिवार अपने परिवार की रहने वाली बहन का दिव्यांग संबंधित प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पहुंचा। लगभग 2 घंटे तक अस्पताल के एक चेंबर से दूसरे चेंबर में उक्त परिवार अपनी बहन को लेकर भटकता रहा। लेकिन उनका काम नहीं हुआ। कोई कहता रहा कि रायपुर जाकर प्रमाण पत्र बनवाना पड़ेगा। अब यहां नहीं बनेगा तो कोई कहता रहा डॉक्टर का तबादला हो चुका है। यहां काम नहीं होगा। संतोष साहू ने बताया कि नाम का जिला अस्पताल है। इतना बड़ा अस्पताल है। पर कोई काम नहीं होता है। ना ही कोई ढंग से जानकारी दी जाती है। ऐसे लोगों को भटकना पड़ता है। मैं और मेरी बहन लगभग 2 घंटे तक परेशान हुए।

अंत में एक डॉक्टर ने ओपीडी पर्ची में लिखकर दे दिया कि समाज कल्याण विभाग में जाना पड़ेगा। वही काम होगा। वही जो मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जो डॉक्टर है उनका तबादला हो चुका है। मेडिकल बोर्ड के निर्धारित समय सुबह 9:00 से दोपहर 1:00 बजे तक डॉक्टरों के आने का इंतजार करते हैं। लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ।

वहीं अंत में एक डॉक्टर द्वारा पर्ची में लिखकर दे दिया गया कि आपको समाज कल्याण विभाग बालोद में जाना पड़ेगा। इस पर संतोष साहू ने सवाल उठाया कि इतना बड़ा जिला अस्पताल है तो फिर काम क्यों नहीं हो सकता। नाम के लिए ही यहां मेडिकल बोर्ड का कार्य होता है यह लिखा क्यों दर्शाया जाता है। उन्होंने कहा कि दूरदराज से आने वाले मरीजों को काफी परेशानी होती है। उन्हें ठीक से जानकारी नहीं मिल पाती। जिसके चलते लोग भटकते हैं। जिला प्रशासन सहित अस्पताल प्रबंधन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि वे अपनी बहन बसंती साहू का मानसिक दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने के लिए आए थे। लेकिन उनका काम हुआ ही नहीं और इधर से उधर भटकते रहे।

डॉक्टर पर बदसलूकी का आरोप

वही संतोष साहू ने कुछ डॉक्टर पर मरीजों के साथ बदसलूकी पूर्ण व्यवहार करने का भी आरोप लगाया। इस पर पहले भी मामला प्रकाश में आ चुका है। जिला अस्पताल के कुछ स्टाफ अपनी हरकतों से आज तक बाज नहीं आ रहे हैं। उच्च अधिकारी व्यवहार सुधारने के लिए निर्देश भी देते रहे हैं। संतोष साहू ने बताया कि उन्होंने मेडिकल बोर्ड में काम नहीं होने की शिकायत कलेक्टर कुलदीप शर्मा को भी की है।

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