ये तो गलत बात है- सरकारी अस्पतालों में प्रसव की पर्याप्त सुविधा नहीं और प्राइवेट में आयुष्मान कार्ड से प्रसव की पूरी सुविधा बंद, बीच मझधार में फंसी महिलाएं
सिजेरियन प्रसव के लिए खर्च करने होंगे अब 15 से 25000, परेशानी शुरू
बालोद। विगत 16 अगस्त से केंद्र सरकार द्वारा आयुष्मान कार्ड के अंतर्गत प्राइवेट अस्पतालों में सिजेरियन प्रसव के पैकेज को हटा दिया गया है। जिससे प्राइवेट अस्पताल संचालक अपने यहां भर्ती प्रसव केस में आयुष्मान कार्ड से पैसा नहीं कांट सकेंगे। उन्हें जो भी उनका चार्ज है वह मरीज से वसूलना होगा। ऐसे में सिजेरियन प्रसव में आने वाले 15000 से ₹25000 खर्च अब आयुष्मान कार्ड से न कटेंगे तो भर्ती मरीज को ही पैसा देना पड़ेगा। इस से जहां प्राइवेट अस्पतालों में प्रसव के केस घट जाएंगे। सरकार का मकसद है कि सरकारी अस्पतालों में ज्यादा से ज्यादा प्रसव केस हो। लेकिन बालोद जिले के हालातों को देखें तो यहां से सिजेरियन की सुविधा सरकारी अस्पतालों में नाम मात्र नजर आती है। स्थाई स्त्री रोग विशेषज्ञ भी नहीं है। बाहर से डॉक्टर बुला कर काम चलाया जा रहा है। ऐसे में यहां आए दिन प्रसव पीड़ितों को रेफर कर दिया जाता है। तो वहीं सरकार के इस फैसले से परेशानी भी शुरू हो गई है। सरकारी अस्पतालों में सिजेरियन की पर्याप्त सुविधा नहीं है और प्राइवेट अस्पतालों में पैसे लिए जा रहे हैं। इससे बीच में प्रसव पीड़ित महिलाएं परेशान हो रही हैं। तो उनके परिजन भी हलाकान है। गरीब तबके के लोगों को इसमें काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। क्योंकि उनके पास इलाज कराने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं होते हैं। आयुष्मान कार्ड के भरोसे इलाज कराया जाता है और प्रसव में खासतौर से सिजेरियन ऑपरेशन होने पर होने वाले 15 से 20000 के खर्च को कहां से वहन करेंगे यह एक दुविधा नजर आ रही है। तो वहीं स्थानीय सरकार के लिए भी एक चुनौती है कि सरकारी अस्पतालों में ऐसी पर्याप्त सुविधा रखें कि किसी भी केस को रेफर करने की जरूरत ना पड़े और उनका यही पर इलाज हो सके। अधूरी तैयारी के बीच अचानक आयुष्मान कार्ड बंद कर दिए जाने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
गरीब तबके की महिला को 3 दिन भर्ती के बाद कर दिया रिफर, प्राइवेट अस्पताल में 18000 मांग रहे
बीती रात को कुंदरू पारा अटल आवास के रहने वाले गरीब परिवार की महिला रत्नावली पति रवि कुमार के साथ घटना घटित हुई। डॉक्टर की कमी व आयुष्मान कार्ड बंद कर दिए जाने से गरीबी रेखा से जीवन यापन करने वाले गर्भवती महिलाएं हलाकान होने लगी है। जानकारी अनुसार बुधवार को रात्रि 10 बजे जिला अस्पताल बालोद से एक महिला को राजनांदगांव रेफर कर दिया गया। 3 दिनों से रत्नावली नाम की एक महिला जो अनुसूचित जाति की है। जिला अस्पताल बालोद में डिलीवरी हेतु भर्ती थी। डॉक्टरों की कमी के कारण 3 दिनों से अस्पताल में रहते दर्द से व्याकुल थी। 3 दिनों से लगातार उन्हें भर्ती कर रखा गया था। रात्रि 9 बजे हालत बिगड़ने पर डॉक्टर की कमी के कारण उन्हें मेडिकल कॉलेज राजनांदगांव रिफर किया गया। रात्रि 12 बजे मरीज को लेकर उनके परिजन मेडिकल कॉलेज राजनांदगांव पहुंचे लेकिन मेडिकल कॉलेज में भी डॉक्टर की कमी बताया गया और उन्हें जिला अस्पताल राजनांदगांव रिफर किया गया। लेकिन वहां भी डॉक्टर की कमी बताई गई। रात भर मरीज दर्द से व्याकुल होकर छटपटाती रही। लेकिन वहा भी इलाज नहीं मिला। गुरुवार सुबह 4 बजे किसी तरह उन्हें राजनांदगांव के प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। लेकिन वहां 18000 रुपये जमा करने पर ही सीजर डिलीवरी करने की बात कही जा रही है। गर्भवती महिला रत्नावली का परिवार रोजी मजदुरी कर जीवन यापन करने वाले है। इसके पास इलाज के लिए पैसे नहीं है। प्राइवेट अस्पताल में आयुष्मान कार्ड से सिजेरियन प्रसव बंद कर दिया गया है। जिससे यह दिक्कत हो रही है। पहले लोग निश्चिंत रहते थे और अगर सरकारी में सुविधा नहीं है तो प्राइवेट में जाकर प्रसव करवा लेते थे। लेकिन अब अगर प्राइवेट में जाएंगे तो वहां उनकी पूरी फीस देनी पड़ेगी। जो कि 10 से 15 हजार से कम तो होती नहीं है।
हमारी मांगों पर नहीं हुई कार्यवाही, विडंबना की है बात
भारतीय जनता पार्टी शहर बालोद महामंत्री एवं पूर्व पार्षद संतोष कौशिक ने बताया कि जिला अस्पताल बालोद की दुर्दशा को देखते हुए भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर से मुलाकात कर ज्ञापन प्रस्तुत कर जिला अस्पताल की व्यवस्था सुधारने व शीघ्र प्रसूति विशेषज्ञ डॉक्टर की नियुक्ति करने मांग की गई थी। परंतु आज पर्यंत तक जिला अस्पताल में डॉक्टर की नियुक्ति नहीं की गई है। जिसके कारण प्रतिदिन प्रसव हेतु आने वाली गर्भवती महिलाओं को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जिला अस्पताल बालोद में दिन में ऐसे मरीजों को रिफर नहीं किया जाता है। रात्रि में और ऐसे बरसात के मौसम में मेडिकल कॉलेज राजनांदगांव यह जानते हुए कि वहां भी ऐसी कोई व्यवस्था या डॉक्टर नहीं है क्यों भेजा जाता है। इतने बड़े मेडिकल कॉलेज में भी डॉक्टर की कमी है जो समझ से परे है । शासन प्रशासन संज्ञान में लें कि छत्तीसगढ़ के ऐसे कितने गर्भवती माताओं को शासन प्रशासन की लचर व्यवस्था के कारण प्रतिदिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। जिला कलेक्टर बालोद एवं स्वास्थ्य मंत्री सहित छत्तीसगढ़ की सरकार क्यों कुंभकरण की नींद में सोई हुई है। आर्थिक रूप से संपन्न परिवार कहीं भी अपना इलाज करा सकते हैं परंतु गरीब परिवार के लोग निजी अस्पतालों में नगद रुपया देकर अपना इलाज करा नहीं सकते है। आयुष्मान कार्ड से निजी अस्पतालों में इलाज हो जाता था उसे भी बंद किया गया है तो गरीबों के साथ क्यों अन्याय कर रही है। अगर ऐसी बात है तो फिर स्थानीय छत्तीसगढ़ सरकार को सरकारी अस्पताल में पर्याप्त सुविधा देनी चाहिए। ताकि लोगों को प्राइवेट में जाना ही ना पड़े।
क्या थी योजना
इस योजना के माध्यम से अब तक निजी अस्पतालों में इन्हें इलाज मिल जाता था, लेकिन सरकार ने क्रमश: मलेरिया, मोतियाबिंद, उल्टी-दस्त, एचआईवी, टीबी, नसबंदी, गैंगरिन समेत 166 प्रकार के नि:शुल्क इलाज बंद कर दिए थे। अब इसमें सिजेरियन डिलीवरी को भी शामिल कर दिया गया है। लिहाजा अब 167 प्रकार का इलाज निजी अस्पतालों में नहीं होगा। सरकार के इस निर्णय से लोगों को परेशानी को सामना करना पड़ेगा। बतादें कि आयुष्मान कार्ड योजना जब शुरू हुई तो उस समय 2300 प्रकार की बीमारियों का निशुल्क इलाज शामिल किया गया था। इसके बाद क्रमश: इलाजों को हटाया जाने लगा। अब इसमें से 167 इलाजों को निजी अस्पतालों से हटा दिया गया है। इसका सीधा असर ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों पर पड़ेगा। सरकारी अस्पतालों में संसाधनों की भारी कमी है। ऐसे में इस प्रकार के इलाज सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में होना मुश्किल है। लिहाजा मरीज के पास अब जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज के अलावा निजी अस्पताल में अधिक फीस देकर इलाज कराना मात्र विकल्प रह गया है।
आम मरीजों को होगी परेशानी
सरकारी अस्पतालों में गंभीर बीमारियों के इलाज की बेहतर व्यवस्था न होने से आयुष्मान योजना के तहत मरीज निजी अस्पतालें में इलाज कराते हैं। बीपीएल परिवार के मरीजों को 5 लाख, एपीएल कार्डधारियों को 50 हजार तक के इलाज की सुविधा मिलती है। ज्यादातर महिलाएं सिजेरियन डिलिवरी निजी अस्पतालों में ही कराती हैं। इधर 14 अगस्त से निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्डधारियों की सिजेरियन डिलीवरी बंद हो गया है। शासन ने इसके पहले भी दांत, आंख सहित 166 प्रकार के इलाज का पैकेज हटा दिया था।
ये सुविधाएं बंद
अपेंडिक्स, मलेरिया, हार्निया, पाइल्स, हाइड्रोसील, पुरुष नसबंदी, डिसेंट्री, एचआईवी विध कम्प्लीकेशन, बच्चादानी ऑपरेशन, हांथ-पांव की सर्जरी, मोतियाबिंद पट्टा चढ़ाना, गांठ, इंफेक्शन, आतों का बुखार सहित अन्य प्रकार के इलाज आयुष्मान कार्ड के जरिए अब निजी की जगह केवल सरकारी अस्पतालों में ही होंगे।
क्या कहते हैं अधिकारी
मामले में आयुष्मान कार्ड योजना के जिला प्रभारी कमल किशोर येरेवार ने बताया कि आयुष्मान कार्ड योजना से प्राइवेट अस्पतालों में सिजेरियन प्रसव का पैकेज हटा दिया गया है। इसका अलग से आदेश नहीं आया है लेकिन वेबसाइट से ही उक्त सुविधा को हटा दिया गया है। जिससे प्राइवेट अस्पतालों में सिजेरियन प्रसव पर आयुष्मान कार्ड से पैसे नहीं कांट सकेंगे। सरकार का मकसद सरकारी अस्पतालों में प्रसव को बढ़ावा देना है। शासन से निर्देश है उसके हिसाब से हम भी काम कर रहे हैं।
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