गुरुर बनी एक रात के लिए गोकुल नगरी, भव्य रहा दही हांडी उत्सव का आयोजन, विधायक बोली कृष्ण के जीवन से निराश न होना सीखें
गुरुर। गुरुर में विधायक संगीता सिन्हा के सौजन्य से भव्य दही हांडी उत्सव का आयोजन श्री कृष्ण जन्मोत्सव समिति के तत्वाधान में किया गया। बीती रात करीब 12 बजे तक उक्त आयोजन चला। जिसमें लोगों में कृष्ण भक्ति अटूट देखने को मिली। गुरुर नगर रात भर के लिए गोकुल नगरी की तरह सजी-धजी थी। लोग कृष्ण और राधा के गीतों पर झूमते रहे। तो वहीं युवाओं की टोली दही लूट में मग्न रही। डीजे की धुन पर लोगों ने जमकर नृत्य किया। आयोजन में मुख्य अतिथि के तौर पर विधायक संगीता सिन्हा शामिल हुई। जिन्होंने राधा कृष्ण की वेशभूषा में तैयार राधा कृष्ण का आशीर्वाद लिया और प्रतिभागियों का हौसला अफजाई करते हुए नगर और क्षेत्र वासियों के साथ कार्यक्रम का खूब आनंद लिया। अंत में विजेता उपविजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरण कर बधाई व शुभकामनाएं दी गई।
युवा को दी निराश न होने की नसीहत
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधायक सिन्हा ने युवाओं को कभी निराश न होने की नसीहत देते हुए श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि कृष्ण के जीवन से सीखिए। निराश मत होइए। भगवान होकर भी उनसे सब कुछ छीनता गया। उनसे माता पिता प्रेमिका, परिवार सब छूटे। लेकिन वे अपने कर्तव्य पथ पर हमेशा आगे बढ़ते रहें। विधायक ने युवाओं से अपील किया कि संघर्ष से आगे बढ़ना है। निराश होकर हमें गलत कदम नहीं उठाना है। मंजिल जरूर मिलेगी। अगले साल और भव्य रूप से मनाएंगे। आयोजन अब कृष्ण जन्माष्टमी के दिन करेंगे। महिलाओं को तीज की बधाई देती हूं। उन्होंने भीड़ से हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की का उद्घोष कराया।
इस दौरान तामेश्वर साहू, दुर्गुराम, समाजसेवी जयंत किरी, व्यापारी संघ के अध्यक्ष मनोज सिन्हा , सुमित राजपूत आदि विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे। गुरुर नगर वासी के अलावा आसपास के ग्रामीण भी हजारों की संख्या में यहां आए हुए थे। समिति और नगर वासियों के सहयोग से शांतिपूर्ण तरीके से कार्यक्रम संपन्न हुआ प्रथम प्रतिभागी धमतरी संबलपुर की टोली विजेता रही। द्वितीय स्थान भटगांव रही।
प्रथम पुरस्कार विधायक संगीता सिन्हा के सौजन्य से धमतरी संबलपुर को 21000 रुपए और द्वितीय पुरस्कार नगर पंचायत अध्यक्ष महिमा साहू के सौजन्य से ₹5001भटगांव की टीम को प्राप्त हुआ। इस दौरान पुलिस प्रशासन का भी विशेष योगदान रहा। जिन्होंने भीड़ को नियंत्रित करने और यातायात व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए थे।