कुसुमकसा में कबूतर उड़ाकर मनाया गया विश्व शांति दिवस समारोह
दल्लीराजहरा। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुसुमकसा में भारत स्काउट गाइड तथा रेडक्रॉस के तत्वाधान में अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस मनाया गया।
इस अवसर पर प्राचार्य तृणाभ मिश्रा ने शांति दूत के रूप में सफेद रंग का कबूतर उड़ाया और शांति का संदेश देते हुए कहा शांति राजनीति या आर्थिक बदलाव से नहीं आ सकती बल्कि मानवीय स्वभाव आचरण तथा व्यवहार में बदलाव से आती है। जो शांत होगा वही व्यक्ति विकास के पथ पर अग्रसर रहेगा।
प्रबंधन समिति के अध्यक्ष अनिल सुथार ने कहा शांति युद्ध से बेहतर ही नहीं बल्कि कहीं अधिक कठिन भी है , यह तभी प्राप्त हो सकती है जब हम आपसी प्रेम ,भाईचारा और एक दूसरे का सम्मान करें। स्काउट मास्टर तथा व्यायाम अनुदेशक लक्ष्मण गुरुंग ने कहा जाति के आधार पर भेदभाव मिटाकर या नस्लवाद को समाप्त कर ही शांति की स्थापना की जा सकती है। आज हर कोई अपने जीवन अपने समाज और देश में शांति की चाहत रखता है। रेड क्रॉस प्रभारी टी एस पारकर ने कहा आज स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ समझने की प्रवृत्ति अशांति का सबसे बड़ा कारण बन गया है आइए इस विश्व शांति दिवस पर अपने अहम को भूलाकर “वसुधैव कुटुंबकम ” की अवधारणा को अपनाकर शांति और सद्भावना का प्रसार करें। आज इंसान यह समझ जाए कि हर धर्मों में सबसे बड़ा धर्म इंसानियत का होता है और हर सेवा से बड़ी सेवा मानव सेवा होती है तो विश्व में हर और शांति ही शांति होगी। पूरी दुनिया में इतना अंधकार नहीं है कि वह एक छोटे से दीपक के प्रकाश को मिटा सके। व्याख्याता सुश्री गीता गुप्ता ने कहा कि आज हम हर तरफ निराशा स्वार्थ और घृणा वाली अशांति के काले बादलों से गिरे हुए हैं एक दूसरे का सम्मान करें तभी मानव जाति का सम्मान हो पाएगा। राजेंद्र कुमार आवडे ने कहा कि महामारी के साथ कलंक भी जुड़ गया जो लोग कोविड से पीड़ित हुए उन्हें भेदभाव और घृणा का सामना करना पड़ा जबकि यह वायरस सभी को अपना शिकार बना सकता है मानव जाति के इस दुश्मन का सामना करते हुए हमें याद रखना चाहिए कि हम एक दूसरे के दुश्मन नहीं हैं। रश्मि मेश्राम ने कहा कि आज हमें शांति और सद्भावना का दीपक जलाना ही होगा। भारत स्काउट गाइड तथा जूनियर रेड क्रॉस के बच्चों द्वारा शांति पर स्लोगन कविता तथा भाषण के माध्यम से अपना विचार प्रकट किए। इस अवसर पर ग्राम सरपंच शिवराम सिंधरामें, नितिन जैन, सुनीता यादव,अशोक सिन्हा तथा समस्त व्याख्याता गण उपस्थित थे।