अबूझमाड़ के वनवासियों के मसीहा थे स्वामी आत्मानंद जी -जगदीश देशमुख

बालोद। स्वामी आत्मानंद जी में स्वामी विवेकानंद की अनुकृति थी। स्वामी जी हमेशा कहते थे दीन ,दुखी, अनाथ, भूखों की सेवा में ही ईश्वर के दर्शन होते हैं ।स्वामी विवेकानंद जी अपने शिष्यों से अकसर कहा करते थे कि तुम जंगलों में जाओ और वहां के गिरी कंदराओं ,बीहडों में रहने वाले  वनवासियों को शिक्षित करो ,शिक्षा के आलोक से वनांचलों को प्रकाशित करो। यदि आप ऐसा करेंगे तो नए भारत का निर्माण होगा और वनवासी भाई बहन अपने पैरों पर खड़े होकर भारत माता की सेवा करेंगे यही सच्ची ईश्वर भक्ति है। स्वामी विवेकानंद के इन्हीं शाश्वत विचारों से प्रेरित होकर स्वामी आत्मानंद ने नारायणपुर के स्वामी विवेकानंद आश्रम की स्थापना की। जहां अबूझमाड़ के बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में बिना किसी आरक्षण के मेडिकल और इंजीनियरिंग में चयन होकर रामकृष्ण आश्रम को गौरवान्वित कर रहे हैं। उक्ताशय के विचार सर्व कुर्मी समाज भिलाई सेक्टर 7 में आयोजित स्वामी आत्मानंद जयंती समारोह में विशिष्ट वक्ता के रूप में जिले के वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश देशमुख ने व्यक्त किए। उक्त कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रमेश कुमार चंद्रा ,विशिष्ट अतिथि नारायण चंद्राकर ,विशेष वक्ता सुरेश बंछोर रहे तथा अध्यक्षता प्रेमलाल पिपरिया ने की। कार्यक्रम में अशोक देशमुख ,मोतीलाल वर्मा ,नवनीत हरदेल,संतोष पाटणवार ,महेंद्र चंद्राकर तथा बड़ी संख्या में कुर्मी समाज के पदाधिकारी उपस्थित थे।

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