आज के नफरत हिंसा आतंक भय अशान्त भेदभाव व दहशत भरे माहौल में गुरु की घासीदास के सत्य प्रेम अहिंसा न्याय व समानता का सन्देश अत्यंत प्रासंगिक हैं। गुरु जी शान्ति व सदभावना के सन्देश वाहक थे
।बाबा सिर्फ एक समाज ही नहीं बल्कि सभी समाज के लिए प्रेरणास्रोत थे ।संत गुरु व महापुरुष किसी विशेष समूह समुदाय प्रान्त व राष्ट्र की सीमाओं में बंधे नहीं हो ते बल्कि अपने मार्ग दर्शन व ज्ञान से अज्ञानता के अन्धकार मिटाकर दुनिया को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित कर लोक कल्याण करते हैं। संतों व समाज सुधारकों ने समय-समय पर समाज में व्याप्त
अन्ध परम्पराओं जातिगत भेदभाव रूढ़ीवाद कुरीतियों व अज्ञानता के अन्धकार मिटाकर दुनिया को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित किया जिसमें संत शिरोमणि गुरु घासीदास का भी अद्वितीय स्थान रहा है। गुरुदेव का अवतरण जिस समय हुआ उस समय शोषण अन्याय पाखण्ड अत्याचार चरम शिखर पर था। तात्कालीन समाज असमानता अज्ञानता जातिगत भेदभाव व छुआ-छूत जैसी कुरीतियों में धंसा हुआ था। उन्होंने सत्य को ईश्वर बताया और सत्य के मार्ग पर चलकर कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया। गौरतलब है कि आज के आधुनिक, शिक्षित व वैज्ञानिक प्रगति के युग में भी जातिगत भेदभाव जैसे दूषित विचार कायम है जिसके दुष्परिणाम स्वरूप आज भी हिंसात्मक घटनाएं होती हैं।ऐसे में बाबा के समानता का सन्देश अत्यंत प्रेरणादायी है। गुरु जी मानव-मानव एक समान का सिद्धांत हम सबका आदर्श होना चाहिए। गुरु घासीदास का महत्वपूर्ण सिद्धांत मानव-मानव एक समान था जो समानता के सिद्धांत पर आधारित है ।समानता का सिद्धांत हमारे भारतीय संविधान का
महत्वपूर्ण हिस्सा है। स्पष्ट है कि हमारा संविधान निर्मित होने से पहले ही संत गुरु घासीदास ने समानता का सन्देश दे दिया था। गुरुदेव ने समतामूलक की कल्पना की जहाँ सभी लोग बराबर हों। जातीय भावनाओं को आहत करने वाली गतिविधियाँ नहीं होना चाहिए। सद्भाव हमारी संस्कृति का मूल है। ऐसा समाज ही आदर्श समाज है। गुरुदेव के प्रकाश पूर्ण मार्गदर्शन से समाज में नई चेतना जागृत हुई।
संत गुरु घासीदास ने नशा नहीं करने का सन्देश
देकर दुर्रव्यसनमुक्त समाज का स्वप्न देखा था जो आज के परिवेश में अत्यंत अनुकरणीय है। इसलिए नशे से दूर रहकर ही गुरु घासीदास के स्वप्न को साकार किया जा सकता है। आज सर्वाधिक आवश्यकता है इसी की है।
वर्तमान समय में निश्चित ही आधुनिक जीवनशैली होनी भी चाहिए लेकिन अति आधुनिकता के चक्कर में हम अपने मूल संस्कारों एवं जीवन के उद्देश्य को ही भूलते चले जा रहे हैं ।ऐसे में संत व गुरुजन आध्यात्मिक मूल्यों व जीवन के मूल उद्देश्य तक पहुंचने के लिए जागृत करते हैं। संतों व समाज सुधारकों द्वारा लोक कल्याण,समाज कल्याण व देशहित में किए गए सद्प्रयासों व सद् कार्यों को याद करते हुए हुए उनसे प्रेरणा लेने की जरूरत है। वास्तव मेँ संत गुरु व समाज सुधारक ही समाज के परम्परागत नायक होते हैं जो जीवन के भौतिक व आध्यात्मिक प्रगति की राह दिखाते हैं। गुरु घासीदास हमेशा सत्य के आराधना की बात कही। समाज में इसी की जरुरत है। संत गुरु घासीदास के आदर्शों पर चलने से ही हम सभी का कल्याण है।
गुरु पर्व के शुभ अवसर पर गुरु घासीदास जयंती की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।