जगन्नाथपुर सरस्वती शिशु मंदिर में हुआ गणित मेला का आयोजन, बच्चों ने चार्ट, भाषण और कविता के जरिए दिखाई अपनी प्रतिभा

याद किए गए श्रीनिवास रामानुजन

बालोद। बालोद ब्लाक के ग्राम जगन्नाथपुर में संचालित सरस्वती शिशु मंदिर में 22 दिसंबर को महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती पर गणित मेला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के बच्चों ने अपनी प्रतिभाओं का परिचय देते हुए महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जीवन से जुड़े हुए पहलुओं पर चित्रकारी, भाषण, गिनती, पहाड़ा, आकृति कविता, रंगोली आदि का प्रदर्शन कर अतिथियों को मंत्र मुग्ध किया। इस दौरान पहुंचे समिति के पदाधिकारी एससी हरदेल, खिलानंद गिलहरा और अभिभावकों ने बच्चों की प्रतिभा की सहाना की और बच्चों से उनके प्रदर्शनी और गणितज्ञ रामानुजन के जीवन से संबंधित प्रश्न भी पूछा गया। साथ ही प्रथम द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले बच्चों को पुरस्कार वितरण किया गया। इस गणित मेला के दौरान 14 बच्चों ने गणित चार्ट, 8 ने भाषण, 6 ने गणित प्रादर्श, 7 ने पत्ती व मसाला संग्रह, 11 बच्चों ने उल्टी गिनती, 16 ने सीधे गिनती, 9 ने कविता, 4 ने रंगोली, 8 ने चित्रकला और 7 बच्चों ने अनाज संग्रह सहित कुल 90 बच्चों ने अपनी प्रतिभाओं का विविध कलाओं में प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रधानाचार्य ताराचंद साहू सहित अतिथियों व अभिभावकों ने बच्चों को पुरस्कृत किया। आयोजन ने प्रमुख रूप से अभिभावक नंदिनी साहू, गुनीता देशलहरे ,दामिनी साहू, खिलेश्वरी साहू, लीलेश्वरी साहू, पद्मिनी विमल विश्वकर्मा, तानसेन साहू, सोहनलाल साहू, हेमलाल साहू, दिनेश पटेल आदि मौजूद रहे, जिन्होंने बच्चों की प्रतिभा को सराहा और उन्हें सम्मानित किया गया।

बच्चों को बताया गया संक्षिप्त में श्रीनिवासन का जीवन परिचय

इस दौरान बच्चों को महान गणितज्ञ श्रीनिवासन रामानुजन के जीवन परिचय के बारे में भी बताया गया की कैसे उनमें बचपन से ही गणित को लेकर विशेष रुचि थी। बाकी विषय में वे कमजोर थे। लेकिन गणित उनका मजबूत था। अक्सर देखते हैं कि बच्चे गणित से पीछे भागते हैं लेकिन गणित जैसे कठिन विषय के साथ रामानुजन की दोस्ती ने ही उनको अलग मुकाम पर पहुंचाया। बच्चों को प्रेरित किया गया की गणित से घबराएं नहीं बल्कि उसका सामना कर उनसे दोस्ती करें और अन्य विषयों की तरह उसे भी समझे और पढ़ाई करें। प्रधानाचार्य ताराचंद साहू ने बताया कि रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 को इरोड तमिलनाडु में हुआ था। उन्होंने संख्याओं की विश्लेषणात्मक सिद्धांत में महत्वपूर्ण योगदान दिया और दीर्घ वित्तीय फलनो, सतत भिन्न और अनंत श्रृंखला पर काम किया। उनमें गणित के प्रति असामान्य प्रतिभा थी। लोग उन्हें गणित के जादूगर कहते थे। 13 साल की उम्र में ही उन्होंने त्रिकोणमिति में महारत हासिल कर ली थी और खुद से बिना किसी सहायता के कई प्रमेय यानी थ्योरम को भी विकसित किए थे। उन्हीं की याद में उनकी जयंती को गणित दिवस के रूप में हमारे देश में मनाया जाता है।

कक्षा अष्टम के छात्र ने बनाई श्री रामानुजन की आकर्षक पेंटिंग

इस गणित मेला के दौरान कक्षा अष्टम के छात्रा हेमेश मार्कंडेय ने महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की आकर्षक पेंटिंग बनाई थी। जिन्हें चित्रकला में प्रथम स्थान मिला। इस दौरान शिक्षकों में रेखलाल देशमुख, खेमिन साहू, धनंजय साहू, भावना सुनहरे, रीना देशलहरे, माधुरी यादव, चैन कुमारी नेताम, त्रिवेणी दुबे, रितु पिस्दा, स्टाफ नुमेश्वरी आदि मौजूद रहे।

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