नवरात्रि विशेष: जगन्नाथपुर बन रहा जुड़वा बेटियों का गांव, शक्ति स्वरूपा बेटियों को बढ़ावा देने के लिए यहां कई परिवार कर रहे पहल

दूसरों के लिए बन रही इनकी कहानी प्रेरणा, बेटे की नहीं लालसा, बेटी बेटा में नहीं करते कोई फर्क , आने लगा है सोच में सकारात्मक बदलाव

बालोद। इस चैत्र नवरात्र पर हम देवी शक्ति स्वरूपा बेटियों की कहानी सामने ला रहे हैं। कहते हैं जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। इस नवरात्रि में भी हम एक ऐसे गांव की कहानी बता रहे हैं जो अब जुड़वा बेटियों का गांव बनता जा रहा है। यह गांव है बालोद ब्लाक का ग्राम जगन्नाथपुर। जहां पर चार परिवारों में जुड़वा बेटियां हैं। ये परिवार, समाज को बेटी बेटा में फर्क दूर करने का संदेश देते हैं। इन परिवारों को बेटे की लालसा नहीं है । कई दंपत्ति ने तो जुड़वा बेटियों के बाद परिवार नियोजन भी करवा लिया है। नवरात्र में कन्या भोज का अपना विशेष महत्व है। ऐसे में इस नवरात्रि में कन्याओं से जुड़ी प्रेरक कहानी जो जगन्नाथपुर की है हम आपको बता रहे हैं ताकि समाज में एक बदलाव आए और बेटी बेटा में जो रूढ़िवादिता अंतर देखने को मिलता है उसे दूर किया जा सके।

बेटियों को ही मानते हैं अपनी दुनिया

जब हम इस गांव में पहुंचे और जुड़वा बेटियों वाले परिवार के लोगों से मिले तो उन परिवार के माता-पिता के मन में बेटियों के प्रति खास लगाव देखने को मिला। परिवार के सदस्यों ने बताया कि वह अपने घर की बेटियों को ही अपनी दुनिया मानते हैं। उन्हें अपना बेटा मान चुके हैं। उन्हें अब बेटा लाने की लालसा नहीं है। देखा जाता है कि अक्सर लोग बेटे की चाहत में जनसंख्या बढ़ाते हैं ।परिवार नियोजन को लेकर भी ध्यान नहीं देते। लेकिन हम जिन परिवारों से मिले उन्होंने इस दिशा में खास जागरूकता दिखाई है। जुड़वा बेटियां होने के बाद उन लोगों ने बेटे की लालसा ना करते हुए परिवार नियोजन भी करवा कर एक संदेश दिया है।

क्या कहा इन बेटियों के पालकों ने

मेरे घर परियां होना किस्मत की बात, नवरात्रि के पहले दिन ही हुआ था जन्म

जुड़वा बेटियां चांद और चांदनी के पिता परमानंद साहू ने कहा बेटी बेटा में कोई अंतर नहीं है। वे कहते हैं कि मुझे खुशी होती है कि मेरे घर में परियां रहती हैं। उन्होंने बताया कि यह इत्तेफाक ही है कि लगभग 9 साल पहले नवरात्रि के पहले दिन ही उनके यहां दो जुड़वा बेटियां पैदा हुई। नवरात्रि उनके लिए हर साल यादगार होता है। वह अपनी दोनों जुड़वा बेटियों को मां दुर्गा के अवतार स्वरूप मानते हैं। साथ ही खुद को परियों का पापा होने के कारण किस्मत वाले मानते हैं।

20 साल के अंतराल के बाद हुई दो बेटियां, परिवार नियोजन भी करवा चुके

जागृति और जिज्ञासा दो जुड़वा बेटियों की माता नेम बाई देशमुख का कहना है कि उनकी शादी के 20 साल बाद उन्हें संतान सुख प्राप्त हुआ। शादी के बाद इतने वर्षों तक संतान नहीं होने से वे काफी निराश थे। लेकिन भगवान ने उनकी सुनी गोद भर दी और दो जुड़वा बेटियां उन्हे प्राप्त हुई। इस पर नेम बाई रहती हैं कि हमने परिवार नियोजन भी करवा लिया है। बेटे की कोई लालसा नहीं है। और ना ही हम बेटा बेटी में कोई फर्क करते हैं। जागृति और जिज्ञासा हमारे जीवन की नई आशा बनकर आई और जीवन खुशियों से भर चुकी हैं। यही हमारे लिए दो बेटे हैं।

दो कुल का मान बढ़ाती हैं बेटियां, इन्ही के कारण तो दुनिया कायम है

ईश्वरी बाई जो भारती और भावना दो जुड़वा बेटियों की मां है, वह कहती हैं कि बेटी है तो दुनिया कायम है। इस संसार में अगर बेटियां नहीं होगी तो दुनिया कैसे चलेगी। बेटियां तो दो कुल का मान बढ़ाती हैं।

बेटी बेटा में कोई फर्क किसी को नहीं करना चाहिए। मुझे बेटियों की मां होने पर गर्व है। नवरात्र आता है तो बेटियों के प्रति सम्मान और बढ़ जाता है। मां दुर्गा का आशीर्वाद सदा मेरी बेटियों पर बना रहे।

बेटियां होती है तो घर पर रौनक आ जाती हैं

शिवांगी और शिवन्या साहू नाम की दो बेटियों के पिता घनश्याम साहू ने कहा कि उन्हें भी शादी के लंबे अंतराल के बाद संतान सुख प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि उनकी दो जुड़वा बेटियों के कारण घर में रौनकता आ गई। वर्षों से जिस खुशी और पल का इंतजार था वह आ गया। माता रानी का आशीर्वाद हमें प्राप्त हो गया। मैं बहुत खुश हूं कि मेरी दो जुड़वा बेटियां हैं। इन्हीं के वजह से घर में खुशियां लौटी है। बेटा बेटी सब बराबर है। कुछ दिन पहले ही हमने अपनी बेटियों का पहला जन्मदिन भी मनाया।

सिर्फ नवरात्र ही नहीं हर दिन हो बेटियों का सम्मान, ना हो उनके साथ कोई अत्याचार

जगन्नाथपुर में ही यादव परिवार द्वारा “बेटी है तो कल है” की थीम पर दिवाली में लोगों को बेटी बेटा में फर्क दूर करने के लिए जागरूक किया जाता है। इस परिवार की बेटी वैष्णवी की माता माधुरी यादव ने कहा कि बेटियों का सम्मान सिर्फ नवरात्र में नहीं बल्कि हमेशा होना चाहिए। आज देखते हैं कि देश में बेटियों के साथ कई तरह के अपराध घटित होते हैं। लोग नवरात्र आने पर बेटियों की पूजा करते हैं। कन्या भोज करते हैं। लेकिन बाकी समय में भूल जाते हैं कि वह शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के ही रूप हैं। बेटी बेटा में फर्क करना जिस दिन लोग बंद करेंगे एक सकारात्मक बदलाव आएगा। लोगों में बेटियों के प्रति सच्ची और अच्छी भावना होनी जरूरी है। ताकि उनके साथ किसी तरह का अत्याचार और दुराचार ना हो।

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