सरकार और नक्सलियों के बीच समाधान के लिए निकाली गई दांडी यात्रा-2, पहुंची पुरूर
बालोद/गुुुरुर। बस्तर मांगे हिंसा से आजादी दांडी यात्रा 2.0 के थीम के साथ नारायणपुर से रायपुर तक 12 मार्च से 23 मार्च तक पदयात्रा निकाली गई है। यह यात्रा बालोद जिले के नेशनल हाईवे से होते हुए धमतरी दाखिल हुई। कल राजा राव पठार में ये काफिला रुका हुआ था। रोज 26 किमी चलकर यह यात्रा आज राजा राव पठार से शुरू होते हुए धमतरी पहुंची। इस दौरान पुरूर में मीडिया से रूबरू से होते हुए इस यात्रा में शामिल पदयात्रा के प्रभारी शुभ्रांशु चौधरी ने सरकार और नक्सलियों दोनों को बातचीत के जरिए रास्ता निकालने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस तरह यात्रा निकालने का मकसद दोनों पर दबाव बनाना और उन्हें बातचीत के लिए सामने लाना है। बस्तर में लगातार हो रही नक्सली हिंसा को खत्म करने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है. ठीक एक हफ्ते पहले 12 मार्च शुक्रवार से नक्सली हेडक्वार्टर अबूझमाड़ से राजधानी रायपुर तक दांडी यात्रा-2 की निकाली गई है . पदयात्रियों ने सरकार और नक्सलियों से बातचीत कर समस्या के समाधान का आग्रह किया है.
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की समस्या को खत्म करने के लिए जनमत संग्रह किया गया था. इस दौरान 92 प्रतिशत लोगों ने यह कहा था कि नक्सल समस्या से निपटने का एक मात्र तरीका सरकार और नक्सलियों के बीच सामंजस्य स्थापित करना है. इसी कड़ी में दांडी पदयात्रा के तर्ज पर दांडी यात्रा-2 की शुरुआत की गई है. यात्रा में 100 से ज्यादा लोग शामिल हुए हैं.23 और 24 मार्च को नक्सल हिंसा से प्रभावितों का सम्मेलन पदयात्रा निकालने से पहले बस्तर संभाग के अन्य जिलों से आए लोग एक जगह इकट्ठा हुए थे. जहां एक छोटी सी सभा का आयोजन किया गया. आयोजन के बाद अरविंद नेताम ने इस पद यात्रा को हरी झंडी दिखाई. यात्रा की शुरुआत शांतिनगर से की गई है. पदयात्रियों ने नाच-गाने और बैनर-पोस्टर के माध्यम से सरकार और नक्सलियों से बातचीत करने का आग्रह किया है. 12 मार्च को इस पदयात्रा की शुरुआत हुई थी. पदयात्रियों ने इसका नाम दांडी मार्च 2 रखा है. पदयात्रियों के रायपुर पहुंचने के बाद 23 और 24 मार्च को नक्सल पीड़ितों का सम्मेलन आयोजत किया जाएगा.
40 साल से जारी है हिंसा की वारदातें
पूरी दुनिया में लगभग 7 से ज्यादा देश नक्सल हिंसा से परेशान था. भारत और फिलीपींस को छोड़कर बाकी सभी देशों को इस समस्या से निजात मिल गया है. फिलीपींस में समाधान के लिए सरकार और नक्सलियों के बीच बातचीत चल रही है. बस्तर में पिछले 40 साल से लोग नक्सली हिंसा से परेशान हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 20 साल में 12 हजार से ज्यादा लोग नक्सली वारदातों में मारे गए हैं. इसमें नौ हजार से ज्यादा आम नागरिक थे. हजारों परिवार बेघर भी हुए हैं.
शांति स्थापित करना यात्रा का मुख्य उद्देशय
यात्रा प्रभारी चौधरी ने बताया कि दांडी यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र राज्य में शांति स्थापित करना है. पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम का भी इस विषय मे कहना है कि उनके राजनीतिक जीवन के 50 साल पूरे होने वाले हैं. इंदिरा गांधी को छोड़कर किसी भी प्रधानमंत्री ने इस विषय को लेकर अब तक कोई गंभीरता नहीं दिखाई है. जो सबसे बड़ा दुर्भाग्य है. उन्होंने कहा कि जब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समस्या को गंभीरता से नहीं लेंगे तब तक इससे निपटारा नहीं पाया जा सकेगा.
सरकार और नक्सलियों के बीच पीस रही जनता: शुभ्रांशु चौधरी
पद यात्रा प्रभारी शुभ्रांशु चौधरी ने कहा कि नक्सल हिंसा पर अब तक सरकार कुछ नहीं कर पाई है. नक्सली और सरकार के बीच चल रहे इस द्वंद के बीच मासूम जनता पीस रही है. जनता चाहती है कि एक टेबल पर आकर दोनों पक्ष कोशिश करे. समस्या का समाधान हो. इस मिशन के लिए 10 सदस्य दल की टीम बनी है. इसमें पत्रकार, वकील, राजनीतिक दल के लोग समेत अन्य सदस्य शामिल हैं.
बातचीत से ढूंढे समाधान
शुभ्रांशु चौधरी ने कहा कि बस्तर के लोग शांति चाहते हैं. छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी सरकार ने अपने जन घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि यदि वे चुनाव जीतते हैं तो नक्सली समस्या के समाधान के लिए बातचीत के गंभीर प्रयास किए जाएंगे. आज ढाई साल बीत जाने के बाद भी अब तक इस ओर कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हम दोनों पक्षों से अनुरोध करते हैं कि दोनों पक्ष हिंसा को समाप्त करने के लिए बातचीत की कोशिश की करे
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर के नारायणपुर जिले से दांडी मार्च 12 मार्च से शुरू हुआ है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश नक्सल प्रभावित बस्तर में शांति स्थापित करना है। नक्सलियों और सरकार के बीच बातचीत के जरिये हिंसा रोकने की यह एक सकारात्मक पहल है।
मध्य भारत में शांति के लिए बस्तर जिले के नारायणपुर से दांडी यात्रा पीड़ित परिवार और नागरिक समाज के सदस्य नारायणपुर से रायपुर तक 222 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। इस यात्रा का मुख्य लक्ष्य सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच कभी न खत्म होने वाली लड़ाई को रोकना और बस्तर को हिंसा से मुक्ति दिलाना है।
अरविंद नेताम ने दिखाई है हरि झंडी
बस्तर में शांति लाने की अपील के साथ इस रैली को हरी झंडी दिखाने के पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने कहा है कि जब गांधी जी ने नमक कानून तोड़ा तब भारत एक ब्रिटिश उपनिवेश था। लेकिन अब जब हमारी सरकार है, तो हम संविधान का पालन करने और बस्तर में शांति लाने की अपील करते हैं। उन्होंने कहा है कि सरकार के साथ हम अन्य पक्ष से भी इस मुद्दे को सुलझाने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से बात करने की अपील करते हैं।
शांतिपूर्ण बातचीत के पक्ष में मतदान
गौरतलब है कि अक्टूबर 2020 में बस्तर के भीतर एक जनमत संग्रह कराया गया था। जिसमें 92 फीसदी लोगों ने शांतिपूर्ण बातचीत के पक्ष में मतदान किया था। उस जनमत को आगे बढ़ाने के लिए नक्सलियों और सरकार से अपील के रूप में इस पदयात्रा को आयोजित किया जा रहा है।हो सकता है कि बातचीत के जरिये शांतिपूर्ण समाधान मिल सके। पदयात्रा में स्थानीय ग्रामीणों की सहभागिता के साथ ही कई पत्रकार और गणमान्य नागरिक भी शामिल है।
91 साल पूर्व महात्मा गाँधी ने किया था दांडी मार्च
आज ही के दिन, 91 साल पहले महात्मा गांधी ने दांडी मार्च का नेतृत्व किया था, उन्होंने पीड़ितों को इस पदयात्रा के लिए प्रेरित किया। इसी कारण नारायणपुर याने अबूझमाड़ से शुरू इस पदयात्रा का नाम दांडी मार्च 2.0 रखा गया है।
शांतिपूर्ण बातचीत के पक्षधर हैं बस्तर के लोग
गौरतलब है कि अक्टूबर 2020 में बस्तर के भीतर एक ऑनलाइन जनमत संग्रह आयोजित किया गया था, जिसमें 92% लोगों ने शांतिपूर्ण बातचीत के पक्ष में मतदान किया था। उस जनमत को आगे बढ़ाने के लिए नक्सलियों और सरकार से अपील के रूप में इस पदयात्रा को आयोजित किया जा रहा है, ताकि बातचीत के माध्यम से लोगों को एक शांतिपूर्ण समाधान मिल सके।
सर्व आदिवासी समाज और अन्य संगठन कर रहे हैं अगुवाई
इस दांडी यात्रा की शुरुआत के मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविन्द नेताम भी पहुंचे थे। गौरतलब है की पिछले माह राजधानी रायपुर के मंथन हाल में एक बैठक आयोजित की गई थी जिसमे अरविन्द नेताम के अलावा भाजपा नेता नंदकुमार साय, वीरेंद्र पांडेय सहित अनेक प्रबुद्ध नागरिक और पत्रकार शामिल हुए। इस दौरान बस्तर इलाके में बढ़ रही नक्सल हिंसा पर चिंता जताई गई, साथ ही इस इलाके में शांति के लिए बल प्रयोग की बजाय बातचीत को प्राथमिकता देने पर जोर दिया गया। इसी के तहत यह भी तय किया गया की राज्य सरकार को बातचीत का रास्ता अपनाने के लिए तैयार किया जाये। इसी के तहत बस्तर के हिंसा प्रभावितों और नागरिकों की यह पदयात्रा भी शुरू की गई है।
रायपुर में होगी शांति के लिए बैठक
अबूझमाड़ से शुरू हुई इस दांडी यात्रा के रायपुर पहुंचने पर, चैकले मांदी(गोंडी अनुवाद : शांति के लिए बैठक) आयोजित की जाएगी, जहां पीड़ित, सर्व आदिवासी समाज के सदस्य और नागरिक समाज के सक्रिय सदस्य अपनी कहानियों, दृष्टिकोण और मांगों को को सभी के सामने रखेंगे।