अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस-स्वयंसेवक का उद्देश्य होता है निस्वार्थ भाव से सेवा करना- धनेश साहू
डौंडीलोहारा। हर साल 5 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस मनाया जाता है. यह अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षण संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1985 में अनिवार्य किया गया था और कई वर्षों से लोकप्रिय संस्कृति का हिस्सा बन गया है. जैसा कि नाम से पता चलता है कि अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस हर किसी के लिए स्वेच्छाचारिता को बढ़ावा देने और स्वयंसेवकों के प्रयासों का समर्थन करने के लिए सरकारों को प्रोत्साहित करने, स्वयंसेवी योगदान को मान्यता देने का एक अवसर है. स्वयंसेवक स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने पर प्रभाव डाल सकते हैं. वरिष्ठ स्वयंसेवक धनेश्वर साहू ने बताया कि एक स्वयंसेवक सदैव स्वयं से पहले दूसरों के हित के बारे में राष्ट्र की हित के बारे में सोचते हैं, वे अगर सेवा भावना से कार्य कर रहे होते हैं तो एक निस्वार्थ सेवा भावना होता है, जिसमें किसी भी प्रकार की धन या अन्य वस्तु की चाह नहीं रखता, राष्ट्रीय सेवा योजना स्वयं सेवक राष्ट्र के प्रति इतने समर्पित होते हैं कि सदैव हर परिस्थिति में अपनी सेवा देने के लिए तत्पर रहते हैं, हाल ही में कोविड-19 जैसे इन दिनों में सबसे बड़ी उदाहरण राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों द्वारा देखने को मिला।साथ ही इससे स्वयंसेवकों में सामाजिक और नागरिक जिम्मेदारी की भावना का विकास होता है। एक एनएसएस स्वयंसेवी ‘स्वयं से पहले ‘समुदाय को स्थान देता है l शिक्षा और साक्षरता, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और पोषण, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक सेवा कार्यक्रम, महिलाओं की स्थिति में सुधार, उत्पादन उन्मुख कार्यक्रम, आपदा राहत तथा पुनर्वास संबंधी कार्यक्रम, सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अभियान, डिजिटल भारत, कौशल भारत, योग इत्यादि जैसे प्रमुख कार्यक्रमों के बारे में समाज में कैसे जागरूकता फैलाई जाए।