अभाविप बालोद ने मनाई झांसी की रानी की जयंती, याद किये उनकी गाथा

बालोद। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जिला बालोद द्वारा वीरांगना महारानी लक्ष्मी बाई जी की 193 वीं जयंती मनाई गई। विद्यार्थी परिषद द्वारा जिलास्तरिय संगोष्ठी व सायंकाल जयस्तंभ चौक पर उनके छायाचित्र में माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित का कार्यक्रम आयोजित कर रानी लक्ष्मीबाई की जयंती मनायी गयी। संगोष्ठी कार्यक्रम में विद्यार्थी परिषद के सदस्यों द्वारा रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर प्रकाश डाला और उन्हें प्रेरणा का स्त्रोत बताया।कार्यक्रम में उपस्थित मुख्यवक्ता के रूप में कांकेर विभाग संगठन मंत्री अमित कुमार ने रानी लक्ष्मीबाई के जीवन व्याख्यान करते हुए बताया कि वीरांगना महारानी लक्ष्मी बाई जी सम्पूर्ण नारी शक्ति का एक प्रतीक है। उन्होंने सदा सच्चाई और राष्ट्र के लिए काम किया और अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया ।उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के ऐसे कई अनोखे उदाहरण हैं,जो आज ‘मील का पत्थर’ हैं। वीरांगना बतौर शासक अपने समय से कहीं आगे थीं। यही वजह रही कि जब वे ब्रितानवी हुकूमत के खिलाफ लड़ीं तो आम जन उनके साथ हो लिए। इसके अनगिनत उदाहरणों की कहानी ग्वालियर शहर और अंचल के आसपास बिखरी पड़ीं हैं। इससे ‘ मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी ‘ के उनके बहुप्रचारित नारे को लेकर उनकी गढ़ी गई कथित संकीर्ण छवि पीछे छूट जाती है। बतौर शासक उनके कुछ गुण और कृतित्व जो आज भी किसी शासक के लिए अनुकरणीय हैं। वीरांगना लक्ष्मीबाई ने जब ग्वालियर में ब्रितान्वी हुकूमत से अंतिम और निर्णायक युद्ध लड़ा तो उनके साथ सैनिकों का एक विशेष दस्ता भी था। जो उनके साये के साथ अंतिम समय तक लगा रहा। नौ गजा रोड पर उन सैनिकों की शहादत को बतातीं मजारें आज भी बनी हुई हैं। आम जन के हितों पर कुठाराघात करने वाले उपद्रवियों के प्रति वे बेहद सख्त थीं। इसके लिए वे अपने अफसरों और सामंतों पर भरोसा नहीं करती थीं। क्रांति के पूर्वार्ध में ही जब बरुआ सागर में प्रजा कष्ट में थी, उपद्रवियों ने उन्हें तंग कर रखा था। तब उन्होंने वहां पन्द्रह दिन प्रवास किया। साधारण से घरों में रह कर उपद्रवियों को कुचला गवालियर में जब उनकी सेना ने प्रवेश किया तो उन्होंने अपने सरदारों को दो टूक आदेश दिया था कि प्रजा के साथ किसी तरह की लूटपाट नहीं होना चाहिए। इसका सीधा असर स्थानीय लोगों के क्रांति में दिए योगदान में दिखा। कार्यक्रम में उपस्थित जिला संयोजक सुमित कौशिक ने कहा की आज विद्यार्थी परिषद महारानी लक्ष्मी बाई जी के जयंती को नारी शक्ति दिवस के रूप में मना रहे है,महारानी लक्ष्मीबाई को नारी शक्ति पर पूर्ण भरोसा था। उनके निजी अंगरक्षक का दस्ता हो या क्रांति के दौरान उन्होंने महिलाओं का समुचित स्थान दिया ग्वालियर सहित पूरे अंचल में जब गदर चल रहा था, तब भिण्ड और इटावा में महिलाओं ने भी खूब संघर्ष किया ग्वालियर,कालपी और भिण्ड के आसपास दर्जनों गांवों में महिलाओं और किसानों ने उनका बिना स्वार्थ के साथ में योगदान दिया रानी लक्ष्मी बाई ने बिना किसी भेदभाव के आम जन व महिलाओं को अपनी सेना में शामिल किया धर्म के प्रति अद्भुत निष्ठा की वजह से समूचे अंचल का संत समाज उनकी सुरक्षा के लिए समर्पित भी रहा नौगजा रोड पर जब वे युद्ध में फंस गई थीं, जब उनकी सुरक्षा के लिए साधू पहुंचे यहां 370 साधुओं ने बलिदान देकर उन्हें सुरक्षित निकला इसके बाद वे नाले के पास शत्रुओं से बुरी तरह घिर गईं तब भी सैंकड़ों साधुओं ने अपना बलिदान दिया ये साधू किसी रियासत के लिए नहीं बल्कि देश की आजादी के लिए लड़े.

संगोष्ठी कार्यक्रम के पश्चात् समस्त कार्यकर्ता शाम को जयस्तंभ चौक पहुँच कर रानी लक्ष्मी बाई जी के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर दीप्प्रज्वलित किया। सम्पूर्ण कार्यक्रम में मुख्य रूप से नगर अध्यक्ष संदीप दुबे,नगरमंत्री आशुतोष,अर्ज़ुंदा नगरमंत्री नवीन राजपूत,नगर सह मंत्री रीना साहू, छात्रा कार्यकर्ता तेजस्वनि साहू,सोनल बिसेन,रुचि साहू ,नगर सह मंत्री मिथलेश कुमार,नगर विद्यालय प्रमुख आदर्श श्रीवास्तव,नगर छात्रावास प्रमुख कीर्तिकुमार शानू,एस. एफ़. डी. प्रमुख अनिरुध धार्मिक,जतिन साहू,छितिज मिश्रा,करण यादव,लुमेशसाहू,योगेश ठाकुर,जीत यादव,आशीष,कैलाश ठाकुर,यश जायसवाल, जीत परचानी व भारी संख्या में नगरवासी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

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