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हंसता मुस्कुराता हसन का चेहरा अब बालोदवासी कभी देख नहीं पाएंगे, आखिर क्या हुआ इस गलियों के अल्ताफ को, जिन्हें गाता हुआ देख लोग वीडियो बनाने से रह नहीं पाते थे

बालोद। बालोद शहर का एक चर्चित किरदार हसन जिसे लोग पता नहीं क्या-क्या नाम देते थे। अक्सर लोग इन्हें बस स्टैंड या गलियों में या कहीं पर भी पैदल घूमते देख लेते थे। लोगों से कभी खाने को मांगता था तो कभी चाय पिलाने की मांग करता था। हसन तवर जिसके चेहरे पर हमेशा हंसी और मुस्कुराहट बरकरार रहती थी। अब वह मुस्कुराहट व उसकी गायकी का हुनर बालोद वासी देख नहीं पाएंगे। 4 जुलाई को सुबह करीब 8 बजे जब सोशल मीडिया व्हाट्सएप के जरिए लोगों को पता चला कि दल्ली राजहरा थाना क्षेत्र में कुसुमकसा और अरमुर कसा के बीच रेलवे ट्रैक पर कटी हालत में हसन की लाश मिली है तो लोग सहसा विश्वास नहीं कर रहे थे। पर यह कटु सत्य था। रेलवे ट्रैक पर उसकी मौत हो गई है। दल्ली पुलिस मामले की जांच में जुटी है कि घटना कैसे हुई है। इसकी अभी कोई पुष्टि नहीं हुई है कि यह आत्महत्या है या कुछ और। उनके करीबियों की माने तो हसन को ट्रेन, गाड़ी, आग, पानी इन सब से डर लगता था। अगर कोई उन्हें पानी लाने कहता था तो भी वह घबराता था। रेल पटरी में तो कभी वह जाता भी नहीं था। लोग अक्सर उसे सड़कों या बस स्टैंड पर ही घूमते देख लेते थे। इसकी आवाज बहुत अच्छी थी। लोग कहीं देखते तो उन्हें गाने के लिए कहते थे।

तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे,,,, अल्ताफ राजा के कई गाने उसे मुखाग्र गाने आते थे और वह कहीं पर भी बैठकर गाने लग जाता था। लोग इनकी वीडियो रिकॉर्ड करते थे और शेयर करते थे। इनके कई वीडियो अभी भी सोशल मीडिया में वायरल होते हैं। पर लोगों को यह सहसा विश्वास नहीं हो रहा है वह हसन जो लोगों के दिलों को हंसा कर लोगों को पल भर की खुशियां देता था वह अब गुमनाम हो गया है। मूल रूप से बालोद के टिकरापारा के रहने वाले हसन तवर इसका पूरा नाम था। उम्र लगभग 45 वर्ष थी। अक्सर वह घर से गायब रहता था। घूमता फिरता रहता था। कभी रात को घर भी नहीं आता था जहां कहीं पनाह मिले सो जाता था। जहां खाना मिले तो खा लेता था। लोग इनकी मदद भी करते थे। लोगों का वह गाना गाकर मनोरंजन करता था। अब उसकी मौत के बाद यह जांच का विषय है कि आखिर उसकी लाश रेलवे ट्रैक पर पहुंची कैसे। परिजन इस बात पर सहसा विश्वास नहीं कर रहे हैं कि वह रेलवे ट्रैक पर जाकर आत्महत्या कर सकता है। बीते कुछ दिनों से वह दल्ली राजहरा क्षेत्र में घूम रहा था। वह पैदल ही बालोद से दल्ली पहुंच जाता था। आने जाने वाले राहगीर कभी-कभी उसे दानी टोला घाट के पास भी घूमते रहते थे। बालोद के फुरकान खान का कहना है कि हसन हसमुख मिजाज का व्यक्ति था। उसकी याददाश्त बहुत अच्छी थी और आवाज भी। इसलिए वह गाने को बिना देखे मस्ती के साथ गाता था। 3 दिन पहले ही उसने उसकी एक वीडियो बनाई थी। जो अल्ताफ राजा का गाना तुम तो ठहरे परदेसी का अंतरा क्या करोगे तुम आखिर कब्र पर मेरी आकर,,,, गा रहा था।
उन्होंने इसकी रिकॉर्डिंग की थी। 3 दिन पहले ही उससे मुलाकात हुई थी। उसकी याददाश्त इतनी अच्छी थी कि अगर किसी से उसका परिचय हुआ और 10 दिन बाद भी वह उससे मिला तो वह उसका नाम याद रखता था। आप भले उसे भूल जाओ लेकिन वह नहीं भूलता था। लोगों का मनोरंजन करके उन्हें खाना खिलाने चाय पिलाने के लिए ख्वाइश करना और इसी तरह उसकी जिंदगी वर्षों से चल रही थी। पर आज वह शांत हो गया।

लोगों ने उनका वीडियो शेयर करके उन्हें श्रद्धांजलि दी है। एक अनूठा किरदार बालोद से हमेशा के लिए चला गया।

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By dailybalodnewseditor

2007 से पत्रकारिता में कार्यरत,,,,,कुछ नया करने का जुनून, कॉपी पेस्ट से दूर,,,

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