समाज में बदलाव- पिता की मौत पर बेटियों ने दी मुखाग्नि, घर से कंधा देकर मुक्तिधाम तक भी पहुंची, भीमकन्हार में पहली बार ऐसा नजारा
बालोद। आज बेटी और महिलाओं के प्रति सामाजिक नजरिया बदलने लगा है। पहले जो उन पर पाबंदियां या भ्रांतियां थी वह पहले की अपेक्षा दूर हो चुकी है। और इसके उदाहरण कई जगह देखने को मिलते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया ग्राम पंचायत भीमकन्हार में। जहां पर अपने पिता की मौत पर उनकी बेटियां द्वारा पिता का अंतिम संस्कार किया गया। ऐसा इस गांव में पहली बार हुआ। गांव के पंचायत में ही पदस्थ रोजगार सहायक नीलम बाई ने अपने पिता का अंतिम क्रियाकर्म किया। उनके पिता बनवाली राम ठाकुर का बुधवार को बीमारी के चलते आकस्मिक निधन हो गया। उनकी 4 बेटियां हैं। जिनमें पीलेश , उर्मिला बाई, नीलम बाई, लुमेश्वरी बाई शामिल है। नीलम गांव में ही रहती है। सो नीलम ने अपने पिता का अंतिम संस्कार स्वयं करने की सोची। ग्रामीणों ने भी उनका साथ दिया। सरपंच पोषण साहू सहित अन्य ग्रामीणों ने रोजगार सहायिका नीलम के इस हौसले को प्रोत्साहित किया। घर से नीलम गांव के अन्य लोगों के साथ अपने पिता के शव को कंधा देकर मुक्तिधाम जाने के लिए निकली और फिर वहां सभी विधि विधान के साथ पिता के शव को मुखाग्नि दी गई। आत्मा की शांति के लिए संपूर्ण कार्यक्रम 15 अप्रैल को रखा गया है। सरपंच पोषण साहू ने कहा कि आमतौर पर लोगों की धारणा होती है कि हमारे अगर बेटे नहीं होंगे तो बुढ़ापे में सहारा कौन बनेगा। लेकिन यहां बेटियां ही बाप का सहारा थी और जब पिता नहीं रहे तो बेटियों ने खुद आगे आकर अपनी जिम्मेदारी निभाई। जो समाज के लिए भी एक बदलाव का संदेश है।