इसकी भी तो सुन लो सरकार, दिव्यांग को नहीं मिल रहा सहारा, आवेदन करने पर अफसरों ने भी लिखकर दे दिया फिलहाल कोई योजना नहीं, ना गुमटी में मिला ना रहने को घर, अब तक नहीं हो रहा स्थाई बसर
बालोद। शासन प्रशासन चाहे लाख दावे करें कि हम गरीबों का भला करते हैं उनके लिए योजनाएं लाते हैं उनका क्रियान्वयन करते हैं ।पर बालोद के हाल निवास गंजपारा के रहने वाले हरप्रीत सिंह की दास्तां सुनकर आपको ऐसा लगेगा कि आखिर क्या किसकी गलती है, कहां से लापरवाही है, कि इसे सरकार की योजना का लाभ आज तक नहीं मिल पाया। वह कई अफसरों और विभागों के दरवाजे खटखटा चुका है लेकिन सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला। अब तो यह हाल हो गया है कि अफसर तक भी उन्हें यह लिखकर देने लगे हैं कि इसका कुछ नहीं हो सकता। ना उसके लिए हमारे पास कोई योजना है। इससे इस दिव्यांग हरप्रीत सिंह के मन में आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है इससे स्थिति कभी भी विस्फोटक हो सकती है, इसकी चेतावनी हरप्रीत सिंह ने मीडिया के जरिए भी दी है। पिछले दिनों भाजयुमो संगठन के द्वारा भी हरप्रीत सिंह की आवाज बनकर एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर इसे मदद दिलाने की गुहार लगाई गई थी। पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है तो वहीं दोबारा हरप्रीत ने मीडिया के जरिए स्वयं अपनी आवाज उठाने की कोशिश कर रहा है। ताकि कोई सुनवाई हो। पर अब तक कोई सुनने वाला नहीं है। ना नगरपालिका से इसका कोई काम हो रहा है ना ही समाज कल्याण विभाग के जरिए। पिछले दिनों उन्होंने समाज कल्याण विभाग को गुमटी लगवाने के लिए 2 लाख रुपये की वित्तीय ऋण देने की मांग की थी। मुख्यमंत्री जन कल्याणकारी रोजगार कल्याणकारी योजना के तहत उन्होंने यह मांग रही थी कि जिला अस्पताल बालोद में दूध अंडा की गुमटी लगाने के लिए दो लाख की वित्तीय सहायता दी जाए। तो साथ ही बालोद में अटल आवास में घर दिलाया जाए। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उनके इस मांग पर हाल ही में समाज कल्याण विभाग के उपसंचालक ने एक पत्र जारी करके असमर्थता जाहिर कर दी है कि फिलहाल हम उनके आवेदन पर कुछ नहीं कर सकते। उपसंचालक समाज कल्याण विभाग द्वारा हरप्रीत को लिखे गए पत्र में यह कहा गया है कि आप की मांगों पर भविष्य में सूचित किया जाएगा।
अटल आवास बालोद में स्थान हेतु उन्हें कार्यालय छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल जिला बालोद से संपर्क स्थापित करने की सलाह दी गई है। जहां उन्हें पात्रता अनुसार स्थान दिया जाएगा ।तो वही समाज कल्याण विभाग द्वारा दिव्यांग स्वरोजगार हेतु ऋण दिया जाता था लेकिन वर्तमान में छत्तीसगढ़ निशक्तजन वित्त एवं विकास निगम रायपुर के पत्र अनुसार जब तक छत्तीसगढ़ निशक्तजन वित्त एवं विकास निगम रायपुर द्वारा 29.22 करोड़ रुपए की वापसी नहीं होती तब तक वर्तमान में नवीन आवेदन स्वीकृत नहीं किया जा रहा है। हरप्रीत को कहा गया है कि भविष्य में आवेदन स्वीकृत किए जाने पर आपको सूचित किया जाएगा। दूसरी ओर मुख्य नगरपालिका अधिकारी द्वारा पहले से ही उन्हें यह आश्वासन देकर टाल दिया गया है कि उन्हें व्यवसाय करने के लिए गुमटी तो दिया जाएगा लेकिन निकाय में गुमटी उपलब्ध नहीं है। जून 2016 से नगर पालिका प्रशासन द्वारा यही बात कही जा रही है तो वहीं हरप्रीत का आरोप है एक तरफ नगरपालिका की कई गुमटियां बारिश में सड़ रही है वहां कोई दुकान ही नहीं खुला है। इसके बावजूद नगर पालिका प्रशासन यह कहता है कि यहां गुमटी उपलब्ध नहीं है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि जब वोट डालने की बारी आती है तो हमारे पास सब आते हैं। लेकिन जब हमारी बारी आती है हम कोई समस्या बताना चाहते हैं तो हमारी कोई सुनवाई नहीं होती है। हरप्रीत सिंह का कहना है कि उन्होंने जनदर्शन में भी कई बार आवेदन लगाया है। पर हर बार सिर्फ आश्वासन मिला है। पहल आज तक नहीं हुई है। 2016 से वे भटक रहे हैं और जिला कलेक्टर बालोद, नगर पालिका बालोद सहित शहर के सभी बैंकों में गुहार लगा चुके हैं। पर बैंकों द्वारा यह कहा जाता है कि मकान दुकान की गारंटी लाओ तब हम लोन लेंगे। वरना कुछ नहीं हो सकता है ।
इस तरह ट्रेन एक्सीडेंट से हुए दिव्यांग
अपनी पीड़ा बताते हुए कहते हैं पहले मैं कुआं के पास कला मंच आमापारा बालोद में रहता था फिर हाल ही में गंजपारा में किराए के मकान में शिफ्ट हुआ लेकिन स्थिति इतनी दयनीय है कि मैं किराया तक नहीं चुका पा रहा हूं। नागपुर सफर के दौरान ट्रेन एक्सीडेंट में मेरा बाया पैर 5 नवंबर 2015 को कट गया था। जिसके कारण मुझे 45% विकलांगता का प्रमाण पत्र भी मिला है। 2007 से बालोद में अपने बच्चों व पत्नी के साथ गुजारा कर रहा हूं। तीन बच्चे हैं। 2018 से पत्नी की तबीयत हमेशा खराब रहती है। रोजी मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं।